India News (इंडिया न्यूज), World Turtle Day 2023, चंडीगढ़। हरियाणा का एक जिला ऐसा है, जहां का एक गांव काफी प्रसिद्ध होता जा रहा है। इतना ही नहीं, यह एक पर्यटन स्थल भी बन चुका है। आज हम बात कर रहे हैं जिला फतेहाबाद के गांव काजलहेड़ी की क्योंकि यहां के एक तालाब में लगभग 100 वर्ष पुराने कछुए आज भी सुरक्षित माहौल में पल रहे हैं। जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से इस गांव में पहुंचते हैं।
बड़ी बात यह भी है अगर इस तालाब के पास ताली बजाई जाती है तो तुरंत ही सभी कछुए पानी से बाहर निकल आते हैं। इस कारण दृश्य काफी आकर्षक हो जाता है। बिश्नोई बहुल गांव होने के कारण यहां जीव रक्षकों की कमी नहीं है। यही जीवरक्षक इन कछुओं की रक्षा करते हैं और इनके खाने का बंदोबस्त करते हैं।
एनपीसीआईएल यानि न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने सुरक्षा के मद्देनजर तालाब के चारों ओर जाली लगवा दी है ताकि किसी भी तरह से इन कछुओं को कोई नुकसान न पहुंचा सके। बीते एक वर्ष की बात करें तो एक वर्ष में इंडियन सॉफ्ट सॉल प्रजाति के 25 से 30 नए कछुओं ने जन्म लिया है।
कछुओं के होने का प्रमुख कारण तालाब के पास नाथों का धुणा होना बताया गया है। ग्रामीण बताते हैं कि नाथ संप्रदाय के लोग गंगा नदी में स्थान करने जाते थे तो उस समय कछुए साथ ले आते थे। धीरे-धीरे यहां कछुओं की संख्या बढ़ती गई।
सरपंच प्रतिनिधि का कहना है कि काजलहेड़ी में 300 वर्ष से पहले से तालाब बना हुआ है। आज 5 एकड़ में बने इस तालाब में लगभग 200 से ज्यादा कछुओं की संख्या है। पहल इस तालाब में कुछ ही कछुए थे लेकिन बाद में धीरे-धीरे इन कछुओं की संख्या बढ़ती गई। फिलहाल पांच एकड़ से बड़े इस तालाब में करीब 200 से अधिक कछुए पल रहे हैं।
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जिस किसी को भी वर्षों पुराने इन कछुओं के बारे में जानकारी मिलती है वह कई किलोमीटर दूरी से भी इन कछुओं को देखने के लिए गांव काजलहेड़ी आते हैं। वीकेंड में इन कछुओं को देखने के लिए सैंकड़ों लोग यहां पहुंचते हैं।
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