होम / Staging of “Zakhm Lakiran De”: “ऐ बोल ने पीर फकीरां दे, माड़े ने जख्म लकीरां दे” “जख्म लकीरां दे” का सफल मंचन, दर्शकों ने कलाकारों के अभिनय को सराहा

Staging of “Zakhm Lakiran De”: “ऐ बोल ने पीर फकीरां दे, माड़े ने जख्म लकीरां दे” “जख्म लकीरां दे” का सफल मंचन, दर्शकों ने कलाकारों के अभिनय को सराहा

• LAST UPDATED : March 28, 2023

इंडिया न्यूज़,अम्बाला(“Ae Bol Ne Pir Fakiran De Maade Ne Zakhm Lakiran De” “Zakhm Lakiran De” Successfully staged): 26 मार्च 2023 को जीएमएन कॉलेज अंबाला छावनी के सभागार में पंजाबी फुल लेंथ नाटक “जख्म लकीरां दे” का मंचन हुआ। इस नाटक का मंचन कलाश्री रजिस्टर्ड एवं थेस्पियंस ग्रुप अंबाला के कलाकारों द्वारा हरियाणा कला परिषद अंबाला मंडल के तत्वाधान में हुआ। यह नाटक मशहूर रंगकर्मी अशोक लहरी द्वारा लिखित एवं निर्देशित है। इस नाटक में देश के बंटवारे के दौरान हुए कत्ल ए आम की कहानी को बड़े ही मार्मिक दृश्यों द्वारा दिखाया गया।

बंटवारे की एक लकीर ने जानी दुश्मन बना दिया

इस नाटक की कहानी में एक मुसलमान और सिख परिवार के रिश्तों को दिखाया गया है। जो कभी बंटवारे से पहले एक दूसरे के दुख के साथी हुआ करते थे। बंटवारे की एक लकीर ने उन्हें जानी दुश्मन बना दिया। मुस्लिम परिवार का मुख्य पात्र इकबाल जहां सरदार सतनाम सिंह के परिवार का जानी दुश्मन बन जाता है। वहीं दूसरी तरफ उसकी पत्नी शबनम जो सतनाम सिंह की बेटी सिमरन की सहेली थी।

सिख परिवार के लिए अपने शौहर इकबाल का कत्ल कर देती है और सिमरन के नवजात बच्चे करण को लेकर कई कठिनाइयों को पार करते हुए उसे लेकर हिंदुस्तान आ जाती है। उसे पाल पोस कर बड़ा करती है। एक दिन उसके जवान बेटे करण के हाथ उसकी मां की लिखी डायरी लग जाती है जो वो अक्सर अपनी सहेली सिमरन के नाम लिखा करती थी। डायरी पढ़ने के बाद उसे पता चलता है कि ये मेरी असली मां नहीं है, बल्कि मेरी मां की मुसलमानी सहेली है। जिसने इंसानियत की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान करके मुझे मेरा मुल्क मेरा मजहब दिया।

कुछ साल बाद 15 अगस्त के एक समारोह में वह सारा भेद खोल देता है। भेद खुलते ही सारा समाज शबनम की कुर्बानियों को नकारते हुए उसपे तरह-तरह के इल्जाम लगाता है। जिससे इस दोष को न सहते हुए शबनम अपना मानसिक संतुलन को बैठती है और सारा समाज करण से उसकी मां को सरहद पार छोड़ने के लिए हुक्म सुना देता है और पीछे से गीत उभरता है।

“ऐ बोल ने पीर फकीरां दे, माड़े ने जख्म लकीरां दे”। इस मौके पर अंबाला और आसपास के क्षेत्रों की रंगमंच से जुड़ी हस्तियों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में श्री नागेंद्र शर्मा ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। उन्होंने कलाकारों के अभिनय की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के तौर पर पहुंचे हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी पंचकूला के डिप्टी डायरेक्टर सरदार गुरविंदर सिंह धमीजा जी ने कलाकारों के अभिनय की जमकर तारीफ की। कलाश्री के प्रधान श्री आलोक गुप्ता जी ने मुख्यातिथि श्री नागेंद्र शर्मा और विशिष्ट अतिथि सरदार गुरविंदर सिंह धमीजा जी को मोमेंटो और शॉल भेंट कर सम्मानित किया। नाटक देखने के लिए पंजाबी साहित्य से जुड़े हरियाणा के जाने-माने लेखक भी शुमार हुए।

भावुक दृश्य देखकर दर्शकों की आखे नम

नाटक के दौरान अत्यंत ही मार्मिक और भावुक दृश्य देखकर दर्शकों को नम आंखों से सुबकते हुए देखा गया। नाटक में उपस्थित गणमान्य अतिथियों, रंगमंच से जुड़े कलाकारों एवं दर्शकों ने नाटक की पटकथा, निर्देशन और कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय की दिल खोलकर प्रशंसा की। रमन जैदिया अमन जैदिया द्वारा दिए गए उत्कृष्ट संगीत ने इस नाटक में जान डाल दी।

नाटक में वरिष्ठ कलाकार एवं कलाश्री महासचिव टीएस दुग्गल, नरेश कुमार शर्मा (प्रधान थेस्पियन्स ग्रुप), सोहन सिंह, हरप्रीत सिंह, जसप्रीत कौर, पारुल ठाकुर, ऋषभ, जयकांत,गौरव गोयल, अंशिका गोयल, शगुन, शीनू द्विवेदी, केतन शर्मा, करण, उमंग गोयल ने बतौर कलाकार भाग लिया। इस नाटक में अमरजीत का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को समान्नित किया गया।

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