***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
***अथ पंचांगम् ***
******ll जय श्री राधे ll******
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दिनाँक-: 11/03/2022,शुक्रवार
नवमी, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
******************************(समाप्ति काल)
मीन
जल्दबाजी से काम बिगड़ेंगे तथा समस्या बढ़ सकती है। विरोध होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। बाहर जाने की योजना बनेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग कार्य में आसानी देगा। घर-बाहर सुख-शांति बने रहेगी। नौकरी में चैन रहेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा।
तिथि————- नवमी अहोरात्र तक
पक्ष———————– शुक्ल
नक्षत्र——- मृगशिरा 14:34:15
योग—– आयुष्मान 27:08:34
करण——— बालव 18:51:50
वार——————— शुक्रवार
माह———————-फाल्गुन
चन्द्र राशि ——————– मिथुन
सूर्य राशि—————– कुम्भ
रितु———————- शिशिर
सायन———————वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————–प्लव
संवत्सर (उत्तर)————- आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)——2078
शाका संवत————– 1943
वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:34:37
सूर्यास्त————- 18:24:09
दिन काल———– 11:49:32
रात्री काल———– 12:09:22
चंद्रोदय————– 12:01:43
चंद्रास्त————– 26:32:07
लग्न—-कुम्भ 26°16′ , 326°16′
सूर्य नक्षत्र——— पूर्वाभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र————– मृगशिरा
नक्षत्र पाया—————-लोहा
***पद, चरण ***
का—- मृगशिरा 07:48:10
की—- मृगशिरा 14:34:15
कु—- आर्द्रा 21:19:46
घ—- आर्द्रा 28:04:29
***ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कुम्भ 26:12 ‘पू o भा o , 2 सो
चन्द्र =मिथुन 02°23, मृगशिरा, 3 का
बुध = कुम्भ 04 ° 07 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो
शुक्र=मकर 10°05, श्रवण ‘ 1 खी
मंगल=मकर 09°30 ‘ उ o षा o ‘ 4 जी
गुरु=कुम्भ 22°30 ‘ पू o भा o, 1 से
शनि=मकर 25°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व)वृषभ 01°50’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 01°50 विशाखा , 4 तो
***मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 11:01 – 12:29 अशुभ
यम घंटा 15:27 – 16:55 अशुभ
गुली काल 08:03 – 09:32 अशुभ
अभिजित 12:06 -12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:57 – 09:44 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:53 – 13:40 अशुभ
***चोघडिया, दिन***
चर 06:35 – 08:03 शुभ
लाभ 08:03 – 09:32 शुभ
अमृत 09:32 – 11:01 शुभ
काल 11:01 – 12:29 अशुभ
शुभ 12:29 – 13:58 शुभ
रोग 13:58 – 15:27 अशुभ
उद्वेग 15:27 – 16:55 अशुभ
चर 16:55 – 18:24 शुभ
***चोघडिया, रात***
रोग 18:24 – 19:55 अशुभ
काल 19:55 – 21:27 अशुभ
लाभ 21:27 – 22:58 शुभ
उद्वेग 22:58 – 24:29* अशुभ
शुभ 24:29* – 26:00* शुभ
अमृत 26:00* – 27:31* शुभ
चर 27:31* – 29:02* शुभ
रोग 29:02* – 30:34* अशुभ
***होरा, दिन***
शुक्र 06:35 – 07:34
बुध 07:34 – 08:33
चन्द्र 08:33 – 09:32
शनि 09:32 – 10:31
बृहस्पति 10:31 – 11:30
मंगल 11:30 – 12:29
सूर्य 12:29 – 13:29
शुक्र 13:29 – 14:28
बुध 14:28 – 15:27
चन्द्र 15:27 – 16:26
शनि 16:26 – 17:25
बृहस्पति 17:25 – 18:24
***होरा, रात***
मंगल 18:24 – 19:25
सूर्य 19:25 – 20:26
शुक्र 20:26 – 21:27
बुध 21:27 – 22:27
चन्द्र 22:27 – 23:28
शनि 23:28 – 24:29
बृहस्पति 24:29* – 25:30
मंगल 25:30* – 26:30
सूर्य 26:30* – 27:31
शुक्र 27:31* – 28:32
बुध 28:32* – 29:33
चन्द्र 29:33* – 30:34
***उदयलग्न प्रवेशकाल ***
कुम्भ > 05:24 से 06:50 तक
मीन > 06:50 से 08:21 तक
मेष > 08:21 से 11:04 तक
वृषभ > 11:04 से 12:45 तक
मिथुन > 12:45 से 14:09 तक
कर्क > 14:09 से 16:29 तक
सिंह > 16:29 से 17:35 तक
कन्या > 17:35 से 08:47 तक
तुला > 08:47 से 11:16 तक
वृश्चिक > 11:16 से 02:28 तक
धनु > 02:28 से 03:32 तक
मकर > 03:32 से 05:24 तक
***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार***
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
***दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम***
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
***अग्नि वास ज्ञान ***
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
9 + 6 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
***ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
***शिव वास एवं फल ***
9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
***भद्रा वास एवं फल ***
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
***विशेष जानकारी ***
* आनंदा नवमी
* लठ्ठमार होली रंगीली गली (बरसाना)
* श्री हरि जयन्ती
* छत्रपति सम्भाजी बलिदान दिवस
***शुभ विचार ***
संसारतापदग्धानां त्रयो विश्रान्तेहेतवः ।
अपत्यं च कलत्रं च सतां सड्गतिरेव च ।।
।।चा o नी o।।
जब व्यक्ति जीवन के दुःख से झुलसता है उसे निम्नलिखित ही सहारा देते है…
१. पुत्र और पुत्री २. पत्नी ३. भगवान् के भक्त.
***सुभाषितानि ***
गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13
अन्ये त्वेवमजानन्तः श्रुत्वान्येभ्य उपासते ।,
तेऽपि चातितरन्त्येव मृत्युं श्रुतिपरायणाः ॥,
परन्तु इनसे दूसरे अर्थात जो मंदबुद्धिवाले पुरुष हैं, वे इस प्रकार न जानते हुए दूसरों से अर्थात तत्व के जानने वाले पुरुषों से सुनकर ही तदनुसार उपासना करते हैं और वे श्रवणपरायण पुरुष भी मृत्युरूप संसार-सागर को निःसंदेह तर जाते हैं॥,25॥,
*****आपका दिन मंगलमय हो*****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण, ज्योतिष एवं पुराणाचार्य)