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City of Sufi Saints Faridkot : आपको रूहानियत के दर्शन करवाता है शहर फरीदकोट

  • बाबा फरीद के नाम पर विख्यात शहर फरीदकोट सूफी संतों की तीर्थ नगरी रही है

India News (इंडिया न्यूज), City of Sufi Saints Faridkot, चंडीगढ़ : पंजाब का नाम पंज आब यानि की पांच पानियों की धरती के रूप में पंजाब पड़ा। यह प्रदेश अपनी ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अमीरी के लिए जाना जाता है। पंजाब में बहुत सारे जिले, शहर और गांव ऐसे हैं जो न केवल ऐतिहासिक तौर पर महत्वपूर्ण हैं बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी इनका कोई विकल्प नहीं मिलता। यदि हम पंजाब के इन स्थानों की बात करें तो इनमें एक नाम आता है फरीदकोट का।

बाबा फरीद के नाम पर विख्यात यह शहर सूफी संतों की नगरी रही है। यहां आकर आप रूहानियत के रंग में रंगे जाएंगे। यहां पर बहुत सरे ऐसे स्थान हैं जो बाबा शेख फरीद जी के जीवन के साथ संबंधित हैं। यहां राजमहल, दरबार गंज, किला मुबारक, बाबा फरीद और गुरुद्वारा गोदड़ी साहिब मुख्य पर्यटक स्थल हैं। बताया जाता है कि फरीदकोट की निर्माण कला को दुनिया में खूब प्रसिद्धि हासिल है।

बाबा फरीद के नाम पर बना गुरुद्वारा टिल्ला साहिब

गुरुद्वारा टिल्ला साहिब

सूफी संत बाबा शेख फरीद जिनके नाम पर इस जगह का नाम फरीदकोट पड़ा। बताया जाता है कि यहां पर सूफी संत बाबा शेख फरीद जी ने अपने जीवन के 40 वर्ष व्यतीत किए। उनको समर्पित गुरुद्वारा टिल्ला साहिब सभी धर्मों के अनुयायियों व पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र बना रहता है। यह गुरुद्वारा किला मुबारक के पास स्थित है जोकि एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां हर वीरवार को बड़ी संख्या में संगत दूर-दूर से सूफी संत की पूजा करने के लिए आती है। बाबा शेख फरीद से संबंधित करीब आठ सदियों पुराना वृक्ष दोबारा फिर हरा-भरा हो गया है। कुछ समय पहले इस वर्ष का एक हिस्सा सूखना शुरू हो गया था।

किला मुबारक पूरा वर्ष आते हैं पर्यटक

फरीदकोट में देशी व विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है किला मुबारक देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यह पर्यटक भारत के साथ-साथ अन्य देशों से भी यहां पहुंचते हैं। बताया जाता है कि इस किले का निर्माण राजा मोकालसी ने किया था। इसके बाद इसका पुन:निर्माण राजा हमीर सिंह द्वारा किया गया था।

10वें गुरु से संबंधित गुरुद्वारा गुरु की ढाब

10वें गुरु से संबंधित गुरुद्वारा गुरु की ढाब

सिख संगत के लिए गुरुद्वारा गुरु की ढाब किसी अजूबे से कम नही हैं। यह गुरुद्वारा कोटकपूरा से लगभग 12 किमी. की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस शहर से गुजरते समय इस स्थान की सैर की थी। यह बहुत ही प्रभावशाली स्मारक है। गुरुद्वारे को डोडा ताल और पातशाही दसवीं के नाम से भी जाना जाता है।

वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है राज महल

फरीदकोट के बीचोंबीच स्थित राज महल की स्थापना महाराजा बिक्रम सिंह के शासन काल और निर्माण बलबीर सिंह के निरीक्षण में किया गया था। यह सुंदर इमारत नुकीले शिखरों और दर्पणों के उत्कृष्ट डिजाइन को प्रदर्शित करती है जो फ्रेंच वास्तुकला से प्रेरित हैं। इस महल में हरे भरे घास के मैदान और सुंदर टॉवर हैं जो 15 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इसके साथ ही फरीदकोट में दरबार गंज भी एक ऐसी इमारत है जो पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। बताया जाता है कि पहले राजसी परिवार अतिथि गृह के रूप में करता था। वर्तमान में यह सर्किट हाउस और फरीदकोट डिवीजन के कमिश्नर का कार्यालय है।

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Harpreet Singh

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