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Haryana Politics Update : हरियाणा में सियासी तूफान, निर्दलीयों के मन में मंत्री पद की हिलोर

• LAST UPDATED : June 10, 2023
  • अब तक 5 निर्दलीय विधायकों ने 2 दिन में भाजपा इंचार्ज से दिल्ली में की मुलाकात

  • भाजपा प्रभारी बिप्लब देव ने चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री से मामले को लेकर की बैठक

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Politics Update, चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनावों की आहट से पहले ही प्रदेश की राजनीति में जमकर खींचतान चल रही है। पिछले 2 दिनों से तो हरियाणा की राजनीति में सियासी भूचाल आया हुआ है। कुछ दिन पहले तक तो सबकी नजरें मुख्य सत्ताधारी दल भाजपा और सहयोगी के बीच गठबंधन को लेकर बयानबाजी तक ही सीमित रही। इसी कड़ी में 8 जून को चार निर्दलीय विधायकों ने भाजपा प्रभारी बिप्लब देव से मुलाकात की। इसके बाद नए सियासी समीकरणों की आहट मजबूत होने लगी।

रही-सही कसर 9 जून को पूरी हो गई, जब हलोपा विधायक ने बिप्लब देव से मुलाकात की। इसके अलावा निर्दलीय विधायक व कैबिनेट मिनिस्टर रणजीत सिंह भाजपा प्रभारी से मुलाकात करेंगे। इसके बाद तो सोशल मीडिया पर भाजपा और जजपा के बीच गठबंधन टूटने की चर्चाएं बलवती हो गई। राजनीति में कब क्या हो जाए, पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता, वहीं एक बात साफ है कि जिस तरह से निर्दलीय विधायक खुलकर भाजपा के समर्थन में आए हैं, उससे जजपा के खेमे में हलचल बढ़ गई है।

गोपाल कांडा बोले-सभी निर्दलीय भाजपा के साथ

मामले को लेकर हलोपा से विधायक गोपाल कांडा ने पहले से ही भाजपा को समर्थन दे रखा है। उनके भाई भाजपा के टिकट पर ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने भी भाजपा प्रभारी से शुक्रवार को दिल्ली में मुलाकात की। उन्होंने जजपा के साथ जारी घमासान पर कहा कि सभी निर्दलीय विधायक पूरी तरह से भाजपा के साथ हैं और पार्टी को जजपा से गठबंधन की कोई जरूरत नहीं है। माना जा रहा है कि कांडा भी मंत्री पद की चाह रखे हुए हैं।

सांगवान छाए रहे सुर्खियों में, बोले मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली तो बखूबी निभाएंगे

वहीं निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने भी भाजपा को समर्थन दे रखा है। शुक्रवार को वे निरंतर सुर्खियों में रहे। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रभारी को जजपा के साथ गठबंधन नहीं रखने का सुझाव दिया है। जजपा की कमियों के चलते भाजपा को नुकसान हो रहा है। इस बारे में उन्होंने अवगत करवा दिया है।

वहीं गठबंधन टूटने की स्थिति में मंत्री बनने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि अगर सरकार उनको कोई भी जिम्मेदारी देगी तो वो उसको पूरे मन से निभाएंगे। साथ ही सांगवान ने खुलासा किया कि जजपा के कई असंतुष्ट एमएलए भाजपा का दामन कभी भी थाम सकते हैं। वहीं ये बता दें कि ये किसी से छिपा नहीं कि जजपा कोटे से मंत्री बने देवेंद्र बबली सीएम की गुड बुक्स में हैं और कई बार दुष्यंत चौटाला पर ही सवाल उठा चुके हैं। रामकुमार गौतम शुरू से ही खिलाफत में हैं। रामनिवास सुरजाखेडा और ईश्वर सिंह भी कई दफा अपने देवर दिखा चुके हैं।

जानिए निर्दलीय विधायकों के समीकरण 

हरियाणा में 7 निर्दलीय विधायक हैं जिसमें पूंडरी से रणधीर गोलन, महम से बलराज कुंडू, रानियां से रणजीत सिंह, बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद, दादरी से सोमबीर सांगवान, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और पृथला से नयनपाल रावत हैं। एक अन्य हलोपा के विधायक गोपाल कांडा है। उधर भाजपा के पास 41, कांग्रेस के पास 30, जजपा 10, इनेलो 1 और हलोपा के पास 1 विधायक है। निर्दलीय विधायकों में महम के बलराज कुंडू को छोड़कर बाकी 7 सभी विधायक सरकार के साथ है। निर्दलीय विधायकों में से रणजीत सिंह को सरकार ने बिजली मंत्री बनाया हुआ है, जबकि कुछ विधायकों को चेयरमैनी दी । हालांकि फिलहाल चेयरमैन के कई पद खाली पड़े हुए हैं।

दुष्यंत व बीरेंद्र सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई केवल उचाना तक ही सीमित नहीं

राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये सियासी लड़ाई केवल उचाना सीट तक ही सीमित नहीं है। मामला हिसार व आसपास की दर्जनभर सीटों को लेकर भी काफी कुछ राजनीतिक रूप से तय होना है। इस बात का खासा इल्म भाजपा और जजपा दोनों को है। वहीं ये भी बता दें कि उचाना में 1977 से लेकर अब तक 46 साल में लगभग 22 साल चौधरी बीरेंद्र या उनके परिवार ने प्रतिनिधित्व किया। लगभग 9 साल चौटाला परिवार ने किया। वहीं उचाना के पिछड़ा होने का मुद्दा हर बार चर्चा में रहा है। भाजपा दिग्गज भी निरंतर चौधरी बीरेंद्र सिंह के समर्थन में बयान दे रहे हैं कि बीरेंद्र सिंह का परिवार कोई छोटा परिवार नहीं है। वे खानदानी राजनीतिक लोग हैं, इसलिए किसी के लिए मैदान खाली नहीं है।

इनेलो और कांग्रेस भी हुई हमलावर

जारी मामले पर इनेलो भी चटकारे ले रही रही है। विवाद पर अभय चौटाला ने कहा कि भाजपा वाले पीछा छुड़ाना चाहते हैं, जजपा नेता इतने बेशर्म हैं कि चिपके पड़े हैं और स्वार्थ के चलते गठबंधन में रहना चाहते हैं। अभय का कहना है कि भाजपा लगातार चाह रही है कि उसका पिंड जजपा से छुट जाए, लेकिन जजपा लोभ में अटकी है। ये इस बात से साफ है कि हर रोज भाजपा का कोई न कोई बड़ा नेता जजपा के खिलाफ बयान देता है और इनकी जमकर बेइज्जती करता है, लेकिन बावजूद इसके जजपा सब चुपचाप सहन कर रही है। वहीं कांग्रेस भी निरंतर कह रही है कि दोनों पार्टियों के मन पहले ही नहीं मिले थे और जब जजपा ने सत्ता की मलाई अब तक चखी है तो अब क्या दिक्कत हो गई।

पांच निर्दलीय एकतरफा भाजपा के साथ, बाकी भी पीछे नहीं

9 जून तक पांच निर्दलीय विधायक भाजपा प्रभारी से मुलाकात कर चुके हैं। 8 जून को 4 निर्दलीय विधायकों ने उनसे मुलाकात की और निर्दलीय विधायकों में धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान शामिल रहे। इन सभी ने भाजपा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि वो किसी भी हालत में भाजपा को समर्थन देने से पीछे नहीं हैं। इसके बाद 9 जून को उन्होंने हलोपा के गोपाल कांडा ने मुलाकात की।

वहीं एक और निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत अभी तक भाजपा प्रभारी से नहीं मिले। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि वो बाहर हैं। भाजपा सरकार द्वारा उनको चेयरमैन भी बनाया गया था और उनका कार्यकाल खत्म हो गया है। हालांकि वो शुरू से सीएम मनोहर लाल के करीब हैं और भाजपा के समर्थन में खड़े हैं।

दुष्यंत बोले सब ठीक-ठाक, बीरेंद्र सिंह ने गठबंधन तोड़ने की वकालत की

वहीं पूरे मामले पर रोहतक में डिप्टी सीएम और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गठबंधन प्रदेश को स्थिर सरकार देने के लिए किया गया था। गठबंधन भाजपा और जजपा किसी की मजबूरी नहीं था। अब भी गठबंधन अच्छे से चल रहा है। दोनों पार्टियों की इच्छा तो यही है कि गठबंधन चले। वहीं मामले पर भाजपा दिग्गज चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि गठबंधन रहने से पार्टी को कोई बड़ा फायदा नहीं होने वाला। निर्दलीय विधायक पूरी तरह से भाजपा के साथ हैं।

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