India News Haryana (इंडिया न्यूज),Haryana HC: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक वयस्क बेटे का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है। यह फैसला उस महिला की याचिका पर आया है जिसने 2003 में शादी होने और 2005 में बेटे के जन्म का दावा किया था। हालांकि, महिला का पति शादी से ही इनकार करता है और इसे खारिज कर चुका है।
महिला ने धारा 125 सीआरपीसी के तहत अपने भरण-पोषण की मांग की थी। इस मामले में, हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सच्चाई तक पहुंचने और पूर्ण न्याय करने के लिए विज्ञान का सहारा लेना जरूरी है। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कहा कि अदालत के लिए सत्य तक पहुंचने के लिए विश्वसनीय और सटीक विज्ञान पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं है।
महिला का दावा है कि 2003 में हिंदू रीति-रिवाजों के तहत विवाह हुआ था और 2005 में उनके बेटे का जन्म हुआ। हालांकि, पति ने इन सभी आरोपों से इनकार किया और यहां तक कि उसने बच्चे के जन्म की जानकारी अपने परिवार को भी नहीं दी। उसने कथित तौर पर महिला को घर से निकाल दिया, जिसके बाद वह अपने पैतृक घर में रहने लगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि कानून को समय के साथ बदलते रहना चाहिए और समकालीन सामाजिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए। इसलिए, वैज्ञानिक परीक्षणों के आधार पर साक्ष्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कोर्ट का मानना है कि पितृत्व परीक्षण के नतीजे यह पता लगाने में मदद करेंगे कि क्या महिला भरण-पोषण की हकदार है या नहीं। यह आदेश फैमिली कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाले पति की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जहां महिला ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्याय की गुहार लगाई थी।
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