इंडिया न्यूज, चंडीगढ़ (Dera mukhi parole case) : डेरा सिरसा के मुखी गुरमीत राम रहीम को पैरोल दिए जाने के खिलाफ एसजीपीसी की याचिका पर आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा राम रहीम को हरियाणा सरकार से मिली पैरोल को चुनौती दी गई है।
हालांकि, हरियाणा सरकार निर्धारित नियमों के तहत पैरोल देने का हवाला दे चुकी है। ज्ञात रहे कि गुरमीत राम रहीम पिछले दिनों जेल से पैरोल पर आया था। वर्तमान में वह पैरोल की समयावधि पूरी होने के बाद वापस जेल लौट चुका है, लेकिन मामले में हाईकोर्ट के निर्देश और आदेशों से उसे भविष्य में मिलने वाली पैरोल पर असर पड़ सकता है।
एसजीपीसी द्वारा दायर याचिका में डेरा प्रमुख राम रहीम समेत हरियाणा सरकार व अन्यों को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया है। इनमें हरियाणा के मुख्य सचिव, गृह सचिव, रोहतक आयुक्त, पुलिस महानिदेशक, पंजाब गृह विभाग के प्रधान सचिव, केंद्रीय गृह सचिव, सुनारिया जेल अधीक्षक और रोहतक डीसी को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में रोहतक मंडल आयुक्त द्वारा पैरोल देने में वैधानिक नियमों का उल्लंघन किए जाने के आरोप लगाए गए हैं।
ज्ञात रहे कि एसजीपीसी ने 20 जनवरी को रोहतक आयुक्त द्वारा राम रहीम को 40 दिन की पैरोल देने के आदेश को हरियाणा सदाचार कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा-11 के प्रावधान के खिलाफ बताते हुए इसे रद करने की मांग की गई थी। एसजीपीसी का कहना था कि डेरा मुखी हर बार पैरोल पर आकर कई तरह के ऐसे बयान देता है जिससे भाईचारा प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही उसका कहना था कि इतने ज्यादा आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता होने के बाद भी डेरा मुखी को इतनी आसानी से पैरोल देना सही नहीं है।