India News (इंडिया न्यूज),Allahabad High Court,इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक घोषित भगोड़ा अपराधी भी अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगा सकता है। उसको सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने से मना नहीं किया जा सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की खंडपीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 82 और धारा 438 घोषित भगोड़े अपराधियों के अग्रिम जमानत के आवेदन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकती है।
दहेज हत्या और उत्पीड़न के आरोपी उदित आर्य की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा सीआरपीसी की कोई भी धारा आरोपी के जमानत आवेदन को बाधित नहीं करती है इसलिए वो जमानत का अधिकारी है। यह कहते हुए कोर्ट ने उसे अग्रिम जमानत दे दी। दरअसल, मेरठ के गंगानगर थानार्तगत मृतका का पिता ने 2021 में आरोपी दामाद पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था। वो तभी से फरार चल रहा था।
हाईकोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए निर्देश दिए कि उपरोक्त अपराध के मामले में अभियुक्त को अदालत की संतुष्टि के लिए एक व्यक्तिगत और दो जमानतदारों को प्रस्तुत करने पर मुकदमे की समाप्ति तक अग्रिम जमानत दी जाए।