इंडिया न्यूज,(MahaShivratri 2023 Date): शिव साधना का प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेभंडारी और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन शिव ने वैरागी जीवन का त्याग कर राजा हिमाचल की पुत्री माता पार्वती और रानी मैना देवी को अपनी जीवनसंगिनी बनाया था। इस साल महाशिवरात्रि की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है। आइए जानते हैं कि इस बार महाशिवरात्रि का व्रत किस दिन रखा जाएगा और शंकर-पार्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को है। महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि के चार प्रहर में करने का विधान है। इस समय शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसे में शिवरात्रि का व्रत और पूजन 18 फरवरी 2023 को ही किया जाएगा।
प्रथम प्रहर रात्रि पूजा : शाम 06 बजकर 21 – रात 09 बजकर 31
द्वितीया प्रहर रात्रि पूजा : रात 09 बजकर 31 – 19 फरवरी 2023, प्रात: 12 बजकर 41
तृतीया प्रहर रात्रि पूजा : सुबह 12 बजकर 41 – सुबह 03 बजकर 51 (19 फरवरी 2023)
चतुर्थ प्रहर रात्रि पूजा : सुबह 03 बजकर 51 – सुबह 07:00 (19 फरवरी 2023)
महाशिवरात्रि पारण समय : सुबह 07:00 – दोपहर 03 बजकर 31 (19 फरवरी 2023)
महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यूं तो हर महीने कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन शिव शंभु और माता पार्वती की पूजा करने वालों का वैवाहिक जीवन परेशानी मुक्त रहता है। सुयोग्य वर की कामना के लिए महाशिवरात्रि का व्रत श्रेष्ठ माना गया है।
जिस प्रकार देवी पार्वती ने सालों शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी, उसी प्रकार कहते हैं कि महाशिवरात्रि के व्रत प्रभाव से शिव समान जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी होती है। वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है। मान्यता है कि इसी दिन विश्व प्रसिद्धि 12 ज्योतिर्लिगं के रूप में शिव जी प्रकट हुए थे। जो मासिक शिवरात्रि व्रत शुरू करना चाहते हैं उन्हें इस दिन से व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद 8 लोटे केसर जल चढ़ाएं। उस दिन पूरी रात का दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें। ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्रों का जाप करें। इस दिन शिव पुराण का पाठ जरूर करें। महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है।
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