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मिथुन राशिफल 12 जुलाई 2022

• LAST UPDATED : July 12, 2022

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:-12/07/2022, मंगलवार
द्वादशी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

**** दैनिक राशिफल ****

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मिथुन 

आपका सबसे प्रिय सपना साकार होगा। लेकिन अपने उत्साह पर नियंत्रण रखें क्योंकि बहुत अधिक खुशी कुछ परेशानी का कारण बन सकती है। सट्टा या अप्रत्याशित लाभ से वित्तीय स्थिति में सुधार होगा। अपनी जीभ पर नियंत्रण रखें क्योंकि इससे आपके दादा-दादी की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है। बड़बड़ा में अपना समय बर्बाद करने से बेहतर है कि चुप रहना। याद रखें कि हम समझदार गतिविधियों के माध्यम से जीवन को अर्थ देते हैं। उन्हें महसूस होने दें कि आप उनकी परवाह करते हैं। आज आपका प्रेमी आपके सामने अपनी भावनाओं को खुलकर साझा नहीं कर पाएगा, जिससे आप परेशान हो सकते हैं। व्यावसायिक बैठकों के दौरान मुखर और भावुक न हों- यदि आप अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं रखते हैं तो आप आसानी से अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपका चुंबकीय-बाहर जाने वाला व्यक्तित्व दिलों पर कब्जा कर लेगा। कोई बाहरी पक्ष आपके और आपके साथी के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर सकता है, लेकिन आप दोनों इसे संभाल लेंगे।

तिथि———- द्वादशी 11:13:08 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— अनुराधा 07:48:45
नक्षत्र———– ज्येष्ठा 29:14:23
योग———– शुक्ल 20:59:59
करण———– बालव 11:13:08
करण———– कौलव 21:32:16
वार———————– मंगलवार
माह———————– आषाढ
चन्द्र राशि——- वृश्चिक29:14:23
चन्द्र राशि——————– धनु
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
आयन—————— उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————– नल
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:32:48
सूर्यास्त————— 19:16:28
दिन काल————- 13:43:40
रात्री काल————- 10:16:48
चंद्रोदय—————- 16:58:23
चंद्रास्त—————- 27:30:17

लग्न—- मिथुन 24°33′ , 84°33′

सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया——————- रजत

**** पद, चरण ****

ने—-अनुराधा 07:48:45

नो—- ज्येष्ठा 13:12:32

या—- ज्येष्ठा 18:34:38

यी—- ज्येष्ठा 23:55:12

यू—- ज्येष्ठा 29:14:23

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**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 24:12 पुनर्वसु , 2 को
चन्द्र = वृश्चिक 15°23, अनुराधा, 4 ने
बुध =मिथुन 17 ° 07′ आर्द्रा ‘ 4 छ
शुक्र=वृषभ 27°05, मृगशिरा ‘ 2 वो
मंगल=मेष 09°30 ‘ अश्विनी ‘ 3 चो
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°20’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°20 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 07:16 – 08:59 अशुभ
यम घंटा 10:42 – 12:25 अशुभ
गुली काल 14:08 – 15: 51अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 12:52 – 13:47 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:37 – 16:32 अशुभ

**** गंड मूल 07:49 – अहोरात्र अशुभ

**** चोघडिया, दिन
अमृत 05:33 – 07:16 शुभ
काल 07:16 – 08:59 अशुभ
शुभ 08:59 – 10:42 शुभ
रोग 10:42 – 12:25 अशुभ
उद्वेग 12:25 – 14:08 अशुभ
चर 14:08 – 15:51 शुभ
लाभ 15:51 – 17:34 शुभ
अमृत 17:34 – 19:16 शुभ

**** चोघडिया, रात
चर 19:16 – 20:34 शुभ
रोग 20:34 – 21:51 अशुभ
काल 21:51 – 23:08 अशुभ
लाभ 23:08 – 24:25* शुभ
उद्वेग 24:25* – 25:42* अशुभ
शुभ 25:42* – 26:59* शुभ
अमृत 26:59* – 28:16* शुभ
चर 28:16* – 29:33* शुभ

**** होरा, दिन
चन्द्र 05:33 – 06:41
शनि 06:41 – 07:50
बृहस्पति 07:50 – 08:59
मंगल 08:59 – 10:07
सूर्य 10:07 – 11:16
शुक्र 11:16 – 12:25
बुध 12:25 – 13:33
चन्द्र 13:33 – 14:42
शनि 14:42 – 15:51
बृहस्पति 15:51 – 16:59
मंगल 16:59 – 18:08
सूर्य 18:08 – 19:16

**** होरा, रात
शुक्र 19:16 – 20:08
बुध 20:08 – 20:59
चन्द्र 20:59 – 21:51
शनि 21:51 – 22:42
बृहस्पति 22:42 – 23:33
मंगल 23:33 – 24:25
सूर्य 24:25* – 25:16
शुक्र 25:16* – 26:08
बुध 26:08* – 26:59
चन्द्र 26:59* – 27:50
शनि 27:50* – 28:42
बृहस्पति 28:42* – 29:33

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

मिथुन > 02:59 से 05:11 तक
कर्क > 05:11 से 07:38 तक
सिंह > 07:38 से 09:40 तक
कन्या > 09:40 से 11:56 तक
तुला > 11:56 से 14:09 तक
वृश्चिक > 14:09 से 16:26 तक
धनु > 16:26 से 18:38 तक
मकर > 18:38 से 20:22 तक
कुम्भ > 20:22 से 21:56 तक
मीन > 21:56 से 22:28 तक
मेष > 22:28 से 01:02 तक
वृषभ > 01:02 से 02:59 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

12 + 2 + 1 = 15 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शनि ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

**** विशेष जानकारी ****

*सोम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)

*सर्वार्थ सिद्धि योग 07: 49तक

*विश्व जनसंख्या दिवस

**** शुभ विचार ****

एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना ।
आल्हादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी ।।
।। चा o नी o।।

विद्वान एवं सदाचारी एक ही पुत्र के कारन सम्पूर्ण परिवार वैसे ही खुशहाल रहता है जैसे चन्द्रमा के निकालने पर रात्रि जगमगा उठती है.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

शरीरवाङ्‍मनोभिर्यत्कर्म प्रारभते नरः ।,
न्याय्यं वा विपरीतं वा पञ्चैते तस्य हेतवः॥,

मनुष्य मन, वाणी और शरीर से शास्त्रानुकूल अथवा विपरीत जो कुछ भी कर्म करता है- उसके ये पाँचों कारण हैं॥,15॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
***********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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