होम / Sri Sri Ravishankar on Friendship Day : जीवन की पूंजी होते हैं, मित्र, अपने जीवन में किसी के अच्छे मित्र अवश्य बनें : श्री श्री रवि शंकर

Sri Sri Ravishankar on Friendship Day : जीवन की पूंजी होते हैं, मित्र, अपने जीवन में किसी के अच्छे मित्र अवश्य बनें : श्री श्री रवि शंकर

• LAST UPDATED : August 1, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Sri Sri Ravishankar on Friendship Day : बिना किसी स्वार्थ के अपने मित्रों के लिए कुछ करना और उन्हें यह विश्वास दिलाना कि आप हर परिस्थिति में उनके साथ हैं, यही मित्रता है और यही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी भी है। जीवन में प्रेम की मांग करने से आप स्वत: ही उस प्रेम को नष्ट कर रहे होते हैं। इसलिए किसी से भी प्रेम की मांग न करें।

बुद्धिमान व्यक्ति इस बात को समझ सकते

यदि आपकी मित्रता केवल प्रेम बांटने और दूसरों का ध्यान रखने के लिए है, तो कोई भी आपके साथ सहज महसूस करेगा। लेकिन अगर आप किसी से कुछ उम्मीद कर रहे हैं, तो आप लोगों को बहुत असहज स्थिति में डाल रहे हैं। बुद्धिमान व्यक्ति इस बात को समझ सकते हैं। अपने मित्रों से कहो, ‘मैं तुम्हारे लिए यहां हूं’, मुझे मित्रता के अलावा तुम से और कुछ नहीं चाहिए।

इससे आपकी दोस्ती लंबे समय तक चलेगी। जब आप साथ रहने और बाँटने की स्थिति से किसी के साथ आते हैं, तो यह दूसरों के लिए बहुत हितकारी सिद्ध होता है। जब आपको सहायता की आवश्यकता होगी, तो वे भी आपकी सहायता करेंगे।

अच्छा मित्र वही है जो अपने मित्रों को छोटा महसूस न कराए

यदि आप अपने मित्रों के लिए कुछ अच्छा करते हैं, तो उस बारे में किसी से बात न करें और न ही अपने मित्र को इसकी याद दिलाते रहें कि “मैंने तुम्हारे लिए कुछ किया है”। ज़रा सोचें, यदि कोई मित्र आपकी मदद करे और इस बारे में हर समय सबको बताए तो आपको कैसे लगेगा? ऐसे मित्र के साथ रहने में आपको परेशानी होगी, है ना? आप उनसे दूर जाना चाहेंगे।

कोई भी बाध्यता के अधीन नहीं रहना चाहता, इसलिए लोगों को बाध्यता का बोध न कराएं। अच्छा मित्र वही है जो अपने मित्रों को छोटा महसूस न कराए। मान लीजिए आपने किसी का बहुत भला किया है, तो कभी-कभी उनसे कुछ मांगें, छोटी-सी मदद जैसे रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट तक ले जाना। कुछ छोटी-छोटी बातें, जिससे आप सामने वाले का भी स्वाभिमान बनाए रखें।

दूसरों के आत्मसम्मान का हमेशा सम्मान कीजिए

एक बार एक सज्जन मेरे पास आये और बोले, ”मैंने किसी से एक पैसा भी नहीं लिया, मैंने हमेशा अपने भाइयों और मित्रों को केवल दिया है। मैंने उनके लिए बहुत कुछ किया लेकिन आज कोई भी मेरे साथ नहीं रहना चाहता, कोई मुझसे मिलना नहीं चाहता, कोई मुझसे बात नहीं करना चाहता। यह विचित्र है, मैंने कभी किसी से कुछ नहीं चाहा।”

मैंने उनसे पूछा, ‘क्या आपने कभी उनसे आपके लिए कुछ करने के लिए कहा?’ उन्होंने उत्तर दिया, ‘कभी नहीं, मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए।’ क्या हुआ? उन्होंने लोगों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई। जब आप किसी को पहुंचाते हैं तब कोई भी व्यक्ति आपके साथ नहीं रहना चाहता। दूसरों के आत्मसम्मान का हमेशा सम्मान कीजिए।

Sri Sri Ravishankar on Friendship Day : अपने अहंकार का दावा न करें

यह कहकर अपने अहंकार का दावा न करें कि आपने कभी किसी से कुछ नहीं लिया है या किसी से कुछ नहीं चाहते हैं। जीवन में दृढ़ता के साथ विनम्र होना बहुत आवश्यक है। विनम्रता क्या है? यह कहना, “ओह, मैं बहुत विनम्र हूँ”, यह विनम्रता नहीं है। सौहार्द के साथ गरिमा; बहुत से लोग जो बहुत प्रतिष्ठित होते हैं, वे अलग रहते हैं। वे सौहार्दपूर्ण नहीं होते। जो लोग सौहार्दपूर्ण होते हैं, उनमें गरिमा नहीं होती। मध्यम मार्ग को अपनाइए, मध्यम मार्ग अर्थात मर्यादा के साथ सौहार्द को बनाए रखें, यही मित्रता का रहस्य है।

मित्र वही है जो अच्छे पलों के साथ-साथ कठिनाई के समय भी आपका साथ दे

जब आप अपने किसी परम मित्र के पास कोई समस्या लेकर जाते हैं। उनसे कुछ देर बात करने के बाद आप हल्का महसूस करते हैं, यही एक अच्छी संगति के लक्षण होते हैं। हालांकि, यदि आपको कोई समस्या है और आप किसी मित्र के पास जाते हैं लेकिन आपकी समस्या आपकी सोच से कहीं अधिक बड़ी बनकर जाती है, तो यह अच्छी मित्रता नहीं है। मित्र वही है जो अच्छे पलों के साथ-साथ तब भी आपका साथ दें जब आप अपने जीवन के कठिन समय में हों और आपको वहां से ऊपर उठाएं।

Sri Sri Ravi Shankar : सावन में होने वाली वर्षा से खिल उठती है प्रकृति : श्री श्री रवि शंकर

Sri Sri Ravi Shankar on Guru Purnima : अपने भीतर बैठे ज्ञानी और गुरु के साथ अभेद्य सम्बन्ध को जानना ही गुरु पूर्णिमा : श्री श्री रवि शंकर