इंडिया न्यूज, Haryana : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य केवल जन सेवा है। सरकार ने पिछले साढ़े 8 वर्षों में व्यवस्था परिवर्तन के काम कर अनेक जनकल्याण कार्य किए हैं। इससे जनता का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है कि उनकी चिंता करने के लिए अब कोई सरकार है।
मुख्यमंत्री कल देर रात दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों की जानकारी दे रहे थे। मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश की पौने 3 करोड़ जनसंख्या हमारा परिवार है और उनकी चिंता करना ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हम प्रयोगधर्मी हैं और यह गुण प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से सीखा है कि कभी भी कोई नया प्रयोग करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का युग टेक्नोलॉजी का है और इसके उपयोग से जितनी पारदर्शिता आती है, उतनी पारदर्शिता मैनुअल तरीके से नहीं आ सकती। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में ई- टेंडरिंग व्यवस्था लागू करने के दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे। इस व्यवस्था से आमजन प्रसन्न है। हाल ही भिवानी दौरे के दौरान ग्रामीणों और सरपंचों से ई- टेंडरिंग व्यवस्था के बारे में खुले मंच से पूछा तो सभी ने एक मत से यही कहा कि यह व्यवस्था बहुत अच्छी है और इससे पारदर्शिता आ रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने परिवार पहचान पत्र बनाया है, जिसके माध्यम से प्रदेश के हर परिवार और उसके सदस्यों का डाटा सरकार के पास उपलब्ध है। पीपीपी का असली मतलब यदि निकाला जाए तो पीपीपी यानी प्रोटेक्शन ऑफ पुअर पीपल है। हम गरीब व जरूरतमंद के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं।
मनोहर लाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकारें योजनाएं लेकर आती थी, परंतु जो वास्तविक लाभार्थी होते थे, उनकी बजाए दबंग व्यक्ति ऐसी योजनाओं का लाभ ले जाते थे। पात्र लाभार्थी यदि किसी तरह लाभ लेने का प्रयास करता था तो उसे कागज पूरे करने के लिए ही बार बार चक्कर काटने पड़ते थे और योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक नहीं पहुंचता था। लेकिन वर्तमान राज्य सरकार हर गरीब व जरूरतमंद के घर द्वार पर जाकर हर योजना का लाभ पहुंचा रही है।
विपक्ष द्वारा ओपीएस लागू करने सहित अन्य प्रकार के किए जा रहे वायदों पर कटाक्ष करते हुए श्री मनोहर लाल ने कहा कि ऐसे लोक लुभावन नारों व वायदों की ओछी राजनीति विपक्ष को नहीं करनी चाहिए। हालांकि नई पेंशन योजना पर केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो इसका अध्ययन करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के 10 साल के कार्यकाल में किसानों को मात्र 1000 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया। हमारी सरकार ने केवल वर्ष 2015 में ही लगभग 1200 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया। कांग्रेस सरकार में 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा मिलता था। वर्ष 2014 में उन्होंने 10,000 रुपये प्रति एकड़ किया, लेकिन इस दर का भुगतान नहीं किया। उसके बाद हमारी सरकार आने के बाद 12,000 रुपये प्रति एकड़ की दर निर्धारित की।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के 10 साल में किसानों को 2 रुपये, 5 रुपये और 10 रुपये के चैक मिलना आम बात थी। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान सरकार ने पिछली सरकार के मुकाबले किसानों को बहुत अधिक मुआवजा दिया।
उन्होंने कहा कि इस बार भी फरवरी व मार्च महीने में बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हुआ है। अब किसान अपनी फसल का नुकसान स्वयं बताता है और उसके बाद तहसीलदार, एसडीएम और जिला उपायुक्त गिरदावरी करेंगे। ड्रोन और सैटेलाइट के साथ भी अध्ययन होता है। सभी चीजों का मूल्यांकन करने के बाद जितना नुकसान हुआ है उसकी भरपाई की कोशिश होती है। राज्य सरकार किसान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। लेकिन विरोधी हमेशा सरकार के विरोध में हो बात करते रहेंगे।
विपक्ष द्वारा हरियाणा में बेरोजगारी ज्यादा होने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विपक्ष के पास कोई बात बताने लायक नहीं है। विपक्ष मुद्दा विहीन हो चूका है। इसलिए गलत बात करते रहते हैं। विपक्ष सीएमआईई संस्था के बेरोजगारी के आंकड़ों की बात करता रहता है। यह एक निजी संस्था है। यह संस्था कभी 24, कभी 34 और कभी 27 प्रतिशत बेरोजगारी दर्शाती है। उसके आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि परिवार पहचान पत्र पर एक एक परिवार का डाटा है और इस डाटा में जो बेरोजगार हैं, उन लोगों ने स्वयं घोषित किया है। इसके अनुसार प्रदेश में लगभग 6 प्रतिशत बेरोजगारी है। इसे बेरोजगारी दर को कम करने के लिए भी लगातार रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीपीपी से यह आंकड़ा पता लगा है कि प्रदेश में लगभग 3000 से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो सिंगल मेंबर फैमिली हैं और उनकी आयु 80 साल से ऊपर है। अब राज्य सरकार ने ऐसी योजना बनाई है कि ऐसे लोगों की देखभाल सरकार करेगी। इनके लिए सरकार एक आश्रम बनाएगी और उन लोगों की सहमति से उन्हें इस आश्रम में रखेंगे, जहां उनके खान-पान स्वास्थ्य सहित मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत 1 लाख रुपए सालाना से कम आय वाले परिवारों की आय को 1.80 लाख रुपए तक करने का काम किया है। इस योजना के तहत चिन्हित परिवारों को ऋण उपलब्ध करवाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर हर परिवार की सभी प्रकार की जानकारी एकत्र करने के लिए बहुत काम किया गया। प्रदेश में सभी परिवारों की इनकम वेरिफिकेशन के लिए लगभग 20,000 टीमें बनाई गई। हालांकि, इनकम से संबंधित कुछ गलतियां भी सामने आई, जिन्हें निरंतर सुधारा भी जा रहा है। 3 लाख लोगों ने इनकम से संबंधित सुधार हेतू आवदेन भी किया, जिनमें से लगभग आधे से ज्यादा का निस्तारण हो चुका है।
मनोहर लाल ने कहा कि पीपीपी से लगभग साढ़े 12 लाख राशन कार्ड नए बनाए गए हैं। इनकम के कारण 1 लाख लोगों, जिनके राशन कार्ड कट गए थे, उनके दोबारा से राशन कार्ड बनाए गए। उन्होंने कहा कि पीपीपी में कोई भी जानकारी अपडेट करने के लिए सीएससी में जा सकते हैं। सर्वे करना सरकार का काम है, जिसे लगातार किया जा रहा है। इनकम का ऑटो अपडेशन सिस्टम बनाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 7 अप्रैल को ही वृद्धावस्था पेंशन में इनकम लिमिट को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये अधिसूचित किया है।
मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में बेसहारा गौवंश की देखभाल के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। बेसहारा गौवंश के लिए व्यवस्था कर सुरक्षित स्थान पर रखना सुनिश्चित करेंगे। राज्य सरकार ने गौ सेवा के आयोग का बजट भी 40 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने अपने जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है। उन्होंने अपने जीवन का एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब उन्होंने 10वीं पास कर आगे की पढ़ाई करने की ईच्छा व्यक्त की तो उनके पिताजी ने इनकार दिया तो उन्होंने अपनी माँ से कहा कि वे आगे पढ़ना चाहते हैं और उस दौर में माँ ने पैसे दिए, जिससे उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सफलता के पीछे उनकी माँ का ही हाथ है, यदि माँ ने वो पैसे न दिए होते तो शायद आज इस प्रकार यहां इस भूमिका में शायद न होता।
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