India News (इंडिया न्यूज),Changing the Method of Hanging,दिल्ली : भारत सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह देश में मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी देने के तरीका बदलने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर रहा है। केंद्र के इस जबाव पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद की जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कि कहा कि चूंकि सरकार विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के उनके सुझाव पर विचार कर रही है और विचार-विमर्श चल रहा है। इसलिए इस पर आगे तभी सुनवाई हो पाएगी जब रिपोर्ट आ जाए।
आर वैंकटरमणी ने कहा कि प्रस्तावित पैनल के लिए नामों को अंतिम रूप देने से संबंधित प्रक्रियाएं हैं और वह कुछ समय बाद इस मुद्दे पर जवाब दे पाएंगे।
पीठ ने कहा, “विद्वान अटार्नी जनरल ने कहा है कि एक समिति नियुक्त करने की प्रक्रिया विचाराधीन थी। उपरोक्त के मद्देनजर, हम (ग्रीष्मकालीन) अवकाश के बाद एक निश्चित तारीख देंगे।”
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को कहा था कि वह यह जांचने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर सकती है कि क्या मौत की सजा के दोषियों को फांसी की सजा आनुपातिक और कम दर्दनाक थी और उसने केंद्र से “बेहतर डेटा” की मांग की थी। कार्यान्वयन।
दरअसल, वकील ऋषि मल्होत्रा ने 2017 में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें मौत की सजा के दोषी को फांसी देने की मौजूदा प्रथा को खत्म करने और इसे लैथल इंजेक्शन या गोली मार कर सजा-ए-मौत या किसी अन्य ऐसे तरीके से सजा देने की मांग की थी जिससे दोषी को कम से कम पीड़ा हो।
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