रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Anil Vij VS Khullar, चंडीगढ़ : हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पिछले काफी लंबे समय से अपने विभाग की फाइल नहीं देख रहे। पिछले माह 5 अक्टूबर को उनके विभाग की मीटिंग सीपीएस टू सीएम आरके खुल्लर अधिकारी द्वारा लेने के बाद से वे काफी नाराज हैं और इसके बाद से ही वो विभाग की बैठक नहीं ले रहे। अब पूरे मामले में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि उनकी विज से बात हो चुकी है और उम्मीद है कि जल्द ही मामले का पटाक्षेप होगा।
विज द्वारा विभागीय कामकाज नहीं देखने का मामला निरंतर चर्चा में है। मामले अब केवल स्वास्थ्य विभाग तक की सीमित नहीं है। विज काफी समय से उनके ही अंडर आने वाले आयुष विभाग का कामकाज भी नहीं देख रहे। मामले पर सियासत भी हो रही है। जिस तरह से अनिल विज ने रुख अख्तियार किया हुआ है, उसकी चर्चा हर जगह है। मामले को लेकर उम्मीद जताई जा रही थी कि दिवाली के बाद इसका पटाक्षेप होगा, लेकिन फिलहाल तक मामले का समाधान नहीं हुआ।
मामले को लेकर जिस तरह से सीएम ने बातचीत की है, उससे साफ है कि जल्दी ही मामला का पटाक्षेप हो जाएगा। ये भी संभावना बताई जा रही है कि अधिकारियों के फेरबदल को लेकर भी विज अपनी बात रखें। वहीं विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जल्द ही कोई बीच का रास्ता निकलने की उम्मीद है। मामला हाईकमान के संज्ञान में है।
अनिल विज बार-बार कह चुके हैं कि उनको सीएम मनोहर लाल की ओर से कोई परेशानी नहीं है। बतौर मुख्यमंत्री किसी भी विभाग की मीटिंग ले सकते हैं और किसी भी मंत्री से जवाब-तलब कर सकते हैं। लेकिन कायदन कोई अधिकारी ऐसा नहीं कर सकता कि संबंधित विभाग के मंत्री को बताए बिना ही उसके विभाग की बैठक ले ले। विज के पास पहुंची रिपोर्ट अनुसार संबंधित अधिकारी को केंद्र से उनके विभाग की मीटिंग लेने के लिए कहा गया था, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नहीं था।
वहीं इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग की एसीएस जी. अनुपमा भी शामिल हुई थी। विज हवाला दे रहे हैं कि ऐसे में किसी भी अधिकारियों को मंत्री को सूचित किए बिना बैठक नहीं लेनी चाहिए। उनकी जानकारी के बिना यदि विभाग की मीटिंग कोई अधिकारी लेता है तो इसका सही संकेत नहीं जाएगा। इस तरह के मामले घटित नहीं होने चाहिए।
पिछले डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से अनिल विज हेल्थ और आयुष विभाग की फाइन साइन नहीं कर रहे। ऐसे में विभागीय कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इन दिनों डेंगू का भी प्रकोप जारी है और काम न होने के चलते यहां भी परेशानी खड़ी हो रही है। आप सांसद सुशील गुप्ता के अनुसार बड़े पैमाने पर फाइलों का ढेर लग गया है।
ऐसे में जरूरी है कि विभागीय काम बाधित न होने दिया जाए। उनका आरोप है कि राज्य में स्वास्थ्य विभाग सरकारी काम ठप पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग की 800 से ज्यादा फाइलें पेंडिंग हैं जिनका निपटान बेहद जरूरी है। इसके अलावा 600 से ज्यादा फाइलें होम डिपार्टमेंट भी लंबित हैं, जिनका काफी समय से निपटान नहीं हो पाया। वहीं पेंडिंग फाइलों को लेकर विज का कहना है कि मेरे पास जो भी फाइल आती है, मैंने हमेशा समय से पहले उनके निपटान को लेकर काम किया है। विपक्ष द्वारा फाइल पेंडिंग की बात गलत है। खुद सीएम मनोहर लाल भी इन आरोपों से इत्तेफाक नहीं रखते।
हरियाणा में अगले साल विधानसभा व लोकसभा चुनाव लंबित हैं। पूरे मामले को लेकर सियासत भी उफान पर है। विपक्ष मामले को लेकर सरकार को घेर रहा है तो वहीं चुनाव से पहले मामले को राजनीतिक एंगल से भी देखा व खंगाला जा रहा है। हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मामला लंबा खिंचने से सत्ताधारी भाजपा को काफी नुकसान है। ऐसे में जल्द से जल्द मामले का समाधान होना चाहिए।
मालूम रहे कि अनिल विज व सीनियर अधिकारियों में तनातनी कोई नई बात नहीं है। पूर्व में भी विज कई अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर चुके हैं। इस साल तो कई सीनियर अधिकारियों से तनातनी रही है। होम सेक्रेटरी टीवीएसएन प्रसाद व सीआईडी चीफ आलोक मित्तल के साथ अनिल विज के कुछ खास टर्म में नहीं हैं। नूंह हिंसा के बाद विज दोनों की कार्यशैली पर सवाल उठाए मामले की गूंज दूर तक गई। वर्तमान डीजीपी शत्रुजीत कपूर से वो पूर्व में आमने-सामने रहे हैं। इनके अलावा पूर्व होम सेक्रेटरी राजीव अरोड़ा की कार्यशैली को लेकर भी विज असंतुष्ट थे।
वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उक्त मामले के बारे में कहा कि मामला मेरे संज्ञान में है। अनिल विज से बात हुई है, उनसे मामले को लेकर मेरी बैठक भी हो चुकी है। उम्मीद है जल्द ही मामले का समाधान हो जाएगा। प्रशासनिक कार्यों में कई बार पेचीदगियां होती हैं, जल्दी ही इसको दूर किया जाएगा। जहां तक पेंडिंग फाइलों का मामला है, सवाल करने वालों को पहले ये पता होना चाहिए कि हर रोज रूटीन में कितनी फाइलें आती हैं।
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