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Old Parliament House History : कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम, देश की लोकतंत्रिक यात्रा का साक्षी रहा पुराना संसद भवन

• LAST UPDATED : September 18, 2023

India News (इंडिया न्यूज), Old Parliament House History, नई दिल्ली : देश की पवित्र विधायिका के रूप में अपना दर्जा जल्द ही नए परिसर को सौंपने वाला पुराना संसद भवन 96 वर्ष से अधिक समय तक कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम और भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का साक्षी रहा। पुराने संसद भवन का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था।

इस इमारत ने औपनिवेशिक शासन, द्वितीय विश्व युद्ध, स्वतंत्रता की सुबह, संविधान को अंगीकार किए जाते और कई विधेयकों को पारित होते देखा, जिनमें से कई ऐतिहासिक एवं कई विवादित रहे। संसद के 18 सितंबर से शुरू होने वाले पांच दिन के विशेष सत्र के दौरान पहले दिन संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा रहेगी।

आपको जानकारी दे दें कि विशेष सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन से ही हुई लेकिन दूसरे दिन की कार्यवाही नए भवन में होगी। प्रधानमंत्री ने 28 मई को नए संसद परिसर का उद्घाटन किया था और आशा व्यक्त की थी कि नया भवन सशक्तीकरण, सपनों को प्रज्वलित करने और उन्हें वास्तविकता में बदलने का उद्गम स्थल बनेगा। उद्घाटन के समय कई सांसदों और मशहूर हस्तियों सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने नए परिसर के निर्माण की प्रशंसा की थी।

विधायी कामकाज के नए अत्याधुनिक भवन में स्थानांतरित होते ही भारत कई मायनों में इतिहास का एक पन्ना पलटेगा। इतिहासकार और वास्तुकार, पुरानी इमारत को ‘‘भारत के इतिहास और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार के केंद्र’’ और दिल्ली के ‘‘वास्तुशिल्प आभूषण’’ के रूप में वर्णित करते हैं।

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पहली मंजिल पर लाल बलुआ पत्थर के 144 स्तंभ वाला गोलाकार पुराना संसद भवन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। पुरानी इमारत का उस समय बहुत धूमधाम से उद्घाटन किया गया था, जब ब्रितानी राज की नयी शाही राजधानी – नयी दिल्ली – का रायसीना हिल क्षेत्र में निर्माण किया जा रहा था। अभिलेखीय दस्तावेजों और दुर्लभ पुरानी तस्वीरों के अनुसार, इस भव्य इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी, 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था। उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में जाना जाता था।.

कुल 560 फुट के व्यास और एक-तिहाई मील की परिधि वाली इस इमारत को सर हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था, जिन्हें सर एडविन लुटियंस के साथ रायसीना हिल क्षेत्र में नई शाही राजधानी को डिजाइन करने के लिए चुना गया था। ‘न्यू डेल्ही – मेकिंग ऑफ ए कैपिटल’ पुस्तक के अनुसार, लॉर्ड इरविन अपनी गाड़ी में ‘ग्रेट प्लेस’ (अब विजय चौक) पहुंचे थे और फिर उन्होंने ‘‘सर हर्बर्ट बेकर द्वारा उन्हें सौंपी गई सुनहरी चाबी से ‘काउंसिल हाउस’ का दरवाजा खोला था।’’ उस समय घरेलू और विदेशी मीडिया में संसद भवन के उद्घाटन ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।

छह एकड़ क्षेत्र में फैला है पूराना संसद भवन

लगभग छह एकड़ क्षेत्र में फैली यह विशाल इमारत दुनिया की सबसे विशिष्ट संसद भवनों में से एक है और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त संरचनाओं में शामिल है। इस भवन में संसद की पिछली बैठक अगस्त में मानसून सत्र के दौरान हुई थी। यह सत्र 11 अगस्त को समाप्त हुआ। इस दौरान 23 दिन में 17 बैठक हुईं। प्रसिद्ध वास्तुकार और शहरी योजनाकार ए जी के मेनन ने से कहा, ‘‘संसद भवन सिर्फ एक प्रतिष्ठित इमारत नहीं है, यह इतिहास और हमारे लोकतंत्र का भंडार है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने भविष्य में जगह की अधिक आवश्यकता का हवाला देते हुए नया परिसर बनाया और कहा कि यह ‘सेंट्रल विस्टा’ पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है।.

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, सवाल यह है कि क्या वास्तव में इसकी आवश्यकता थी? क्या हम इस पर विचार-विमर्श नहीं कर सकते थे, पुरानी संसद (भवन) में सुविधाओं में सुधार के तरीके नहीं ढूंढ सकते थे और इसमें लोकतंत्र की परंपरा को जारी नहीं रख सकते थे, जिसका यह भवन प्रतीक है? इस तरह की परियोजना के साथ आगे बढ़ने से पहले व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।’’

मेनन ने कहा कि इस ऐतिहासिक इमारत ने देश में आजादी का सवेरा होते देखा, इसके कक्षों ने 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक ‘ट्राइस्ट विद डेस्टिनी’ (नियति से साक्षात्कार) भाषण की गूंज सुनी और यहां संविधान सभा की बैठक हुई, उस पर चर्चा हुई और संविधान को पारित किया गया।

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