India News (इंडिया न्यूज), Gobindgarh Fort Amritsar, अमृतसर : देश विदेश में गुरु की नगरी के नाम से मशहूर है पंजाब का शहर अमृतसर। अमृतसर नाम जहन में आते ही सबसे पहले ध्यान आता है श्री दरबार साहिब (हरिमंदर साहिब) जोकि पूरी दूनिया में गोल्डन टेंपल के नाम से विख्यात है। इसके साथ ही जलियां वाला बाग और फिर वाघा बॉर्डर, दुरगियाना मंदिर और राम तीर्थ जैसे अनेक दर्शनीय और धार्मिक स्थल इस पवित्र धरती पर मौजूद हैं। लेकिन इनके साथ ही एक ऐसा दर्शनीय स्थल यहां पर है जिसके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं वह है यहां का ऐतिहासिक किला गोबिंदगढ़।
इस किले का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। इसका क्षेत्रफल लगभग 43 एकड़ है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह किला एक मिट्टी के दुर्ग के रूप में है। यह किला कभी अपनी गोपनियता और सुरक्षा के लिए जाना जाता था। इसकी जानकारी इसी बात से मिलती है कि विश्व विख्यात कोहिनूर हीरा कभी इस किले में रखा जाता था। इस किलो को कभी भंगियां दा किला कहा जाता था। इसका निर्माण कबीले के स्थानीय गुर्जर सिंह भंगी ने करवाया था। वह भंगी मिसल का सरदार था, जो उस समय इस इलाके पर राज करता था। इस किले पर उसका लगभग 49 वर्षों तक आधिपत्य रहा।
इतिहास में यह दर्ज है कि भंगी मिसल पर हमला करते हुए महाराजा रणजीत सिंह ने इस किले को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इस किले का नाम सिख धर्म के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर गोबिंदगढ़ किला रखा।
यह किला लंबे समय तक महाराजा रणजीत सिंह का सरकारी खजाना रखने के लिए प्रयोग होता रहा। महाराजा रणजीत सिंह इस किले के निर्माण के तरीके से इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने शासन के दौरान अपनी बहुत सी बहुमूल्य वस्तुएं जिनमें कोहिनूर हीरा तक शामिल है इस किले में रखे। तभी से इस किले का ऐतिहासिक महत्व बढ़ गया है, जिसके कारण पंजाब सरकार ने इसे ऐतिहासिक स्मारक घोषित कर दिया।
इस किले को अपने कब्जे में लेने के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इस किले में बहुत सा निर्माण कार्य कराया। उन्होंने इस किले में बुर्ज, खंदक, कुएं तथा हवेलियां बनवाईं। महाराजा रणजीत सिंह का शासन समाप्त होने के बाद इस किले में अंग्रेजों के शासनकाल में कराए गए निर्माणकार्यों के अवशेष भी मिलते हैं। इनमें दरबार हॉल व एंग्लो-सिख बंगला भी है। यहां पर एक घंटी भी विद्यमान है, जो ब्रिटेन के शेफील्ड शहर में बनी हुई है।
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