मेष राशिफल 14 अगस्त 2022

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:-14/08/2022, रविवार
एकादशी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

 मेष

आपके लिए अपने डर को दूर करने का समय आ गया है। आपको यह महसूस करना चाहिए कि यह न केवल शारीरिक जीवन शक्ति को कम करता है बल्कि जीवन को छोटा करता है। अनियोजित स्रोतों से धन लाभ आपके दिन को रोशन करेगा।

अपने परिवार को यह महसूस करने के लिए कि आप उनकी कितनी परवाह करते हैं, मौखिक और गैर-मौखिक संदेश देते रहें। खुशियों को दोगुना करने के लिए अपना क्वालिटी टाइम बिताएं। आंखें कभी झूठ नहीं बोलतीं और आपके पार्टनर की आंखें आज आपको वाकई कुछ खास बता देंगी। आज की व्यस्त जीवन शैली में अपने लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है।

लेकिन आज का दिन आपके लिए भाग्यशाली है, क्योंकि आपके पास अपने लिए काफी समय होगा। अगर आप और आपका जीवनसाथी इन दिनों बहुत खुश महसूस नहीं कर रहे हैं तो आज आपका मज़ाक उड़ाया जा सकता है। आपको टीवी देखने में सामान्य से ज्यादा मजा आ सकता है, लेकिन आपको अपनी आंखों का खास ख्याल रखना चाहिए।

तिथि———एकादशी 13:44:58 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— रोहिणी 21:59:08
योग————– वृद्वि 13:59:07
करण———– बालव 13:44:57
करण———– कौलव 26:59:10
वार————————रविवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—————– वृषभ
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शक संवत——————-1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:39:20
सूर्यास्त—————- 19:11:50
दिन काल————- 13:32:30
रात्री काल———— 10:28:01
चंद्रास्त—————-15:57:54
चंद्रोदय—————-26:25:25

लग्न—- कर्क 6°57′ , 96°57′

सूर्य नक्षत्र———————पुष्य
चन्द्र नक्षत्र—————– रोहिणी
नक्षत्र पाया——————- लोहा

**** पद, चरण ****

वा—- रोहिणी 08:28:48

वी—- रोहिणी 15:13:38

वु—- रोहिणी 21:59:08

वे—- मृगशिरा 28:45:06

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 06:12 पुष्य , 2 हे
चन्द्र = वृषभ 15 °23, रोहिणी , 2 वा
बुध =कर्क 15 ° 07′ पुष्य ‘ 4 ड
शुक्र=मिथुन 13°05, आर्द्रा ‘ 2 घ
मंगल=मेष 18°30 ‘ भरणी ‘ 2 लू
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°30 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 17:30 – 19:12 अशुभ
यम घंटा 12:26 – 14:07 अशुभ
गुली काल 15:49 – 17:30 अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 17:24 – 18:18 अशुभ

**** चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:39 – 07:21 अशुभ
चर 07:21 – 09:02 शुभ
लाभ 09:02 – 10:44 शुभ
अमृत 10:44 – 12:26 शुभ
काल 12:26 – 14:07 अशुभ
शुभ 14:07 – 15:49 शुभ
रोग 15:49 – 17:30 अशुभ
उद्वेग 17:30 – 19:12 अशुभ

**** चोघडिया, रात
शुभ 19:12 – 20:30 शुभ
अमृत 20:30 – 21:49 शुभ
चर 21:49 – 23:07 शुभ
रोग 23:07 – 24:26* अशुभ
काल 24:26* – 25:44* अशुभ
लाभ 25:44* – 27:03* शुभ
उद्वेग 27:03* – 28:21* अशुभ
शुभ 28:21* – 29:40* शुभ

**** होरा, दिन
सूर्य 05:39 – 06:47
शुक्र 06:47 – 07:55
बुध 07:55 – 09:02
चन्द्र 09:02 – 10:10
शनि 10:10 – 11:18
बृहस्पति 11:18 – 12:26
मंगल 12:26 – 13:33
सूर्य 13:33 – 14:41
शुक्र 14:41 – 15:49
बुध 15:49 – 16:56
चन्द्र 16:56 – 18:04
शनि 18:04 – 19:12

**** होरा, रात
बृहस्पति 19:12 – 20:04
मंगल 20:04 – 20:57
सूर्य 20:57 – 21:49
शुक्र 21:49 – 22:41
बुध 22:41 – 23:34
चन्द्र 23:34 – 24:26
शनि 24:26* – 25:18
बृहस्पति 25:18* – 26:11
मंगल 26:11* – 27:03
सूर्य 27:03* – 27:55
शुक्र 27:55* – 28:48
बुध 28:48* – 29:40

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 04:20 से 06:36 तक
सिंह > 06:36 से 08:46 तक
कन्या > 08:46 से 10:56 तक
तुला > 10:56 से 13:11 तक
वृश्चिक > 13:11 से 15:26 तक
धनु > 15:26 से 17:46 तक
मकर > 17:46 से 19:27 तक
कुम्भ > 19:27 से 21:02 तक
मीन > 21:02 से 21:36 तक
मेष > 21:36 से 00:08 तक
वृषभ > 00:08 से 02:00 तक
मिथुन > 02:00 से 04:20 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 11 + 1 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

* कामिका एकादशी व्रत (सर्वेषां)

* रोहिणी व्रत (जैन)

**** शुभ विचार ****

एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः ।
चतुर्भिर्गमनं क्षेत्रं पंचभिर्बहुभी रणम् ।।
।। चा o नी o।।

जब आप तप करते है तो अकेले करे.
अभ्यास करते है तो दुसरे के साथ करे.
गायन करते है तो तीन लोग करे.
कृषि चार लोग करे.
युद्ध अनेक लोग मिलकर करे.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

आयुक्तः प्राकृतः स्तब्धः शठोनैष्कृतिकोऽलसः ।,
विषादी दीर्घसूत्री च कर्ता तामस उच्यते॥,

जो कर्ता अयुक्त, शिक्षा से रहित घमंडी, धूर्त और दूसरों की जीविका का नाश करने वाला तथा शोक करने वाला, आलसी और दीर्घसूत्री (दीर्घसूत्री उसको कहा जाता है कि जो थोड़े काल में होने लायक साधारण कार्य को भी फिर कर लेंगे, ऐसी आशा से बहुत काल तक नहीं पूरा करता।, ) है वह तामस कहा जाता है॥,28॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
***********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य

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Neha Dhiman

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