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Sharad Pawar’s resignation rejected : पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के शरद पवार के फैसले को पार्टी समिति ने किया खारिज

• LAST UPDATED : May 5, 2023
  • शरद पवार के फैसले ने राकांपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्तब्ध कर दिया था 

India News (इंडिया न्यूज़), Sharad Pawar’s resignation rejected, मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने शुक्रवार को कहा कि राकांपा का नया अध्यक्ष चुनने के लिए गठित की गई एक समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर, पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ने के शरद पवार के फैसले को खारिज कर दिया है।

पटेल ने समिति की बैठक के बाद कहा, “समिति ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव पवार के पद छोड़ने के फैसले को खारिज करता है और उनसे पार्टी का अध्यक्ष बने रहने का आग्रह करता है।” राकांपा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद दो मई को पवार ने, पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक समिति का गठन किया था जिसमें उनके भतीजे अजीत पवार, पुत्री सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल थे।

समिति के उपाध्यक्ष और संयोजक पटेल ने कहा, “हम इस प्रस्ताव के साथ पवार साहब से मुलाकात करेंगे और उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेंगे।” पटेल ने कहा कि पार्टी और देश को पवार जैसे नेता की जरूरत है।उन्होंने कहा, “पवार साहब देश के एक सम्मानित नेता हैं। पवार के फैसले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया सामने आईं। भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सका।”

जब समिति की बैठक हो रही थी तब “मैं साहेब के साथ हूं” संदेश वाली टोपी पहने राकांपा के कई कार्यकर्ताओं ने मांग की कि शरद पवार पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। पवार ने मंगलवार को उस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था, जिसकी स्थापना उन्होंने 1999 में की थी । उस समय उन्होंने अपना राजनीतिक रास्ता तय करने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। एक कार्यक्रम में की गई घोषणा ने 24 साल पुरानी राकांपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्तब्ध कर दिया।

राज्यसभा सदस्य और विपक्ष के दिग्गज नेताओं में से एक, पवार ने तब कहा था कि वह राकांपा प्रमुख का पद छोड़ रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक जीवन से संन्यास नहीं ले रहे हैं। यह घोषणा उन अटकलों के बीच की गई कि पवार के भतीजे अजीत पवार और कुछ विधायक सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिला सकते हैं। हालांकि, पूर्व उपमुख्यमंत्री ने इस बात का खंडन करते हुए दावा किया था कि वह आजीवन राकांपा के साथ रहेंगे।

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