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हरियाणा में जीरो ड्रॉप आउट नीति पर किया जा रहा काम : मुख्यमंत्री

• LAST UPDATED : April 9, 2023

इंडिया न्यूज़,  चंडीगढ़ (Haryana government on Primery Education): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में हर बच्चे को शिक्षा के माध्यम से देश की मुख्यधारा में लाने के लिए जीरो ड्रॉप आउट की नीति पर काम किया जा रहा है ताकि अगले वर्ष तक प्रदेश में कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर ना रहें। इसके लिए छ: से 18 वर्ष आयु के करीब 48 लाख बच्चों के शिक्षा के स्टेटस को जानने के लिए ट्रैक किया जा रहा है।

उन्होंने यह बात शनिवार को गुरुग्राम के सेक्टर 49 स्थित सत्या स्कूल के शुभारंभ करने के उपरांत विद्यार्थियों, अभिभावकों व शिक्षकों को संबोधित करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने स्कूल का उद्घाटन करने के उपरांत नवनिर्मित भवन का अवलोकन करते हुए अलग-अलग कक्षाओं व लैब में जाकर विद्यार्थियों की रचनात्मक प्रतिभा के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरक व्यक्तित्वों के बारे में भी बताया और सवाल भी पूछे।

हरियाणा में 2025 तक लागू होगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

मनोहर लाल ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) योजना का जिक्र करते हुए बताया कि इस योजना से अगले वर्ष तक प्रदेश के सभी 135 खण्डों में दो-दो अर्थात कुल 270  पीएम-श्री स्कूल खोले जाएंगे। हर खण्ड में यह मॉडल स्कूल होंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार इन स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि बच्चों को संस्कार के साथ शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है। जिसे देश भर में 2030 तक लागू करने का लक्ष्य रखा गया लेकिन हरियाणा में इसे 2025 तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा।

कोविड काल में दिखा भारत का टैलेंट

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य के निर्माण में शिक्षा के मंदिरों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत प्राचीन समय में उच्च कोटि की शिक्षा का केंद्र रहा है। अब भी देश में टैलेंट की कमी नहीं है और दुनिया की बड़ी कंपनियों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों व अंतरिक्ष से जुड़े कार्यक्रमों में भारतीयों की संख्या प्रशंसनीय है।

उन्होंने कोविड काल का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस दौर को चुनौती के रूप में स्वीकारा और भारतीय वैज्ञानिकों ने कम समय में दो-दो वैक्सीन तैयार कर दुनिया को एक नई राह दिखाई। इसी टेलेंट से वैक्सीन के मामले में अपने देश के साथ दूसरे देशों की मदद करने में भारत सक्षम साबित हुआ।

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