*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-06/07/2022, बुधवार
सप्तमी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
** दैनिक राशिफल **
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
आज का दिन आपके स्वास्थ्य में गिरावट लेकर आएगा, इसलिए आपको बाहर के खान-पान से परहेज रखना बेहतर रहेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विवेक से कार्य करें। यदि पहले आपने कभी भावुकता में किसी निर्णय को लिया था, तो आपको उसके लिए पछतावा होगा। सायंकाल के समय आप अपने माता पिता को धार्मिक यात्रा पर लेकर जा सकते हैं, जिससे आपके व उनके बीच दूरियां आ गई थी तो वह कम होंगी। यदि संतान के विवाह संबंधित कोई प्रस्ताव आए, तो आपको उसमें बहुत ही सोच विचार कर ही हां करनी होगी, नहीं तो बाद में आपको पछताना पड़ सकता है।
तिथि———- सप्तमी 19:48:04. तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र— उत्तराफाल्गुनी 11:42:59
योग———- वरियान 11:40:39
करण————– गर 07:42:52
करण———– वणिज 19:48:04
वार———————— बुधवार
माह————————आषाढ
चन्द्र राशि——————- कन्या
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु—————————ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शक संवत——————-1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:30:35
सूर्यास्त—————- 19:17:14
दिन काल————- 13:46:39
रात्री काल————- 10:13:46
चंद्रोदय————— 11:39:44
चंद्रास्त————— 24:02:38
लग्न—- मिथुन 19°47′ , 79°47′
सूर्य नक्षत्र—————— आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र———–उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————- रजत
*** पद, चरण ***
पी—- उत्तरा फाल्गुनी 11:42:59
पू—- हस्त 17:55:38
ष—- हस्त 24:05:48
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मिथुन 19:12 आर्द्रा , 4 छ
चन्द्र = कन्या 06°23, उ o फाo , 3 पा
बुध =मिथुन 07 ° 07′ आर्द्रा ‘ 1 कु
शुक्र=वृषभ 21°05, रोहिणी ‘ 4 वू
मंगल=मेष 06°30 ‘ अश्विनी ‘ 2 चे
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°30 विशाखा , 2 तू
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 12:24 – 14:07 अशुभ
यम घंटा 07:14 – 08:57 अशुभ
गुली काल 10:41 – 12:24 अशुभ
अभिजित 11:56 – 12:51 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:56 – 12:51 अशुभ
*** चोघडिया, दिन
लाभ 05:31 – 07:14 शुभ
अमृत 07:14 – 08:57 शुभ
काल 08:57 – 10:41 अशुभ
शुभ 10:41 – 12:24 शुभ
रोग 12:24 – 14:07 अशुभ
उद्वेग 14:07 – 15:51 अशुभ
चर 15:51 – 17:34 शुभ
लाभ 17:34 – 19:17 शुभ
*** चोघडिया, रात
उद्वेग 19:17 – 20:34 अशुभ
शुभ 20:34 – 21:51 शुभ
अमृत 21:51 – 23:07 शुभ
चर 23:07 – 24:24* शुभ
रोग 24:24* – 25:41* अशुभ
काल 25:41* – 26:58* अशुभ
लाभ 26:58* – 28:14* शुभ
उद्वेग 28:14* – 29:31* अशुभ
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*** होरा, दिन
बुध 05:31 – 06:39
चन्द्र 06:39 – 07:48
शनि 07:48 – 08:57
बृहस्पति 08:57 – 10:06
मंगल 10:06 – 11:15
सूर्य 11:15 – 12:24
शुक्र 12:24 – 13:33
बुध 13:33 – 14:42
चन्द्र 14:42 – 15:51
शनि 15:51 – 16:59
बृहस्पति 16:59 – 18:08
मंगल 18:08 – 19:17
*** होरा, रात
सूर्य 19:17 – 20:08
शुक्र 20:08 – 20:59
बुध 20:59 – 21:51
चन्द्र 21:51 – 22:42
शनि 22:42 – 23:33
बृहस्पति 23:33 – 24:24
मंगल 24:24* – 25:15
सूर्य 25:15* – 26:06
शुक्र 26:06* – 26:58
बुध 26:58* – 27:49
चन्द्र 27:49* – 28:40
शनि 28:40* – 29:31
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मिथुन > 03:15 से 05:34 तक
कर्क > 05:34 से 08:00 तक
सिंह > 08:00 से 10:02 तक
कन्या > 10:02 से 12:18 तक
तुला > 12:18 से 14:33 तक
वृश्चिक > 14:33 से 16:48 तक
धनु > 16:48 से 19:00 तक
मकर > 19:00 से 20:40 तक
कुम्भ > 20:40 से 22:14 तक
मीन > 22:14 से 22:44 तक
मेष > 22:44 से 01:24 तक
वृषभ > 01:24 से 03:15 तक
*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
7 + 4 + 1 = 12 ÷ 4 = 0शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
*** शिव वास एवं फल -:
7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
*** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 19:48 से प्रारम्भ
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*** विशेष जानकारी ***
*वैवश्वत सप्तमी सूर्य पूजा
* सर्वार्थ सिद्धि योग11:43 से
* श्यामसुंदर मुखर्जी जयंती
*** शुभ विचार ***
त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत् ।
ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत् ।।
।। चा o नी o।।
कुल की रक्षा के लिए एक सदस्य का बिलदान दें,गाव की रक्षा के लिए एक कुल का बिलदान दें, देश की रक्षा के लिए एक गाव का बिलदान दें, आतमा की रक्षा के लिए देश का बिलदान दें.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
न द्वेष्ट्यकुशलं कर्म कुशले नानुषज्जते ।,
त्यागी सत्त्वसमाविष्टो मेधावी छिन्नसंशयः ॥,
जो मनुष्य अकुशल कर्म से तो द्वेष नहीं करता और कुशल कर्म में आसक्त नहीं होता- वह शुद्ध सत्त्वगुण से युक्त पुरुष संशयरहित, बुद्धिमान और सच्चा त्यागी है॥,10॥,
***आपका दिन मंगलमय हो***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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