🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-22/08/2022, सोमवार
दशमी, कृष्ण पक्ष,
भाद्रपद
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
तुला
व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आज आपको यह बात समझ में आ जाएगी कि निवेश करना अक्सर आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि आपके द्वारा किया गया कोई भी पुराना निवेश लाभदायक रिटर्न प्रदान करता है। यदि संचार और चर्चा अच्छी तरह से नहीं चलती है- तो आप अपना आपा खो सकते हैं और ऐसी बातें कह सकते हैं- जिसका आपको बाद में पछतावा होगा- बोलने से पहले सोचें।
अगर आपको लगता है कि आपका प्रिय आपको समझ नहीं रहा है, तो कुछ समय निकालकर उनके साथ बिताएं। खुलकर बात करें और अपने दिल की बात साफ-साफ कहें। यह उन महान दिनों में से एक है जब आप कार्यस्थल पर अच्छा महसूस करेंगे। आज आपके सहकर्मी आपके काम की सराहना करेंगे और आपके बॉस भी आपकी प्रगति से खुश नजर आएंगे। व्यवसायी भी आज व्यापार में लाभ कमा सकते हैं। आज आप अपना खाली समय धार्मिक कार्यों में बिताने के बारे में सोच सकते हैं। इस दौरान अनावश्यक वाद-विवाद में न पड़ें। शादीशुदा होने के कारण आज आप खुद को भाग्यशाली महसूस करने वाले हैं।
तिथि———– दशमी 27:35:11 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— मृगशिरा 31:39:41
योग———— हर्शण 22:36:33
करण———- वणिज 14:20:22
करण——- विष्टि भद्र 27:35:11
वार———————— सोमवार
माह———————– भाद्रपद
चन्द्र राशि——- वृषभ 18:08:00
चन्द्र राशि—————— मिथुन
सूर्य राशि——————- सिंह
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:53:53
सूर्यास्त————— 18:50:25
दिन काल————- 12:56:32
रात्री काल————- 11:03:56
चंद्रास्त—————- 14:46:33
चंद्रोदय—————- 25:07:11
लग्न—- सिंह 3°47′ , 123°47′
सूर्य नक्षत्र——————– मघा
चन्द्र नक्षत्र—————- मृगशिरा
नक्षत्र पाया——————- लोहा
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
वे—- मृगशिरा 11:22:50
वो—- मृगशिरा 18:08:00
का—- मृगशिरा 24:53:41
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 03:12 मघा , 2 मी
चन्द्र =वृषभ 23 °23, मृगशिरा , 1 वे
बुध =सिंह 00 ° 07′ उ o फा o ‘ 2 टो
शुक्र=कर्क 17°05, आश्लेषा ‘ 1 डी
मंगल=वृषभ 06°30 ‘ कृतिका ‘ 3 उ
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 23°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 23°10 विशाखा , 2 तू
🚩💮🚩 मुहूर्त प्रकरण 🚩💮🚩
राहू काल 17:13 – 18:50 अशुभ
यम घंटा 12:22 – 13:59 अशुभ
गुली काल 15:36 – 17:13 अशुभ
अभिजित 11:56 – 12:48 शुभ
दूर मुहूर्त 17:07 – 17:59 अशुभ
वर्ज्यम 10:56 – 12:44 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:54 – 07:31 अशुभ
चर 07:31 – 09:08 शुभ
लाभ 09:08 – 10:45 शुभ
अमृत 10:45 – 12:22 शुभ
काल 12:22 – 13:59 अशुभ
शुभ 13:59 – 15:36 शुभ
रोग 15:36 – 17:13 अशुभ
उद्वेग 17:13 – 18:50 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:50 – 20:13 शुभ
अमृत 20:13 – 21:36 शुभ
चर 21:36 – 22:59 शुभ
रोग 22:59 – 24:22* अशुभ
काल 24:22* – 25:45* अशुभ
लाभ 25:45* – 27:08* शुभ
उद्वेग 27:08* – 28:31* अशुभ
शुभ 28:31* – 29:54* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 05:54 – 06:59
शुक्र 06:59 – 08:03
बुध 08:03 – 09:08
चन्द्र 09:08 – 10:13
शनि 10:13 – 11:17
बृहस्पति 11:17 – 12:22
मंगल 12:22 – 13:27
सूर्य 13:27 – 14:32
शुक्र 14:32 – 15:36
बुध 15:36 – 16:41
चन्द्र 16:41 – 17:46
शनि 17:46 – 18:50
🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:50 – 19:46
मंगल 19:46 – 20:41
सूर्य 20:41 – 21:36
शुक्र 21:36 – 22:32
बुध 22:32 – 23:27
चन्द्र 23:27 – 24:22
शनि 24:22* – 25:18
बृहस्पति 25:18* – 26:13
मंगल 26:13* – 27:08
सूर्य 27:08* – 28:04
शुक्र 28:04* – 28:59
बुध 28:59* – 29:54
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
सिंह > 05:48 से 06:54 तक
कन्या > 06:54 से 09:04 तक
तुला > 09:04 से 11:18 तक
वृश्चिक > 11:18 से 13:34 तक
धनु > 13:34 से 16:04 तक
मकर > 16:04 से 17:42 तक
कुम्भ > 17:42 से 19:10 तक
मीन > 19:10 से 19:44 तक
मेष > 19:44 से 10:16 तक
वृषभ > 10:16 से 00:08 तक
मिथुन > 00:08 से 02:28 तक
कर्क > 02:28 से 05:32 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 10 + 1+ 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
25 + 25 + 5 = 55 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:20 से रात्रि 27:35 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* मनसा पूजा
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
निःस्पृहो नाधिकारी स्यान्नाकामो मण्डनप्रियः ।
नाऽविदग्धः प्रियंब्रूयात् स्पष्टवक्ता न वञ्चकः ।।
।। चा o नी o।।
वह व्यक्ति जिसके हाथ स्वच्छ है कार्यालय में काम नहीं करना चाहता. जिस ने अपनी कामना को ख़तम कर दिया है, वह शारीरिक शृंगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा हुआ व्यक्ति है वो मीठे बोल बोल नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
यदहङ्कारमाश्रित्य न योत्स्य इति मन्यसे ।,
मिथ्यैष व्यवसायस्ते प्रकृतिस्त्वां नियोक्ष्यति ॥,
जो तू अहंकार का आश्रय लेकर यह मान रहा है कि ‘मैं युद्ध नहीं करूँगा’ तो तेरा यह निश्चय मिथ्या है, क्योंकि तेरा स्वभाव तुझे जबर्दस्ती युद्ध में लगा देगा॥,59॥,
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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