होम / हरियाणा के कल्लूराम ने 50 वर्ष में 4 हजार फुट ऊंची पहाड़ी को काटकर बनाया तालाब, बने जज्बे से मानवता की मिसाल

हरियाणा के कल्लूराम ने 50 वर्ष में 4 हजार फुट ऊंची पहाड़ी को काटकर बनाया तालाब, बने जज्बे से मानवता की मिसाल

• LAST UPDATED : July 17, 2022

इंडिया न्यूज, Haryana News (Story of Haryana’s Kalluram): हरियाणा के चरखी दादरी जिले में अटेला कलां के निवासी कल्लूराम के होसल और जज्बे की जीतनी तारीफ की जाए उतनी कम है। पशुओं के लिए इनकी दरिया दिल काबिल ए तारीफ है। इन्होनें पशुओं के पानी पीने के लिए करीब 4000 फुट ऊंची पहाड़ी पर पत्थरों को लिए तालाब बना डाला। ये तलाब बनाने के लिए उन्हें पूरे 50 वर्ष लगे है। वर्ष 2010 में बनकर तैयार हुए ये तालाब क्षेत्र के सैकड़ों पशुओं की प्यास बुझा रहा है।

कल्लूराम के जज्बे को सलाम

जिले के डीसी श्यामलाल पूनिया और सांसद धर्मबीर सिंह ने मौके का निरीक्षण करने के बाद कल्लूराम के साहस और जज्बे को सलाम किया है। कल्लूराम के इस साहसी कार्य को लेकर उनसे पूछताछ के दौरान इन्होंने बताया कि, कल्लूराम जब 18 वर्ष का था, वह तब से अटेला कलां की उस पहाड़ी पर अपने पशुओं को चराने के लिए जाता था।

एक दिन उस पहाड़ पर पानी न मिलने के कारण प्यास से उनकी गोवंश की मौत हो गई। यह देखने के बाद उनके मन में यहां एक तलाब बनाने का ख्याल आया। हालांकि 12 साल बाद भी उस तालाब तक रास्ता न बनाए जाने की टीस कल्लूराम के मन में है। उस दिन कल्लूराम ने निर्णय लिया की वह पहाड़ को काटकर यहां एक दिन तालाब जरूर बनाएंगे

कल्लूराम ने आगे बताया कि अगले ही दिन वह उस पहाड़ी पर पहाड काटने के औजार, छैनी और हथौड़ा लेकर पहुंच गया। इसके बाद वह रोजाना उस पहाड़ी पर अपने पशुओं को लेकर जाता और अपने काम में जुट जाता। दिन-रात और मौसम की परवाह किए बिना अपने काम में लगा रहता।

50 वर्ष के बाद मेहनत लाई रंग

करीब 50 वर्ष तक ऐसा करने के बाद एक दिन उनकी मेहनत रंग लाई। पहाड़ के ऊपर 65 फुट चौड़ा, 38 फुट गहरा और 70 फुट लंबा तालाब बनकर तैयार हो गया। कल्लूराम को उन दिनों की एक-एक चुनौती अच्छे से याद है। हालांकि बारिश के बाद तालाब का जलस्तर बढ़ गया है, लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि ग्रामीणों की मांग के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि अब तक तालाब तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं बनवा सके हैं।

Story of Haryana's Kalluram

ताने देने वाले लोग हुए मुरिद

कल्लूराम का कहना है कि जिस समय उसने गांव में तालाब बनाने को लेकर जिक्र किया तो गांव के लोगों ने उसकी बात का मजाक बनाया। वहीं गांव के कुछ लोगों ने उनके घर जाकर उनके खिलाफ उसके माता-पिता को भड़काया और ताने दिए। लेकिन इसके बावजूद भी वह अपने निर्णय पर अडिग रहा। वहीं जब तालाब बनकर तैयार हो गया, तो ताने देने वाले लोग ही उसके जज्बे के मुरीद हो गए।

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