** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-09/07/2022, शनिवार
नवमी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
तिथि———– नवमी 18:24:43 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र————- चित्रा 12:12:26
योग————– शिव 08:59:10
करण———– बालव 07:01:38
करण———– कौलव 18:24:43
वार———————– शनिवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि——————– तुला
सूर्य राशि—————— मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:31:26
सूर्यास्त—————- 19:17:00
दिन काल————- 13:45:33
रात्री काल————- 10:14:53
चंद्रोदय—————-13:36:31
चंद्रास्त—————- 25:09:03
लग्न—- मिथुन 21°41′ , 81°41′
सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र——————- चित्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत
*** पद, चरण ***
रा—- चित्रा 06:17:58
री—- चित्रा 12:12:26
रू—- स्वाति 18:04:14
रे—- स्वाति 23:53:22
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 21:12 पुनर्वसु , 1 के
चन्द्र = तुला 02°23, चित्रा , 3 रा
बुध =मिथुन 11 ° 07′ आर्द्रा ‘ 2 घ
शुक्र=वृषभ 23°05, मृगशिरा ‘ 1 वे
मंगल=मेष 07°30 ‘ अश्विनी ‘ 3 चो
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°30 विशाखा , 2 तू
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 10:41 – 12:24 अशुभ
यम घंटा 15:51 – 17:34 अशुभ
गुली काल 07:15 – 08:58 अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 08:17 – 09:12 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:52 – 13:47 अशुभ
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*** चोघडिया, दिन
चर 05:31 – 07:15 शुभ
लाभ 07:15 – 08:58 शुभ
अमृत 08:58 – 10:41 शुभ
काल 10:41 – 12:24 अशुभ
शुभ 12:24 – 14:07 शुभ
रोग 14:07 – 15:51 अशुभ
उद्वेग 15:51 – 17:34 अशुभ
चर 17:34 – 19:17 शुभ
*** चोघडिया, रात
रोग 19:17 – 20:34 अशुभ
काल 20:34 – 21:51 अशुभ
लाभ 21:51 – 23:08 शुभ
उद्वेग 23:08 – 24:24* अशुभ
शुभ 24:24* – 25:41* शुभ
अमृत 25:41* – 26:58* शुभ
चर 26:58* – 28:15* शुभ
रोग 28:15* – 29:32* अशुभ
*** होरा, दिन
शुक्र 05:31 – 06:40
बुध 06:40 – 07:49
चन्द्र 07:49 – 08:58
शनि 08:58 – 10:07
बृहस्पति 10:07 – 11:15
मंगल 11:15 – 12:24
सूर्य 12:24 – 13:33
शुक्र 13:33 – 14:42
बुध 14:42 – 15:51
चन्द्र 15:51 – 16:59
शनि 16:59 – 18:08
बृहस्पति 18:08 – 19:17
*** होरा, रात
मंगल 19:17 – 20:08
सूर्य 20:08 – 20:59
शुक्र 20:59 – 21:51
बुध 21:51 – 22:42
चन्द्र 22:42 – 23:33
शनि 23:33 – 24:24
बृहस्पति 24:24* – 25:16
मंगल 25:16* – 26:07
सूर्य 26:07* – 26:58
शुक्र 26:58* – 27:49
बुध 27:49* – 28:41
चन्द्र 28:41* – 29:32
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मिथुन > 03:11 से 05:30 तक
कर्क > 05:30 से 07:56 तक
सिंह > 07:00 से 09:58 तक
कन्या > 09:58 से 12:14 तक
तुला > 12:14 से 14:27 तक
वृश्चिक > 14:27 से 16:44 तक
धनु > 16:44 से 18:56 तक
मकर > 18:56 से 20:36 तक
कुम्भ > 20:36 से 22:10 तक
मीन > 22:10 से 22:40 तक
मेष > 22:40 से 01:20 तक
वृषभ > 01:20 से 03:11 तक
*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
9 + 6 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
*** शिव वास एवं फल -:
9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
*** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
* भड़ली नवमी (अबूझ मुहूर्त)
* हरि जयंती
* गुप्त नवरात्रि समापन
*** शुभ विचार ***
अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेणः रावणः ।
अतिदानाब्दलिर्बध्दो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत् ।।
।। चा o नी o।।
आत्याधिक सुन्दरता के कारन सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारन रावन का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
अनिष्टमिष्टं मिश्रं च त्रिविधं कर्मणः फलम् ।,
भवत्यत्यागिनां प्रेत्य न तु सन्न्यासिनां क्वचित् ॥,
कर्मफल का त्याग न करने वाले मनुष्यों के कर्मों का तो अच्छा, बुरा और मिला हुआ- ऐसे तीन प्रकार का फल मरने के पश्चात अवश्य होता है, किन्तु कर्मफल का त्याग कर देने वाले मनुष्यों के कर्मों का फल किसी काल में भी नहीं होता॥,12॥,
***आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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