India News (इंडिया न्यूज), Maharaja Ranjit Singh Museum, अमृतसर : पंजाब पर सिख साम्राज्य को बुलंदी तक पहुंचाने में महाराजा रणजीत सिंह का शासन काल बहुत अहमियत रखता है। उन्हें शेरे पंजाब की उपाधि से नवाजा गया था। महाराजा रणजीत सिंह एक ऐसे शासक के रूप में उभरे जिन्हें बहुत छोटी उम्र में ही अपने राज्य का शासन संभालना पड़ा और उन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं भटकने दिया।
यहां तक कि पंजाब पर अंग्रेजों का पूर्ण रूप से अधिकार महाराजा रणजीत सिंह की मौत के बाद ही हो सका। छोटी सी उम्र में चेचक की वजह से महाराजा रणजीत सिंह की एक आंख की रोशनी चली गई। वे महज 12 वर्ष के थे जब उनके पिता चल बसे और राजपाट का सारा बोझ उन्हीं के कंधों पर आ गया। महाराजा रणजीत सिंह ने अपने युद्ध कोशल से पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर अधिकार किया।
उसके बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया। पहली आधुनिक भारतीय सेना – “सिख खालसा सेना” गठित करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उनकी सरपरस्ती में पंजाब अब बहुत शक्तिशाली सूबा था। महाराजा रणजीत सिंह के जीवन और उनके शासन काल को दर्शाता संग्रहालय अमृतसर में मौजूद है। जिसे महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालय के नाम से जाना जाता है।
महाराजा रणजीत सिंह और सिख सम्राज्य की शौर्यगाथा को इस संग्रहालय में दर्शाया गया है। यही कारण है कि देश विदेश से लाखों पर्यटक हर साल इस संग्रहालय को देखने पहुंचते हैं। यह संग्रहालय अमृतसर जंक्शन से 1.5 किमी की दूरी पर और अमृतसर स्वर्ण मंदिर से 4 किमी की दूरी पर स्थित है। यह पंजाब के सबसे अच्छे संग्रहालयों में से एक है और अमृतसर के शीर्ष पर्यटक आकर्षणों में से एक है।
महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालय मूल रूप से महाराजा रणजीत सिंह का ग्रीष्मकालीन महल था। बाद में, इसे 1977 ई. में संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया। यह 18वीं और 19वीं सदी के सिखों के इतिहास, कला और वास्तुकला का खजाना है। संग्रहालय सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह के जीवन में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
संग्रहालय महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ी वस्तुओं जैसे हथियार और कवच, उत्कृष्ट पेंटिंग और सदियों पुराने सिक्के और पांडुलिपियां प्रदर्शित करता है। सभी चित्रों में, लाहौर शहर को दर्शाने वाला चित्र सबसे प्रसिद्ध है। संग्रहालय में प्रदर्शित सिक्के और पांडुलिपियां क्रमश: राजा और सिख प्रांत के समृद्ध इतिहास में धर्मनिरपेक्षता की भावना को दर्शाती हैं।
संग्रहालय के हथियार और गोला बारूद अनुभाग में हथियारों का एक समृद्ध संग्रह दिखाया गया है, जो उस समय के महान योद्धाओं में प्रचलित थे। इस संग्रहालय के बगल में सुंदर महाराजा रणजीत सिंह पैनोरमा है, जो एक शाश्वत दृश्य रिकॉर्ड है जो महाराजा के जीवन को समाहित करता है। इस संग्रहालय को पर्यटक मंगलवार से लेकर रविवार तक सुबह 10 से शाम 5 बजे तक देख सकते हैं। इसके साथ ही यह प्रत्येक सोमवार और सार्वजनिक अवकाश के दिन बंद रहता है। इस संग्रहालय का प्रवेश शुल्क 10 रुपए प्रति व्यक्ति रखा गया है।
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