इंडिया न्यूज, इस्लामाबाद (Financial crisis in Pakistan ): भारत का पड़ौसी देश पाकिस्तान न केवल राजनीतिक संकट से जूझ रहा है बल्कि आर्थिक अस्थिरता भी पाकिस्तान को घेर रही है। हालात यह हैं कि पाकिस्तान के पास अपनी जरुरतें पूरी करने के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं है। इसी लिए उसे दूसरे देशों से उदार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। इस सबके बीच पाकिस्तानी रुपया भी लगातार टूट रहा है।
गुरुवार को यह एक डॉलर के मुकाबले 270 रुपया हो गया। करंसी टूटने व आर्थिक अस्थिरता के चलते पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है। पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में इस वक्त महंगाई दर 27.6% है। यह 1975 के बाद सबसे ज्यादा है। उस वक्त यह 27.77 हो गई थी। 31 जनवरी को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) की एक टीम पाकिस्तान पहुंची है। यह 6 अरब डॉलर के लोन की अगली किश्त (1.2 अरब डॉलर) जारी करने की शर्तों पर बातचीत कर रही है।
जानकारी के अनुसार इस बार आईएमएफ ने पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देने के लिए बेहद सख्त शर्तें रखी हैं। इतना ही नहीं उसने इन तमाम शर्तों को पूरा करने के लिए पॉलिटिकल गारंटी भी मांगी है। आईएमएफ चाहता है कि पाकिस्तान सरकार इलेक्ट्रिसिटी और फ्यूल को 60% तक महंगा करे। टैक्स कलेक्शन दोगुना करने को कहा गया है। लिहाजा, यह तय माना जा रहा है कि 9 फरवरी को जब आईएमएफ और शाहबाज सरकार की बातचीत खत्म होगी और अगर सरकार यह शर्तें मान लेती है तो महंगाई करीब-करीब दोगुनी हो जाएगी।
देश में तेजी से बढ़ रही महंगाई को लेकर पाकिस्तानी सरकार ने रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार 2022 जनवरी में महंगाई दर 13% थी। इसका मतलब यह हुआ की एक ही साल में महंगाई दोगुना से भी ज्यादा हो गई है।
पाकिस्तान के पास स्टॉक में नहीं बचे डॉलर
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक कराची पोर्ट पर करीब 6 हजार कंटेनर्स सामान से भरे हुए खड़े हैं। इन्हें अनलोड सिर्फ इसलिए नहीं किया जा सका है, क्योंकि बैंकों के पास डॉलर नहीं हैं और इस वजह से पेमेंट नहीं हो रहा है। कंटेनर्स अनलोड न होने के चलते पाकिस्तान के उन कारोबारियों को नुकसान हो रहा है जिन्होंने इनमें विदेशों से सामान मंगवाया है।
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