** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-14/07/2022, गुरुवार
प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
आज का दिन आपकी महत्वकाक्षाओं की पूर्ति का दिन रहेगा। आप संतान के भविष्य से संबंधित कुछ धन संचय करने में कामयाब रहेंगे। किसी गलती का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जल्दबाजी व लापरवाही न करें। अज्ञात भय सताएगा। पुराना रोग उभर सकता है। भागदौड़ रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जीवनसाथी की उम्मीदों पर आप खरा उतरेंगे, लेकिन आपके माता-पिता के सहयोग से रुके हुए कार्य पूरे होंगे। लंबे समय बाद आपका कोई पुराना मित्र आपसे मिलने आ सकता है। यदि आपने पहले से कुछ राज छिपाकर रखे थे,तो वह परिवार के सदस्यों के सामने उजागर हो सकते हैं। विद्यार्थियों को परीक्षा में आ रही समस्याओं के लिए अपने गुरुजनों व सीनियर से बात करनी होगी।
तिथि ———– प्रतिपदा 20:15:42 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र—— उत्तराषाढा 20:16:52
योग———— वैधृति 08:25:47
योग——– विश्कुम्भ 28:14:52
करण———– बालव 10:10:03
करण———– कौलव 20:15:42
वार———————– गुरूवार
माह———————– श्रावण
चन्द्र राशि——————- मकर
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:34:14
सूर्यास्त————— 19:15:44
दिन काल————- 13:41:30
रात्री काल————- 10:18:58
चंद्रास्त—————- 05:53:26
चंद्रोदय————— 20:13:54
लग्न—- मिथुन 27°24′ , 87°24′
सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र———— उत्तराषाढा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
**** पद, चरण ****
भो—- उत्तराषाढा 09:46:07
जा—- उत्तराषाढा 15:01:09
जी—- उत्तराषाढा 20:16:52
खी—- श्रवण 25:33:29
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मिथुन 27:12 पुनर्वसु , 3 हा
चन्द्र = मकर 00°23, पूर्वाषाढा , 2 भो
बुध =मिथुन 24 ° 07′ पुनर्वसु ‘ 2 को
शुक्र=मिथुन 00°05, मृगशिरा ‘ 3 वो
मंगल=मेष 11°30 ‘ अश्विनी ‘ 4 का
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°10 विशाखा , 2 तू
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**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 14:08 – 15:50 अशुभ
यम घंटा 05:34 – 07:17 अशुभ
गुली काल 08:59 – 10:42 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 10:08 – 11:03 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:37 – 16:31 अशुभ
**** चोघडिया, दिन
शुभ 05:34 – 07:17 शुभ
रोग 07:17 – 08:59 अशुभ
उद्वेग 08:59 – 10:42 अशुभ
चर 10:42 – 12:25 शुभ
लाभ 12:25 – 14:08 शुभ
अमृत 14:08 – 15:50 शुभ
काल 15:50 – 17:33 अशुभ
शुभ 17:33 – 19:16 शुभ
**** चोघडिया, रात
अमृत 19:16 – 20:33 शुभ
चर 20:33 – 21:50 शुभ
रोग 21:50 – 23:08 अशुभ
काल 23:08 – 24:25* अशुभ
लाभ 24:25* – 25:43* शुभ
उद्वेग 25:43* – 26:59* अशुभ
शुभ 26:59* – 28:17* शुभ
अमृत 28:17* – 29:35* शुभ
**** होरा, दिन
बृहस्पति 05:34 – 06:43
मंगल 06:43 – 07:51
सूर्य 07:51 – 08:59
शुक्र 08:59 – 10:08
बुध 10:08 – 11:17
चन्द्र 11:17 – 12:25
शनि 12:25 – 13:33
बृहस्पति 13:33 – 14:42
मंगल 14:42 – 15:50
सूर्य 15:50 – 16:59
शुक्र 16:59 – 18:07
बुध 18:07 – 19:16
**** होरा, रात्रि
चन्द्र 19:16 – 20:07
शनि 20:07 – 20:59
बृहस्पति 20:59 – 21:50
मंगल 21:50 – 22:42
सूर्य 22:42 – 23:34
शुक्र 23:34 – 24:25
बुध 24:25* – 25:17
चन्द्र 25:17* – 26:08
शनि 26:08* – 26:59
बृहस्पति 26:59* – 27:52
मंगल 27:52* – 28:43
सूर्य 28:43* – 29:35
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
मिथुन > 02:45 से 05:00 तक
कर्क > 05:00 से 07:30 तक
सिंह > 07:30 से 09:32 तक
कन्या > 09:32 से 11:48 तक
तुला > 11:48 से 14:01 तक
वृश्चिक > 14:01 से 16:14 तक
धनु > 16:14 से 18:30 तक
मकर > 18:30 से 20:14 तक
कुम्भ > 20:14 से 21:48 तक
मीन > 21:48 से 22:20 तक
मेष > 22:20 से 00:54 तक
वृषभ > 00:54 से 02:45 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 1 + 6 + 1 = 23 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
16 + 16 + 5 = 37 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
**** विशेष जानकारी ****
*श्रावण मास प्रारम्भ
* हिंडोला प्रारम्भ द्वारिकाधीश जी मथुरा
*अशुन्य शयन व्रत
*अनक्त व्रत प्रारम्भ
**** शुभ विचार ****
उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे ।
असाधुजनसम्पर्के यः पलायति जीवति ।।
।। चा o नी o।।
वह व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है जो नीचे दी हुई परिस्थितियां उत्पन्न होने पर भाग जाए.
१. भयावह आपदा.
२. विदेशी आक्रमण
३. भयंकर अकाल
४. दुष व्यक्ति का संग.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना ।,
करणं कर्म कर्तेति त्रिविधः कर्मसङ्ग्रहः ॥,
ज्ञाता (जानने वाले का नाम ‘ज्ञाता’ है।,), ज्ञान (जिसके द्वारा जाना जाए, उसका नाम ‘ज्ञान’ है।, ) और ज्ञेय (जानने में आने वाली वस्तु का नाम ‘ज्ञेय’ है।,)- ये तीनों प्रकार की कर्म-प्रेरणा हैं और कर्ता (कर्म करने वाले का नाम ‘कर्ता’ है।,), करण (जिन साधनों से कर्म किया जाए, उनका नाम ‘करण’ है।,) तथा क्रिया (करने का नाम ‘क्रिया’ है।,)- ये तीनों प्रकार का कर्म-संग्रह है॥,18॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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