इंडिया न्यूज,(Gangaur Puja 2023 Date): विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को गणगौर पूजा करती हैं। यह दिन शंकर-पार्वती को समर्पित है। इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मनाया जाने वाला गणगौरी का पर्व महिलाओं के लिए निरंतर सौभाग्य का पर्व है। दूसरी ओर, विवाह योग्य लड़कियां शिव के समान भावी पति पाने के लिए गणगौर की पूजा करती हैं। आइए जानते हैं इस साल गणगौर पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
इस साल गणगौर का पर्व 24 मार्च 2023 को है। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 23 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 24 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। वैसे तो गणगौर राजस्थान का मुख्य पर्व है लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी ये त्योहार मनाया जाता है।
गणगौर दो शब्दों से मिलकर बना है ‘गण’ और ‘गौर’। गण का तात्पर्य है शिव और गौर का अर्थ है पार्वती। धर्मग्रंथों के अनुसार इस दिन पार्वती जी सोलह शृंगार करके सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए निकली थीं, इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव के साथ पार्वती जी की पूजा कर उनसे अपने सुहाग की रक्षा की कामना करती है।
गणगौर की पूजा को लेकर लोगों में अपनी-अपनी मान्यताएं है। राजस्थान में ये पर्व होली के दिन से शुरू होकर 16 दिन तक चलता है। इन दिनों में रोजाना शिव-पार्वती की मिट्टी से बनी मूर्ती की पूजा की जाते हैं, गीत गाए जाते हैं। और फिर चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानी गणगौर पूजा वाले दिन महिलाएं व्रत-पूजा कर कथा सुनती, मैदा, बेसन या आटे में हल्दी मिलाकर गहने बनाए जाते हैं और माता को चढ़ाते हैं। फिर महिलाएं झालरे देती हैं। नदी या सरोवर के पास मूर्ति को पानी पिलाया जाता है और फिर अगले दिन इनका विसर्जन होता है। जहां पूजा की जाती है उस जगह को गणगौर का पीहर और जहां विसर्जन होता है वो जगह ससुराल माना जाता है। गणगौर वाले दिन विवाहित महिलाओं को सुहाग की सामग्री जरुर बांटनी चाहिए। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है।
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