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Online Fraud: जागरूकता की कमी के चलते ऑनलाइन पैसे के लेनदेन में बढ़ रहे हैं साइबर अपराध : एसपी शशांक कुमार सावन

• LAST UPDATED : May 15, 2023

India News (इंडिया न्यूज),Online Fraud, इशिका ठाकुर,करनाल : ऑनलाइन लेनदेन के बढ़ रहे चलन के साथ-साथ साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। करनाल में भी रोजाना साइबर ठगी से जुड़े ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिन्हें ट्रेस करना पुलिस के लिए सिर दर्दी बन चुका है। हर रोज ठग कोई ना कोई तरीका अपनाकर लोगों को ठग रहे हैं। जनवरी माह से लेकर अप्रैल तक करनाल में 1250 लोगों से साइबर ठगी हुई है। जिनमें से सौ के गरीब मुकदमे पुलिस द्वारा दर्ज किये गए हैं।

100 के करीब मुकदमा दर्ज

जिला पुलिस अधीक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार की नीतियों के अनुसार जितनी तेजी से ऑनलाइन पैसे के लेनदेन का चलन बढ़ता जा रहा है इतनी तेजी से लोगों में ऑनलाइन लेनदेन को लेकर जागरूकता नहीं बढ़ रही है। जिसके कारण अक्सर देखा गया है कि जागरूकता की कमी के कारण लोग अपना ओटीपी शेयर कर देते हैं भले ही उन्हें अपना यूपीआई आईडी शेयर करना नहीं आता तो फिर भी वह ओटीपी सांझा कर लेते हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि वर्ष 2023 में 1250 शिकायतें इस संबंध में अभी तक आई हैं जिनमें से 100 के करीब मुकदमा दर्ज कर लिए गए हैं। इसके अलावा पुलिस की कोशिश है कि सबसे पहले जिस खाताधारक की शिकायत पुलिस के पास आई है उस खाते को फ्रीज करवाया जाए। अभी तक लगभग 20 से 25 लाख के फ्रोजन अकाउंट है जिन्हें कोर्ट की अनुमति पर रिकवरी करवाने का प्रयास किया जाता है और जो मामले F.I.R में बदल जाते हैं उनके आरोपियों को पकड़ने का पुलिस द्वारा प्रयास किया जाता है। अक्सर देखा गया कि साइबर ठगी करने वाले अपराधी काफी दूरदराज के होते हैं। जो अन्य राज्यों से जुड़े होते हैं इनको लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अंतर राज्य बैठकें की जा रही हैं। अभी हाल ही में नूह क्षेत्र में कई अपराधी पकड़े गए हैं जिनमें से तीन अपराधी करनाल से जुड़े हुए हैं। जिनकी जांच चल रही है और इनसे और अधिक केस समझ सकते हैं।

दूसरे देशों के साइबर ठगों द्वारा की गई ठंडी के मामले पर बोलते हुए पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन ने कहा कि 95 प्रतिशत केस भारत से ही जुड़े हुए हैं जिनमें मेवात, भरतपुर क्षेत्र के हैं, लेकिन कई मामलों में चाइना से संबंधित मामले भी आए हैं जिनकी एप के द्वारा साइबर ठग ठगी को अंजाम देते हैं। लेकिन इसके साथ साथ कई अन्य क्षेत्र भी इसमें शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भले ही साइबर ठगी के तरीके जरूर बदल जाते हैं लेकिन उनका टारगेट सामने वाले को लालच देने का ही होता है। यदि कोई भी व्यक्ति इस संबंध में जागरूक है तो वह ऐसे ट्रको के झांसे में नहीं आएगा। इसके लिए स्कूल कॉलेजों आदि में जागरूकता अभियान चलाकर साइबर ठगी से लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। साइबर ठगी की रोकथाम के लिए पुलिस द्वारा समय-समय पर प्रचार के माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जाता है। पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सामान्य साइबर अपराध से बचने को लेकर लोगों से जागरूक रहने के लिए अपील भी की।

कैसे बचा जा सकता है साइबर ठगी से

  • बैंक कार्ड धारक को कभी भी अपने क्रेडिट, डेबिट कार्ड की फोटो को कहीं पर पोस्ट नहीं करना चाहिए और ना ही कार्ड पर पासवर्ड अंकित करना चाहिए।
  • क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ट्राजेक्शन केवल सुरक्षित और विश्वसनीय वेबसाइट (https) पर ही करना चाहिए।
  • कार्ड की ऑनलाइन डिटेल डालते समय ऑटोफिल / Auto Fill को डिसेबल रखना चाहिए और समय-समय पर वेब ब्राउजर की कैशे मेमोरी डिलीट करते रहना चाहिए।

कार्ड को कभी भी वेबसाइट पर सेव करके नहीं रखना चाहिए

पब्लिक और फ्री वाई-फाई इंटरनेट का प्रयोग करते समय अपने बैंक कार्ड की डिटेल ना डालें। कुछ बैंक कार्ड अनसिक्योर / unsecure होते हैं। इन कार्ड से स्वाइप मशीन पर बिना ओटीपी या पिन के भी ट्रांजेक्शन हो जाता है। ऐसे में बैंक से संपर्क करके कार्ड धारक को अपना कार्ड बदलवा लेना चाहिए।

  1. अपने ऑन लाइन वॉलेट का पासवर्ड और कार्ड का पिन नंबर समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।
  2. बैंकिंग या शॉपिंग साइट के URL पर लॉक (ताले) का निशान जरूर देखें।
  3. बैंकिंग अकाउंट पर या ऑनलाइन शॉपिंग के समय ट्रांजेक्शन होने के बाद ग्राहक को लॉग आउट कर लेना चाहिए।
  4. कंप्यूटर या लैप टॉप में हमेशा लेटेस्ट और पेड एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करना चाहिए।
  5. फिशिंगई -मेल और फर्जी फोन कॉल्स को लेकर सचेत रहना चाहिए ध्यान रखें कि कोई भी बैंक, वेबसाइट या इंश्योरेंस कंपनी आपके क्रेडिट-डेबिट कार्ड की डिटेल या सीवीवी नहीं मांगती है।

हमेशा स्मार्ट फोन पर ऐप इंस्टॉल करते समय उसे जरूरत के हिसाब से ही एक्सेस दें। एसएमएस, कॉल और गैलरी का एक्सेस मांगने वाले ऐप्स का यूज ना करने की कोशिश करें। अगर इस तरह के ऐप का यूज करना जरूरी है तो उन्हें केवल एक बार के लिए एक्सेस दें और अकाउंट वेरिफाई होने के बाद एक्सेस रद्द कर दें।

ऑनलाइन लेनदेन के लिये अलग से बैंक अकाउंट रखें

जॉब फॉड से बचें इसमें जालसाज ग्राहक को ई-मेल आइडी व पासवर्ड उपलब्ध करवाता है, ई-मेल के अंदर एक लिंक दिया होता है जिसमें जॉब से संबन्धित जानकारी होने की बात कही जाती है। ई-मेल को मोबाईल में न करने के बाद दिये गये लिंक पर क्लिक करते ही ग्राहक का मोबाईल पर कंट्रोल X जसका ऑन लाईन एक्सस जालसाज के पास पंहुच जाता है और जालसाज वित्ती बड़ी को आसानी से अंजाम देने के बाद लॉग आउट कर जाता है।

  • ईमेल आईडी का पासवर्ड ना तो अपना मोबाइल रखे ना ही अपना नाम और अपनी डेट ऑफ बर्थ को भी ईमेल का पासवर्ड ना बनाएं।
  • अपनी मेल आईडी लॉग इन करने के बाद टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन फीचर्स को ऑन कर दे।
  • क्रेडिट कार्ड इंश्योरेंस और क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने वाली फोन कॉल से बच्चे।
  • किसी भी मोबाइल एप्लीकेशन को डाउनलोड करते समय स्टार्टिंग में उसे पढ़ कर ही अपना एक्सेस दें।
  • सार्वजनिक जगह पर लगे यूएसबी मोबाइल चार्जर पर कभी भी अपना मोबाइल चार्ज ना करें अगर आप मोबाइल चार्ज करते हैं तो उसे ऑफ कर कर ही चार्ज करें।

एसपी शशांक कुमार सावन ने बताया कि साइबर ठग अक्सर ठगी को अंजाम देने के लिए ओटीपी मांगते हैं या फिर कोई लिंक शेयर करते हैं जिसे क्लिक करते ही खाताधारक के खाते से पेमेंट कट जाती है। यह भी देखा गया है कि साइबर ठग वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते हुए साइबर ठगी को अंजाम देते हैं।

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