इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Water Battle between India and China): चीन अपनी विस्तारवादी सोच के चलते अपने पड़ौसी देशों को हमेशा दबाने की नीति अपनाता है। इसके लिए वह धन का प्रयोग करे या फिर सेना का वह परेशानी जरूर खड़ी करता है। भारत के खिलाफ भी चीन की ऐसी ही पॉलिसी है।
चीन जहां एलएसी पर लगातार घुसपैठ की फिराक में रहता है वहीं वह प्राकृति संसाधनों का प्रयोग करके भी भारत को नुकसान पहुंचाने की फिराक में अक्सर रहता है। इसी सब को ध्यान में रखते हुए भारत भी अपनी रणनीति बना रहा है। भारतीय सेना जहां सीमा पर चौकन्नी खड़ी है। वहीं अब भारत सरकार ने चीन सीमा के नजदीक ही कई बांध परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। ताकि वह चीन की तरफ से ऐसे किसी भी संभावित खतरे से निपट सके।
गौरतलब है कि चीन बीते 11 वर्ष से दुनिया की सबसे ऊंची नदी ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को मनमाने तरीके से मोड़ने का काम तो कर ही रहा है, लेकिन अब वह अरुणाचल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से केवल 30 किलोमीटर दूर सबसे बड़ा बांध बना रहा है और वाटर बैटल से भारत को नुकसान की उसकी यह एक बड़ी चाल है। ड्रैगन की इस चाल को देखते हुए केंद्र सरकार की परियोजनाओं के तहत ब्रह्मपुत्र पर चार बड़े बांध बनेंगे।
केंद्र सरकार ने इन चार में से तीन परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का काम शुरू कर दिया गया है और एक प्रोजेक्ट को अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों से मंजूरी मिलनी बाकी है। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिन में इसे भी पर्यावरण संबंधी सभी जरूरी मंजूरियां भी मिल जाएंगी। इन परियोजनाओं को तीन वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा जा रहा है। जिन दो परियोजनाओं पर काम चल रहा है, सुरक्षा कारणों की से उनकी स्टेटस रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
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