India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana High Court: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में गुरुग्राम में तीन वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। न्यायालय ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में गुरुग्राम में तीन वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई है।
न्यायालय ने कहा कि बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी जघन्य हत्या करना दोषी के राक्षसी आचरण का उदाहरण है। उच्च न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट को संबंधित प्रावधानों के अनुसार शीघ्र ही जल्लाद नियुक्त करने का निर्देश दिया तथा दोषी अपीलकर्ता को मृत्युदंड के निष्पादन के लिए कार्यक्रम तैयार करने को भी कहा। गुरुग्राम की विशेष अदालत ने दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति सुरेश ठाकुर एवं न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने फरवरी में निचली अदालत द्वारा दिए गए तर्क से सहमति जताई, जिसमें कहा गया था कि यह मामला दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामलों में आता है। हाईकोर्ट ने अपने 41 पेज के आदेश में कहा कि यह मामला स्पष्ट रूप से एक बच्ची की जघन्य हत्या से जुड़ा है, लेकिन यह दोषी-अपीलकर्ता द्वारा उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद अमानवीय और राक्षसी आचरण का उदाहरण भी है।
हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को मौत की सजा के निष्पादन के लिए एक कार्यक्रम तैयार करने का निर्देश दिया और कहा कि अपील की समय अवधि समाप्त होने के बाद इसे निष्पादित किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट मौत की सजा की पुष्टि के लिए राज्य की अपील और सजा के आदेश के खिलाफ दोषी सुनील की अपील पर सुनवाई कर रहा था।
12 नवंबर 2018 को गुरुग्राम के सेक्टर-65 अंतर्गत एक इलाके में तीन साल की बच्ची का शव नग्न अवस्था में और खून से लथपथ हालत में सड़क पर मिला था। दोषी सुनील पीड़िता का पड़ोसी था, जिसने उसके साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी। 3 फरवरी 2024 को गुरुग्राम की एक विशेष अदालत ने उसे पोक्सो एक्ट के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न के मामले में मौत की सजा सुनाई थी। डीएनए रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि पीड़िता के शरीर पर खून के धब्बे और अन्य निशान अपराधी के थे।