*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 04/09/2022, रविवार
अमावस्या, कृष्ण पक्ष,
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
कुछ लोगों को लग सकता है कि आप कुछ नया सीखने के लिए बहुत बूढ़े हैं – लेकिन यह सच्चाई से बहुत दूर है – आप अपने तेज और सक्रिय दिमाग के कारण आसानी से नई चीजें सीखेंगे। पैसों से जुड़े किसी मामले में आप शामिल थे तो आज कोर्ट आपके पक्ष में फैसला सुनाएगा। इससे आपको आर्थिक लाभ होगा। आप में से कुछ लोगों के गहने या घरेलू उपकरण खरीदने की संभावना है।
भौतिक अस्तित्व का अब कोई महत्व नहीं है, क्योंकि आप हर समय एक-दूसरे को प्यार में महसूस करते हैं। व्यस्त दिनचर्या के बावजूद आज आप अपने लिए समय निकाल पाएंगे। आप अपने खाली समय में आज कुछ रचनात्मक कार्य कर सकते हैं। दुनिया आज कयामत कर सकती है, लेकिन आप अपने जीवन-साथी की बाहों से बाहर नहीं आ पाएंगे। लोगों के बीच होते हुए भी आज आप अकेलापन महसूस करेंगे।
तिथि——– अमावस्या 13:46:02 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———— मघा 20:24:54
योग————– शिव 26:05:07
करण———— नाग 13:46:02
करण——–किन्स्तुघ्न 26:18:22
वार———————–रविवार
माह———————– भाद्रपद
चन्द्र राशि—————— सिंह
सूर्य राशि—————— सिंह
ऋतु————————- वर्षा
सायन———————– शरद
आयन—————- दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————- नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:56:46
सूर्यास्त————— 18:44:17
दिन काल————–12:47:31
रात्री काल————- 11:12:57
चंद्रोदय—————- 06:15:58
चंद्रास्त—————- 19:05:58
लग्न—- सिंह 9°35′ , 129°35′
सूर्य नक्षत्र——————– मघा
चन्द्र नक्षत्र——————- मघा
नक्षत्र पाया—————— रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
मी—- मघा 07:31:04
मू—- मघा 13:58:43
मे—- मघा 20:24:54
मो—- पूर्वा फाल्गुनी 26:49:38
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=सिंह 09:12 मघा , 3 मू
चन्द्र =सिंह 05 °23, मघा , 2 मी
बुध =कन्या 06 ° 07′ उ o फा o ‘ 4 पी
शुक्र=कर्क 24°05, आश्लेषा ‘ 3 डे
मंगल=वृषभ 09°30 ‘ कृतिका ‘ 4 ए
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 22°50’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 22°50 विशाखा , 1 ती
🚩💮🚩 मुहूर्त प्रकरण 🚩💮🚩
राहू काल 09:09 – 10:45 अशुभ
यम घंटा 13:56 – 15:32 अशुभ
गुली काल 05:57 – 07:33 अशुभ
अभिजित 11:55 – 12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 07:39 – 08:30 अशुभ
वर्ज्यम 07:31 – 09:15 अशुभ
🚩गंड मूल 05:57 – 20:25 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 05:57 – 07:33 अशुभ
शुभ 07:33 – 09:09 शुभ
रोग 09:09 – 10:45 अशुभ
उद्वेग 10:45 – 12:21 अशुभ
चर 12:21 – 13:56 शुभ
लाभ 13:56 – 15:32 शुभ
अमृत 15:32 – 17:08 शुभ
काल 17:08 – 18:44 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 18:44 – 20:08 शुभ
उद्वेग 20:08 – 21:33 अशुभ
शुभ 21:33 – 22:57 शुभ
अमृत 22:57 – 24:21* शुभ
चर 24:21* – 25:45* शुभ
रोग 25:45* – 27:09* अशुभ
काल 27:09* – 28:33* अशुभ
लाभ 28:33* – 29:57* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 05:57 – 07:01
बृहस्पति 07:01 – 08:05
मंगल 08:05 – 09:09
सूर्य 09:09 – 10:13
शुक्र 10:13 – 11:17
बुध 11:17 – 12:21
चन्द्र 12:21 – 13:24
शनि 13:24 – 14:28
बृहस्पति 14:28 – 15:32
मंगल 15:32 – 16:36
सूर्य 16:36 – 17:40
शुक्र 17:40 – 18:44
🚩होरा, रात
बुध 18:44 – 19:40
चन्द्र 19:40 – 20:36
शनि 20:36 – 21:33
बृहस्पति 21:33 – 22:29
मंगल 22:29 – 23:25
सूर्य 23:25 – 24:21
शुक्र 24:21* – 25:17
बुध 25:17* – 26:13
चन्द्र 26:13* – 27:09
शनि 27:09* – 28:05
बृहस्पति 28:05* – 29:01
मंगल 29:01* – 29:57
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
सिंह > 05:24 से 06:30 तक
कन्या > 06:30 से 08:40 तक
तुला > 08:40 से 10:54 तक
वृश्चिक > 10:54 से 13:10 तक
धनु > 13:10 से 15:40 तक
मकर > 15:40 से 17:18 तक
कुम्भ > 17:18 से 18:46 तक
मीन > 18:46 से 19:20 तक
मेष > 19:20 से 20:52 तक
वृषभ > 20:52 से 23:40 तक
मिथुन > 23:40 से 02:04 तक
कर्क > 02:04 से 05:08 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 15 + 7 + 1 = 38 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
30 + 30 + 5 = 65 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* कुशोत्पटिनी अमावस्या
*देवपितृकार्य अमावस्या
* श्रीशक्ति पूजन
*लोहार्गल स्नान
* राणी सती मेला
* शनिश्चरी अमावस्या
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
दारिद्र्यनाशनं दान शीलं दुर्गतिनाशनम् ।
अज्ञाननाशिनी प्रज्ञा भावना भयनाशिनी ।।
।। चा o नी o।।
व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है. अकेले ही मरता है. अपने कर्मो के शुभ अशुभ परिणाम अकेले ही भोगता है. अकेले ही नरक में जाता है या सदगति प्राप्त करता है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।,
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥,
हे अर्जुन! तू मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर।, ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त होगा, यह मैं तुझसे सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ क्योंकि तू मेरा अत्यंत प्रिय है॥,65॥,
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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