नए दौर में बदल रहा संसदीय कार्य का स्वरूप, जरूरतें बढ़ीं, चंडीगढ़ प्रशासन से चाहिए आधुनिक विधान भवन के लिए जगह…
जी हां,
हरियाणा विधानसभा(Haryana Legislative Assembly) अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता की मानें तो अब बड़े विधानसभा भवन की जरूरत है. सदन की कार्यवाही और सचिवालय के काम में जगह की कमी का स्थायी समाधान निकालने के लिए ज्ञानचंद गुप्ता ने संसद भवन और नवगठित राज्यों के आधुनिक विधान भवनों की तर्ज पर हरियाणा के लिए भी शानदार और बड़े विधान भवन की मांग की है. इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष ने प्रदेश और केंद्र सरकार के साथ-साथ लोकसभा अध्यक्ष को भी चिट्ठी लिखी है. गुप्ता ने कहा कि समय बदल रहा है, दौर बदल रहा है, ऐसे में संसदीय कार्य का स्वरूप भी बदल रहा है. इसीलिए अब पर्याप्त जगह तो चाहिए ही, साथ ही आधुनिक तकनीक से लेस संचार ढांचा भी जरूरी है. इसलिए प्रदेश सरकार को चंडीगढ़ प्रशासन से नए विधान भवन के लिए जगह की मांग करनी चाहिए। योजना में विपक्ष को भी साझीदार बनाने के लिए चिट्ठी की एक कॉपी नेता विपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र हुड्डा को भी भेजी गई है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्रालय और लोक सभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि राज्य के अस्तित्व में आने के करीब 55 साल बाद भी हरियाणा विधानसभा स्थान अभाव का दंश झेल रही है. उन्होंने कहा कि पंजाब से बंटवारे के वक्त हुए समझौते के अनुसार हरियाणा को उसका पूरा हिस्सा नहीं मिल पाया है. दोनों प्रांतों का एक ही विधान भवन होने के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है. देश के दूसरे राज्यों की मिसाल देते हुए गुप्ता ने कहा कि सभी राज्यों और कुछ केन्द्र शासित प्रदेशों के पास स्वतंत्र विधान भवन है. छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलगाना, उत्तराखंड और इसके अलावा कुछ ऐसे भी उदाहरण है, जहां पहले से विधानसभा भवन की इमारत होने बावजूद समय की मांग के अनुसार नवनिर्माण किए गए. राजस्थान विधानसभा का नवनिर्मित विधानभवन जयपुर में, गुजरात विधानसभा का गांधी नगर में, हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला स्थित विधान भवन इसके प्रमुख उदाहरण है. इतना ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी आवश्यकताओं के अनुसार नया संसद भवन बनाया जा रहा है.
विधान सभा(Haryana Legislative Assembly) अध्यक्ष ने पत्र में कहा है कि 2026 में प्रस्तावित परिसीमन में हरियाणा में लोक सभा की 14 और विधान सभा की 126 सीटें होने का अनुमान है, लेकिन विधानसभा के सदन में 90 विधायकों के बैठने की ही व्यवस्था है. इसके अलावा एक भी विधायक के लिए स्थान बनाना यहां मुश्किल काम है. गुप्ता ने कहा कि 2026 के मात्र 5 वर्ष का समय शेष हैं, इसलिए इस दिशा में अभी से विचार कर योजना बनानी होगी. इसके अलावा विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रियों, समिति चैयरपर्सनस और विधायकों के बैठने का भी पर्याप्त स्थान नहीं है. पंजाब विधानसभा के लगभग सभी मंत्रियों को सत्र के दौरान उनके कार्यालय के लिए स्वतंत्र कमरों का प्रावधान है. वहीं, हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री के अलावा किसी भी मंत्री या समितियों के चैयरपर्सनस के बैठने के लिए व्यवस्था नहीं है. इस कारण से समितियों की बैठके सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है.इतना ही नहीं हरियाणा विधानसभा(Haryana Legislative Assembly) सचिवालय में सेवारत करीब 350 अधिकारियों व कर्मचारियों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं है. इस कारण से एक कमरे में 3 से 4 शाखाओं को समयोजित करना पड़ा है। दो प्रदेशों का साझा विधान भवन होने के कारण पार्किंग समस्या भी परेशानी का सबब बन चुकी है. सत्र के दिनों में यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है. इसके साथ ही प्रवेश द्वारों का मसला भी कई बार सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी बन जाता है. पंजाब विधानसभा की तर्ज पर हरियाणा विधानसभा परिसर में भी विधायक दलों के स्वतंत्र कार्यालयों का प्रावधान संसदीय कार्य की जरूरत बन चुका है. वर्तमान हरियाणा विधानसभा के पास जो स्थान उपलब्ध है, उसमें इस प्रकार की व्यवस्था करना संभव नहीं है.