इंडिया न्यूज ।
By Worshiping on Mahashivratri Bholenath Takes Away all The Sufferings of The Devotees : भोलेनाथ बहुत भोले होते है । वह अपने भक्तों की सदा सुनते है । इसलिए महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर जो भक्त सच्चे मन व भक्ति भाव से भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है वह उस भक्त के सारे कष्ट हर लेते है । महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह में प्रतिवर्ष पड़ता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ को खुश करने के लिए अलग अलग तरह से पूजा- अर्चना करते हैं ।
कहते हैं कि इस दिन अगर सच्चे दिल से पूजा की जाए तो प्रभु हर एक कष्ट को दूर कर देते हैं,ऐसे में इस बार 01 मार्च दिन मंगलवार को भोले के भक्त महाशिवरात्रि के त्योहार को मनाएंगे. हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
महाशिवरात्रि पर खास रूप से व्रत रखा जाता है। ऐसे में इस साल महाशिवरात्रि पर एक बहुत ही विशिष्ट योग बन रहा है। इस योग में महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय होगी।आपकी यश और कीर्ति में वृद्धि होगी। इस साल महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग भी बन रहा है। ऐसे में जानते हैं इस विशिष्ट योग और पंचग्रही योग के बारे में ।
माना जा रहा है कि इस साल 2022 में महाशिवरात्रि यानी कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि वाले दिन 01 मार्च को सुबह 03:16 से शुरू हो रही है,जो देर रात 01:00 बजे तक है। ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं । एक महाशिवरात्रि को परिघ योग है जो 11 बजकर 18 मिनट तक रहने वाला है।
इसके बाद से शिव योग प्रारंभ होने वाला है,जो 02 मार्च को प्रात: 08 बजकर 21 मिनट तक रहने वाला है.बता दें कि परिघ योग में अगर आप अपने शत्रुओं को परास्त करना चाहते हैं तो पूजा करने से आप सफल हो सकते हैं,जबकि शिव योग मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा योग होता है। इस योग में आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।
आपतो बता दें कि इस साल 2022 में महाशिवरात्रि के दिन पंचग्रही योग भी बन रहा है। ऐसे में इस खास दिन मकर राशि में मंगल,शनि,चंद्रमा,शुक्र और बुध ग्रह एक साथ उपस्थित होकर पंचग्रही योग का निर्माण करने वाले हैं ।
फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि को साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक माना जाता है । इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए,फिर घर में पूजा स्थल पर जल से भरा एक कलश स्थापित करना चाहिए और फिर बाद में कलश के पास भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियो की स्थापना करनी चाहिए ।
इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को अक्षत,पान,सुपारी,रोली,मौली,चंदन,लौंग,इलायची, दूध,दही,शहद,घी,धतूरा,बेलपत्र,कमलगट्टा और फल चढ़ाना चाहिए। अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करना चाहिए ।
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