** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-16/07/2022, शनिवार
तृतीया, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
आज का दिन आपके लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। घर परिवार का माहौल सौहार्दपूर्ण रहेगा। विवाह योग्य लोगों के लिए कोई उचित रिश्ता आने से सभी प्रसन्न रहेंगे। प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी में प्रशंसा होगी। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। चोट व रोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। किसी खास मित्र की मुलाकात से आपके मन को सुकून मिलेगा। आप माताजी को ननिहाल पक्ष के लोगों से मिलाने लेकर जा सकते हैं। जो लोग मांस मदिरा का सेवन करते हैं, वह उसे छोड़ने पर विचार कर सकते हैं। आप यदि अपने मन के विचारों को किसी के सामने जाहिर करेंगे, तो वह बाद में आप का मजाक बना सकता है।
तिथि———– तृतीया 13:26:29 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– धनिष्ठा 15:09:15
योग———आयुष्मान 20:47:34
करण——–विष्टि भद्र 13:26:29
करण————– बव 24:02:47
वार———————– शनिवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—————— कुम्भ
सूर्य राशि——- मिथुन 22:54:47
सूर्य राशि——————— कर्क
रितु————————– ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:35:13
सूर्यास्त—————- 19:15:08
दिन काल————- 13:39:55
रात्री काल————- 10:20:34
चंद्रास्त—————- 08:08:05
चंद्रोदय—————- 21:45:58
लग्न—-मिथुन 29°19′ , 89°19′
सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र—————— धनिष्ठा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
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**** पद, चरण ****
गु—-धनिष्ठा 09:41:34
गे—- धनिष्ठा 15:09:15
गो—- शतभिषा 20:39:12
सा—- शतभिषा 26:11:31
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 29:12 पुनर्वसु , 3 हा
चन्द्र = कुम्भ 00°23, धनिष्ठा , 3 गु
बुध =मिथुन 28 ° 07′ पुनर्वसु ‘ 3 हा
शुक्र=मिथुन 03°05, मृगशिरा ‘ 4 की
मंगल=मेष 13°30 ‘ अश्विनी ‘ 4 का
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°00’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°00 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 09:00 – 10:43 अशुभ
यम घंटा 14:08 – 15:50 अशुभ
गुली काल 05:35 – 07: 18अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 07:25 – 08:19 अशुभ
**** पंचक अहोरात्र अशुभ
**** चोघडिया, दिन
काल 05:35 – 07:18 अशुभ
शुभ 07:18 – 09:00 शुभ
रोग 09:00 – 10:43 अशुभ
उद्वेग 10:43 – 12:25 अशुभ
चर 12:25 – 14:08 शुभ
लाभ 14:08 – 15:50 शुभ
अमृत 15:50 – 17:33 शुभ
काल 17:33 – 19:15 अशुभ
**** चोघडिया, रात
लाभ 19:15 – 20:33 शुभ
उद्वेग 20:33 – 21:50 अशुभ
शुभ 21:50 – 23:08 शुभ
अमृत 23:08 – 24:25* शुभ
चर 24:25* – 25:43* शुभ
रोग 25:43* – 27:01* अशुभ
काल 27:01* – 28:18* अशुभ
लाभ 28:18* – 29:36* शुभ
**** होरा, दिन
शनि 05:35 – 06:44
बृहस्पति 06:44 – 07:52
मंगल 07:52 – 09:00
सूर्य 09:00 – 10:09
शुक्र 10:09 – 11:17
बुध 11:17 – 12:25
चन्द्र 12:25 – 13:34
शनि 13:34 – 14:42
बृहस्पति 14:42 – 15:50
मंगल 15:50 – 16:58
सूर्य 16:58 – 18:07
शुक्र 18:07 – 19:15
**** होरा, रात
बुध 19:15 – 20:07
चन्द्र 20:07 – 20:59
शनि 20:59 – 21:50
बृहस्पति 21:50 – 22:42
मंगल 22:42 – 23:34
सूर्य 23:34 – 24:25
शुक्र 24:25* – 25:17
बुध 25:17* – 26:09
चन्द्र 26:09* – 27:01
शनि 27:01* – 27:52
बृहस्पति 27:52* – 28:44
मंगल 28:44* – 29:36
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
मिथुन > 02:37 से 04:52 तक
कर्क > 04:52 से 07:22 तक
सिंह > 07:22 से 09:28 तक
कन्या > 09:28 से 11:38 तक
तुला > 11:38 से 13:53 तक
वृश्चिक > 13:53 से 16:06 तक
धनु > 16:06 से 18:22 तक
मकर > 18:22 से 20:06 तक
कुम्भ > 20:06 से 21:40 तक
मीन > 21:40 से 22:12 तक
मेष > 22:12 से 00:46 तक
वृषभ > 00:46 से 02:37 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 3 + 7 + 1 = 26 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 13:26 तक समाप्त
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
**** विशेष जानकारी ****
*चतुर्थी व्रत चंद्रोदय रात्रि 21:45
*कर्के सूर्य रात्रि 22:54
*निरायन दक्षिणायन प्रारम्भ
* पंचक अहोरात्र
*स्वर्णगौरी व्रत
**** शुभ विचार ****
साधुभ्यस्ते निवर्तन्ते पुत्रामित्राणि बान्धवाः ।
ये च तैः सह गन्तारस्तध्दर्मात्सुकृतं कुलम् ।।
।। चा o नी o।।
पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो लोग साधुओं का अनुशरण करते है उनमे भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते ।,
अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्त्विकम् ॥,
जिस ज्ञान से मनुष्य पृथक-पृथक सब भूतों में एक अविनाशी परमात्मभाव को विभागरहित समभाव से स्थित देखता है, उस ज्ञान को तू सात्त्विक जान॥,20॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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