होम / Rahul Gandhi: राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किए जाने के बहाने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकारा, पिटीशन खारिज

Rahul Gandhi: राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किए जाने के बहाने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकारा, पिटीशन खारिज

• LAST UPDATED : May 4, 2023

India News (इंडिया न्यूज),Rahul Gandhi,दिल्ली : वायनाड से पूर्व सांसद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए पूछा आप कौन हैं जो याचिका दायर कर रहे हैं। आप राहुल गांधी की सदस्यता रद्द किए जाने से कैसे प्रभावित हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप याचिका वापस लेते हैं या हम खारिज करें। अदालत का यह रुख देखकर याचिकाकर्ता के वकील ने तत्काल याचिका वापस लेली।

दरअसल, केरल निवासी आभा मुरलीधरन ने राहुल गांधी के मामले का हवाला देते हुए एक याचिका दाखिल की थी। आभा मुरलीधरन ने राहुल गांधी की सदस्यता भंग किए जाने के बहाने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) की संवैधानिकता को चुनौती दे डाली। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा, आप कौन हैं? क्या आपकी सदस्यता रद्द हुई है?

राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर

यहां यह बताना आवश्यक है कि कोलार में राहुल गांधी ने एक जनसभा में कुछ नामों का उदाहरण देते हुए कहा था कि सभी चोरों का नाम मोदी ही क्यों होता है। राहुल गांधी के इस बयान को पूरे मोदी समाज की मानहानि बताते हुए भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

इस मुकदमे की सुनवाई करते हुए गुजरात के सूरत की एक अदालत ने 23 मार्च को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। जिससे उनकी संसद सदस्यता चली गई। राहुल गाँधी ने सूरत के जिला और सत्र न्यायधीश के यहां से भी कोई राहत न मिलने पर गुजरात हाई कोर्ट में अपील की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने भी राहुल गांधी को तत्काल कोई राहत न देते हुए फैसला सुरक्षित रख दिया है।

यह भी पढ़ें : Mathura’s Krishnajanmabhoomi-Idgah dispute: राम मंदिर की तर्ज पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में तय होगा मथुरा के कृष्णजन्मभूमि-ईदगाह विवाद? फैसला रिजर्व

यह भी पढ़ें : Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्टः कार्यकारी निर्देश नियमों के पूरक हो सकते हैं, लेकिन वैधानिक नियमों की जगह नहीं ले सकते

Tags: