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Chaitra Navratri has special significance in Hinduism: माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है नवरात्र पर्व

• LAST UPDATED : April 2, 2022

Chaitra Navratri has special significance in Hinduism: माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है नवरात्र पर्व

Chaitra Navratri has special significance in Hinduism: नवरात्र हिंदू धर्म ग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। भारत में नवरात्र का पर्व एक ऐसा पर्व है जो हमारी संस्कृति में महिलाओं के गरिमामय स्थान को दर्शाता है। वर्ष में चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन के होते हैं, परंतु प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन के नवरात्र ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवीभक्त आश्विन के नवरात्र अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय नवरात्र भी कहते हैं। इनका आरंभ क्रमशः चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होता है…

Chaitra Navratri has special significance in Hinduism

चैत्र या वासंती नवरात्र का प्रारंभ चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से होता है। चैत्र में आने वाले नवरात्र में अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा का विशेष प्रावधान माना गया है। वैसे दोनों ही नवरात्र मनाए जाते हैं, फिर भी इस नवरात्र को कुल देवी-देवताओं के पूजन की दृष्टि से विशेष माना जाता है। आज के भागमभाग के युग में अधिकांश लोग अपने कुल देवी-देवताओं को भूलते जा रहे हैं। कुछ लोग समयाभाव के कारण भी पूजा-पाठ में कम ध्यान दे पाते हैं। जबकि इस ओर ध्यान देकर आने वाली अनजान मुसीबतों से बचा जा सकता है। ये कोई अंधविश्वास नहीं बल्कि शाश्वत सत्य है।

नौ देवियां Chaitra Navratri has special significance in Hinduism

नौ दिन यानी हिंदी माह चैत्र और आश्विन के शुक्ल पक्ष की पड़वा यानी पहली तिथि से नौवीं तिथि तक प्रत्येक दिन की एक देवी मतलब नौ द्वार वाले दुर्ग के भीतर रहने वाली जीवनी शक्ति रूपी दुर्गा के नौ रूप हैं ः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री।

पुराणों में नवरात्र Chaitra Navratri has special significance in Hinduism

मान्यता है कि नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर श्रीराम ने अपनी खोई हुई शक्ति पाई, इसलिए इस समय आदिशक्ति की आराधना पर विशेष बल दिया गया है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार दुर्गा सप्तशती में स्वयं भगवती ने इस समय शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है। कलश स्थापना, देवी दुर्गा की स्तुति, सुमधुर घंटियों की आवाज, धूप-बत्तियों की सुगंध – यह नौ दिनों तक चलने वाले साधना पर्व नवरात्र का चित्रण है।

कन्या पूजन Chaitra Navratri has special significance in Hinduism

अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन कन्या पूजन और लोंगड़ा पूजन किया जा सकता है। अतः श्रद्धापूर्वक कन्या पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम मां जगदंबा के सभी नौ स्वरूपों का स्मरण करते हुए घर में प्रवेश करते ही कन्याओं के पांव धोएं। इसके बाद उन्हें उचित आसन पर बैठाकर उनके हाथ में मौली बांधें और माथे पर बिंदी लगाएं। उनकी थाली में हलवा-पूरी और चने परोसंे। अब अपनी पूजा की थाली जिसमें दो पूरी और हलवा-चने रखे हुए हैं, के चारों ओर हलवा और चना भी रखें। बीच में आटे से बने एक दीपक को शुद्ध घी से जलाएं। कन्या पूजन के बाद सभी कन्याओं को अपनी थाली में से यही प्रसाद खाने को दें। अब कन्याओं को उचित उपहार तथा कुछ राशि भी भेंट में दें। जय माता दी कहकर उनके चरण छुएं और उनके प्रस्थान के बाद स्वयं प्रसाद खाने से पहले पूरे घर में खेत्री के पास रखे कुंभ का जल सारे घर में बरसाएं।

नवरात्र कथा Chaitra Navratri has special significance in Hinduism

पौराणिक कथानुसार प्राचीन काल में दुर्गम नामक राक्षस ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया। उनसे वरदान लेने के बाद चारों वेद व पुराणों को कब्जे में लेकर कहीं छिपा दिया, जिस कारण पूरे संसार में वैदिक कर्म बंद हो गया। इस वजह से चारों ओर घोर अकाल पड़ गया। पेड़-पौधे व नदी-नाले सूखने लगे। चारों ओर हाहाकार मच गया। जीव-जंतु मरने लगे। सृष्टि का विनाश होने लगा। सृष्टि को बचाने के लिए देवताओं ने व्रत रखकर नौ दिन तक मां जगदंबा की आराधना की और माता से सृष्टि को बचाने की विनती की। तब मां भगवती व असुर दुर्गम के बीच घमासान युद्ध हुआ। मां भगवती ने दुर्गम का वध कर देवताओं को निर्भय कर दिया। तभी से नवदुर्गा तथा नव व्रत का शुभारंभ हुआ।

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