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Haryana Assembly Election : डगर नहीं है आसान, क्या जजपा लेगी बड़ा फैसला

• LAST UPDATED : May 3, 2023
  • विधानसभा चुनाव से पहले कठिन होती जजपा की डगर
  • मुख्यमंत्री समेत भाजपा के कई दिग्गज दे चुके हैं जजपा को नसीहत

India News (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly Election, चंडीगढ़ : हरियाणा में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव है। जिसको लेकर सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं। सत्ताधारी भाजपा जहां कोशिश में है कि तीसरी बार भी वह सत्ता में आए तो वहीं विपक्षी दल कांग्रेस और इनेलो की पूरी कोशिश है कि स्वयं हर हाल में सत्ता में आना सुनिश्चित किया जाए। लेकिन फिलहाल जो राजनीतिक परिदृश्य है, उससे साफ नजर आ रहा है कि किसी की भी डगर आसान नहीं है।

भाजपा बिना जजपा की बैसाखियों के भी राजपाट चलाने में सक्षम…

इसी बीच ये गाहे-बगाहे सामने आ रहा है कि सत्ता में सहयोगी जजपा की मुश्किलों में निरंतर इजाफा हो रहा है। जजपा के लिए सबसे ज्यादा दिक्कत भाजपा की तरफ से पेश आती नजर आ रही है, जिसके साथ जजपा सत्ता में राजनीतिक अनुज की भूमिका निभा रही है। इसी कड़ी में जजपा को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का ताजा बयान जजपा के लिए काफी मुश्किलें पैदा करने वाला महसूस किया जा रहा है। इससे पहले भाजपा के कई दिग्गज साफ कर चुके हैं कि जजपा किसी भी लिहाज से भाजपा की मजबूरी नहीं है। भाजपा बिना जजपा की बैसाखियों के भी राजपाट चलाने में सक्षम है।

सीएम बोले-सरकार मुख्य रूप से भाजपा की ही

सीएम मनोहर लाल ने एक तरह खुलकर पहली बार जजपा के लिए नसीहत वाली भाषावली का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि सत्ता मुख्य रूप से भाजपा ही चला रही है। पेंशन के मुद्दे पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार मुख्य रूप से भाजपा की ही है। सरकार कोई जजपा की नहीं है। जजपा हमारा सहयोग कर रही है। ऐसे में एक बात तो सीएम के बयान से साफ है कि वो जरूरत पड़ने पर कड़ा रुख भी ले सकते हैं। हालांकि कुछ समय जजपा से गठबंध को लेकर कहा था कि ये रिश्ता बना रहे तो अच्छी बात है। लेकिन फिलहाल उनके बयान के गूढ़ सियासी मायने हैं।

गठबंधन को लेकर भविष्य में क्या होगा, कुछ भी संभव

भाजपा ने कई दफा हिंट दिया है कि भविष्य में जजपा के साथ गठबंधन को लेकर कुछ भी निश्चित नहीं है। पार्टी के प्रभारी विप्लब देव कह चुके हैं कि गठबंधन को लेकर भविष्य में क्या होगा, कुछ नहीं कहा जा सकता। वहीं प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ कह चुके हैं कि जजपा की कोशिश है कि डिप्टी सीएम दुष्यंत के आगे डिप्टी शब्द हट जाए और जजपा चाहती है कि वो सीएम बनें। ये भी बता दें पिछले साल भाजपा ने निगम चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया था। बाद में जजपा की आपत्ति के बाद फिर दोनों ने एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया था।

पेंशन का मुद्दा जजपा के गले की फांस…

वहीं चुनाव से पहल जजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आते ही वो बुढ़ापा पेंशन 5,000 कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ लेकिन भाजपा का वादा 3000 रुपए करने का था। भाजपा हर साल इसमें इजाफा कर रही है। खुद सीएम मनोहर लाल ने स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि बुढ़ापा पेंशन 5000 करने का वादा जपा का था, हमारा नहीं। हमने 3000 का वादा किया था और हम कर देंगे। ऐसे में गाहे बगाहे बुढ़ापा पेंशन का यह मुद्दा जजपा के गले की फांस बना हुआ है।

विपक्षी दल जजपा को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे

जजपा को जहां कुछ हद तक समय-समय पर भाजपा की तरफ से हमला व परेशानी झेलनी पड़ी है। इसके अलावा पार्टी को विपक्षी दलों से भी जूझना पड़ रहा है। कांग्रेस कई मुद्दों को लेकर जजपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा जजपा को घेरनेे का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। इसके अलावा इनेलो दिग्गज और अभय चौटाला भी दुष्यंत चौटाला पर निरंतर हमलावर रहते हैं। वो सदन के अंदर और बाहर उनको घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

आखिर क्या रहने वाला है डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का रुख

मुख्यमंत्री के बयान के बाद अब सबकी नजर जजपा और इसके नेताओं पर है। सीधे-सीधे हर किसी की नजर इस पहलू पर है कि आखिर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का रुख क्या रहेगा। गठबंधन को लेकर कई दफा जजपा नेताओं का रुख भी धरातल पर आता रहा है। पार्टी के दिग्गज कहते रहे हैं कि वो गठबंधन धर्म निभाने के हक में हैं और इसको निभाएंगे। जिस तरह से भाजपा ने जजपा को लेकर जो रुख अपनाया है, उससे साफ है कि जजपा को भी अपना स्टैंड क्लीयर करना पड़ेगा।

जजपा ले सकती है बड़ा फैसला

जजपा को अच्छे से इस बात का आभास है कि भाजपा उसके ऊपर से अपनी निर्भरता काफी हद तक कम कर चुकी है और भाजपा को अब सरकार चलाने के लिए जजपा की कोई जरुरत नहीं है। निर्दलियों के समर्थन और आदमपुर उपचुनाव जीतने बाद भाजपा कांफिडेंट नजर आ रही है।

इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर जजपा आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव को लेकर पुख्ता रणनीति पर मंथन कर रही है। पार्टी को कई मुद्दे पर लोगों की खासी नाराजगी पेश आई है। आने आने वाले समय में जज्बा को भी कोई बड़ा फैसला लेना पड़ सकता है। चूंकि जजपा पर पूरी तरह से दुष्यंत व उनके परिवार का वर्चस्व है तो उनको कोई बड़ा फैसला लेने में किसी के आदेशों की जरुरत नहीं है।

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