फरीदाबाद/देवेंद्र कौशिक
फरीदाबाद नगर निगम के अधिकारियों पर गाज गिरने का इंतजार किया जा रहा है… दरअसल नगर निगम के कई वार्ड में बिना काम कराए ही फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपये ठेकेदार को दे दिये गए थे… अब इस मामले में जो जांच रिपोर्ट तैयार हुई है, उसमें निगम के अधिकारियों पर बहुत ही सख्त टिप्पणी की गई है, साथ ही अधिकारियों को निलंबित कर उनके खिलाफ भी की गई है… जांच रिपोर्ट में सीधे सीधे सरकारी खजाने पर डाका डालने की बात कही गई है… जांच रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी तो वो सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं… इस जांच रिपोर्ट में ठेकेदारों पर भी सख्त टिप्पणी की गई है.
सवाल इस बात का है कि जब जांच रिपोर्ट में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सिफारिश हुई है… लेकिन अब तक उच्च अधिकारियों की तरफ से कोई ठोस एक्शन क्यों नहीं लिया गया… क्या भ्रष्ट अधिकारी पद पर रहते हुए सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते… दरअसल नगर निगम के कई वार्ड में बिना किसी काम के फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपये की बंदर बांट हुई है… इसकी शिकायत कुछ पार्षदों ने निगम कमिश्नर से की थी और उसी आधार पर जांच कमेटी बनाई गई थी, जांच कमेटी कि रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है…
जांच रिपोर्ट के आधार पर निगम कमिश्नर ने कुछ छोटे अधिकारियों पर तो कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया लेकिन करोड़ों रुपए के गबन के मामले में बड़े अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है….जांच रिपोर्ट के आधार पर चंडीगढ़ में बैठे उच्च अधिकारियों को चार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए सस्पेंड करने और गबन का मुकदमा दर्ज करने की भी सिफारिश की गई है…लेकिन बड़ी बात ये है कि अभी तक इनपर कार्रवाई नहीं हुई है
हैरानी की बात ये भी है कि इसी दौरान जिन अधिकारियों पर ठेकेदार के साथ मिलकर गबन के आरोप लग रहे थे, उनका दूसरों जिलों में ट्रांसफर कर दिया गया, ऐसे में क्या वो अधिकारी वहां जाकर भ्रष्टाचार नहीं कर रहे होंगे… जांच के दौरान आरोपी अधिकारियों ने कोई भी सहयोग नहीं किया… इसके अलावा जब इस मामले की जांच चल रही थी तो ऐसे में रिकॉर्ड रूम में भी आग लगा दी गई… जिससे बहुत से सबूत जलकर नष्ट हो गए… तो सवाल ये है कि क्या उच्च अधिकारी भी इसमें मिले हुए हैं… जांच रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि इस आग लगने के मामले में भी अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत थी.