***|| जय श्री राधे ||***
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-07/07/2022, गुरुवार
अष्टमी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
?मिथुन
आज का दिन आपके लिए उत्तम संपत्ति के संकेत दे रहा है। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि अपमान हो। व्यापार-व्यवसाय अनुकूल रहेगा। निवेश सोच-समझकर करें। नौकरी में चैन रहेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा आपका कोई संपत्ति संबंधित विवाद सुलझ सकता है,जिसमें आपकी संपत्ति में इजाफा होगा। यदि आपने किसी नए कार्य को करने में संकोच किया,तो वह आपके लिए परेशानी भरा रहेगा। आपने अपने किसी परिजन को धन उधार दिया था,तो आपको वापस मिल सकता है। विद्यार्थियों का पठन-पाठन में खूब मन लगेगा। आपको आज कुछ नए अतिथियों से मिलने का मौका मिलेगा।
तिथि———– अष्टमी 19:27:44 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र————- हस्त 12:18:31
योग———– परिघ 10:36:44
करण——- विष्टि भद्र 07:43:10
करण————– बव 19:27:45
वार———————– गुरूवार
माह———————- आषाढ
चन्द्र राशि—– कन्या 24:20:49
चन्द्र राशि——————- तुला
सूर्य राशि—————— मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————- दक्षिणायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———-2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:31:00
सूर्यास्त————— 19:17:07
दिन काल————- 13:46:07
रात्री काल————- 10:14:18
चंद्रोदय————— 12:36:47
चंद्रास्त—————- 24:34:22
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लग्न—- मिथुन 20°44′ , 80°44′
सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र——————- हस्त
नक्षत्र पाया——————- रजत
??? पद, चरण ???
ण—- हस्त 06:13:27
ठ—- हस्त 12:18:31
पे—-चित्रा 18:21:00
पो—- चित्रा 24:20:49
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 20:12 पुनर्वसु , 1 के
चन्द्र = कन्या 19°23, हस्त , 3 ण
बुध =मिथुन 09 ° 07′ आर्द्रा ‘ 1 कु
शुक्र=वृषभ 22°05, रोहिणी ‘ 4 वू
मंगल=मेष 06°30 ‘ अश्विनी ‘ 3 चो
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°30 विशाखा , 2 तू
??? मुहूर्त प्रकरण ???
राहू काल 14:07 – 15:51 अशुभ
यम घंटा 05:31 – 07:14 अशुभ
गुली काल 08:58 – 10:41 अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 10:06 – 11:01 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:37 – 16:32 अशुभ
?चोघडिया, दिन
शुभ 05:31 – 07:14 शुभ
रोग 07:14 – 08:58 अशुभ
उद्वेग 08:58 – 10:41 अशुभ
चर 10:41 – 12:24 शुभ
लाभ 12:24 – 14:07 शुभ
अमृत 14:07 – 15:51 शुभ
काल 15:51 – 17:34 अशुभ
शुभ 17:34 – 19:17 शुभ
?चोघडिया, रात
अमृत 19:17 – 20:34 शुभ
चर 20:34 – 21:51 शुभ
रोग 21:51 – 23:08 अशुभ
काल 23:08 – 24:24* अशुभ
लाभ 24:24* – 25:41* शुभ
उद्वेग 25:41* – 26:58* अशुभ
शुभ 26:58* – 28:15* शुभ
अमृत 28:15* – 29:31* शुभ
?होरा, दिन
बृहस्पति 05:31 – 06:40
मंगल 06:40 – 07:49
सूर्य 07:49 – 08:58
शुक्र 08:58 – 10:06
बुध 10:06 – 11:15
चन्द्र 11:15 – 12:24
शनि 12:24 – 13:33
बृहस्पति 13:33 – 14:42
मंगल 14:42 – 15:51
सूर्य 15:51 – 16:59
शुक्र 16:59 – 18:08
बुध 18:08 – 19:17
?होरा, रात
चन्द्र 19:17 – 20:08
शनि 20:08 – 20:59
बृहस्पति 20:59 – 21:51
मंगल 21:51 – 22:42
सूर्य 22:42 – 23:33
शुक्र 23:33 – 24:24
बुध 24:24* – 25:15
चन्द्र 25:15* – 26:07
शनि 26:07* – 26:58
बृहस्पति 26:58* – 27:49
मंगल 27:49* – 28:40
सूर्य 28:40* – 29:31
?? उदयलग्न प्रवेशकाल ??
मिथुन > 03:15 से 05:34 तक
कर्क > 05:34 से 08:00 तक
सिंह > 08:00 से 10:02 तक
कन्या > 10:02 से 12:18 तक
तुला > 12:18 से 14:33 तक
वृश्चिक > 14:33 से 16:48 तक
धनु > 16:48 से 19:00 तक
मकर > 19:00 से 20:40 तक
कुम्भ > 20:40 से 22:14 तक
मीन > 22:14 से 22:44 तक
मेष > 22:44 से 01:24 तक
वृषभ > 01:24 से 03:15 तक
?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
8 + 5 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
? शिव वास एवं फल -:
8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 07:43 पर समाप्त
पाताल लोक = धन लाभ कारक
?? विशेष जानकारी ??
* दुर्गाष्टमी
*भीमाष्टमी
*परशुरामाष्टमी (उड़ीसा)
*खरवी पूजा (त्रिपुरा)
??? शुभ विचार ???
उद्योगे नास्ति दारिद्र्य जपतो नास्ति पातकम् ।
मौनेनकलहोनास्ति नास्ति जागरितो भयम् ।।
।। चा o नी o।।
जो उद्यमशील हैं, वे गरीब नहीं हो सकते,
जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छू सकता.
जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते.
जो जागृत रहते है वो निभरय होते है.
??? सुभाषितानि ???
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
न हि देहभृता शक्यं त्यक्तुं कर्माण्यशेषतः ।,
यस्तु कर्मफलत्यागी स त्यागीत्यभिधीयते ॥,
क्योंकि शरीरधारी किसी भी मनुष्य द्वारा सम्पूर्णता से सब कर्मों का त्याग किया जाना शक्य नहीं है, इसलिए जो कर्मफल त्यागी है, वही त्यागी है- यह कहा जाता है॥,11॥,
?आपका दिन मंगलमय हो?
?????????
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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