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कैथल के इतिहास में मौत की सजा का पहला फैसला
India News (इंडिया न्यूज़), Kaithal Court Big Decision, चंडीगढ़ : अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. गगनदीप कौर सिंह की अदालत ने एक 7 साल की बच्ची के साथ रेप और उसके बाद निर्ममता से हत्या करने के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। कैथल के इतिहास में यह पहला ऐसा फैसला है कि किसी दोषी को मौत की सजा दी गई हो। इसके साथ ही बच्ची के मां-बाप को 30 लाख का मुआवजा भी दिया जाएगा।
इस बारे में बच्ची के पिता ने गत वर्ष 8 अक्टूबर को थाना कलायत में धारा 365, 366, 376-ए बी 302, 201 आईपीसी और धारा 6 पोक्सो एक्ट के तहत केस नंबर 395 दर्ज कराया था। बाद में जांच के बाद केस में आईपीसी की धारा 376 (3) भी जोड़ी गई थी। केस की विशेष बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 5 दिनों में चालान तैयार करके अदालत में पेश कर दिया। शिकायत पक्ष की ओर से केस की पैरवी उप जिला न्यायवादी जय भगवान गोयल ने की।उन्हें जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा नियुक्त वकील अरविंद खुरानिया ने सहयोग दिया।
पेट्रोल छिड़ककर लगाई थी आग
जय भगवान गोयल ने बताया कि गत वर्ष 8 अक्टूबर को दोषी पवन दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली 7 साल की बच्ची बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। उस समय बच्ची गली में खेल रही थी। जब बच्ची का काफी देर तक कुछ अता-पता नहीं चला तो कलायत थाने में अपहरण का केस दर्ज करवाया गया। अगले दिन दोपहर 3 बजे बच्ची का अधजला शव निकट के जंगलों में मिला। पुलिस ने मौके पर फॉरेंसिक टीम को बुलाया। इस संबंध में पवन को हिरासत में लिया गया क्योंकि यह युवक सीसीटीवी की फुटेज में शनिवार को बच्ची को अपने साथ ले जाते हुए नजर आ रहा था।
अगली सुबह ही तत्कालीन एसपी मकसूद अहमद, डीएसपी सज्जन कुमार, थाना कलायत के कार्यकारी एसएचओ महावीर सिंह, सीआईए वन व रिजर्व टीम गांव कुराड़ पहुंची। प्रथम दृष्टता आशंका जताई जा रही थी कि बच्ची के साथ हैवानियत कर उसके शव को आग के हवाले किया गया है। पूछताछ में पवन ने सारी वारदात का खुलासा किया। उसने बताया कि बच्ची से रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। वारदात के बाद सबूत मिटाने के मकसद से बच्ची के शव को पेट्रेल छिड़ककर जला दिया था।
केस की सुनवाई तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पूनम सुनेजा की अदालत में शुरू हुई। इस केस में 2 नवंबर को चार्ज लगाया गया था। मामले में कुल 34 गवाह पेश किए गए। जयभगवान गोयल ने बताया कि दिलबाग सिंह और मोहन ने सबसे पहले जंगल में बच्ची की अधजली लाश को देखा था। उसने सीसीटीवी फुटेज में भी बच्ची और आरोपी पवन की पहचान की। बहस के दौरान गोयल और खुरानिया ने अदालत को बताया कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केसों की कैटेगरी में आता है, इसलिए दोषी को मौत की सजा दी जाए। दूसरी ओर बचाव पक्ष के वकील ने भी दृढ़ता से पवन का पक्ष रखा। दोनों पक्षों को गौर से सुनने के बाद एडीजे डॉ. गगनदीप कौर सिंह ने पवन को रेप और हत्या का दोषी पाया तथा गवाहों और सबूतों की रोशनी में अपने 100 पेज के फैसले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई।
ऐसे दरिंदे को जीने का अधिकारी नहीं: कोर्ट
फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा घिनौना, जघन्य कृत्य करने वाले इंसान को जीने का कोई हक नहीं है। दोषी ने जिस प्रकार बच्ची के साथ दरिंदगी की है, वह सहन करने योग्य नहीं है। कानून ने सभी को जीने का अधिकार दिया है। यदि कोई इस अधिकार का हनन करता है तो उसे सबक सिखाना जरूरी है ताकि दूसरे लोगों को सीख मिले। इस प्रकार का अपराध करने वाले को माफ नहीं किया जा सकता।
बच्ची को न्याय मिला : पिता
वहीं बच्ची के पिता ने कहा कि आज उसकी बेटी को न्याय मिला है। उसका कानून और न्याय में विश्वास और भी बढ़ गया है। उसने कहा कि अदालत ने बहुत ही समझ बूझ से काम लिया तथा न्याय दिया। उसने गांव के लोगों, सरकार वकील और अदालत का धन्यवाद किया। आज फैसला सुनने गांव से काफी संख्या में लोग आए हुए थे।
अदालत ने सही और स्टीक फैसला दिया है: वकील
एडीजे जय भगवान गोयल और एडवोकेट अरविंद खुरानिया ने कहा कि इस प्रकार के जघन्य अपराधी को मौत की सजा ही मिलनी चाहिए थी। उन्होंने पूरे केस को गंभीरता से लड़ा और दोष को उसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए पैरवी की। यह केस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता है।