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Virasat-e-Khalsa Museum : विरासत-ए-खालसा एक ऐसा संग्रहालय जो एशिया में सबसे ज्यादा देखा जाता है

  • यह संग्रहालय सिख धर्म के इतिहास से करवाता है रूबरू
  • 20 मार्च 2019 को एक दिन में 20569 सैलानी पहुंचे

India News (इंडिया न्यूज), Virasat-e-Khalsa Museum, आनंदपुर साहिब : पंजाब का ऐतिहासिक शहर आनंदपुर साहिब अपने आप में अनोखा है। यह न केवल खालसा पंथ का जन्म स्थान है बल्कि इस शहर में सिख धर्म के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन के कई वर्ष परिवार सहित व्यतीत किए। इसलिए इस शहर को लेकर सिख श्रद्धालुओं में बहुत आस्था है।

विरासत-ए-खालसा

यहां पर पूरा वर्ष श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। इस शहर में बहुत सारे ऐसे स्थान हैं जो गुरु जी से संबंधित हैं और जिन्हें देखने के लिए देश विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं। इसके साथ ही आनंदपुर साहिब में एक ऐसा संग्रहालय है जिसे देखने पूरी दुनिया से लोग आते हैं। यह है विरासत-ए-खालसा संग्रहालय। इस संग्रहालय को एशिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले संग्रहालय का खिताब मिल चुका है।

कब किया गया था निर्माण

विरासत-ए-खालसा

विरासत-ए-खालसा का निर्माण एक बहुत बड़े क्षेत्र में किया गया है। इसके निर्माण को करीब 13 साल लगे। एक इजराइली आर्किटेक्ट मोशे सफी द्वारा डिजाइन किया गया। इस संग्रहालय को 13 अप्रैल 2011 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया। तब से लेकर अब तक हर रोज हजारों लोग इसको देखने आते हैं। 20 मार्च 2019 को एक दिन में यहां पर भारत में किसी संग्रहालय के लिए अब तक 20569 सैलानी पहुंचे। जो एक रिकॉर्ड है । यह संग्रहालय हस्तकला के साथ आधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिए सिख धर्म और पंजाब की संस्कृति के बारे में देश-विदेश से आए सैलानियों को रुबरू करवाता है।

सिख धर्म के इतिहास को दर्शाती हैं 27 गैलरी

विरासत-ए-खालसा

विरासत-ए-खालसा में कुल 27 गैलरी बनाई गई हैं जिनके द्वारा सिख धर्म के 550 साल के इतिहास को दिखाया गया है। इस विशाल संग्रहालय में घूमते हुए आपको पता भी नहीं लगता कि कितनी आसानी और सरलता के साथ आप सिख इतिहास के 550 साल लंबे सफर को तय कर चुके हैं। इस संग्रहालय में में बनी 27 गैलरी को दो भागों में बांटा गया है। पहला भाग आपको सिखों के पहले गुरु- गुरु नानक के वक्त से शुरू होकर सिखों की धार्मिक ग्रंथ- गुरु ग्रंथ साहिब के स्थापित होने तक की कहानी बयान करता है। वहीं दूसरा भाग सफर को आगे बढ़ाते हुए बाबा बंदा सिंह बहादुर और महाराजा रंजीत सिंह के शौर्य की गाथाएं सुनाता है।

विरासत-ए-खालसा

इस संग्रहालय की गैलरी सिख धर्म की कुर्बानी, शौर्य गाथा के साथ-साथ पंजाब की सांस्कृतिक विरासत की भी झलक दिखाती हैं। एक तरफ यह स्थानीय लोगों को हस्त शिल्प को बढ़ावा देने के साथ-साथ विरासत की भावना को बढ़ावा देता है, इसके अलावा यह मौजूदा क्षितिज के वॉल्यूमेट्रिक हस्तक्षेप से अनंतता को याद करता है, यह शहरीकरण की दुविधा का एक और चरण है। इस संग्रहालय को देखने के लिए वैसे तो कोई टिकट नहीं लगता , लेकिन अगर आप पूरे दिन यहां पर बिताना चाहते हैं या इस जगह पर किसी तरह की रिसर्च कर रहे हैं तो उसके लिए 100 रुपए देकर पूरे दिन का पास लेना जरूरी होता है। ये संग्रहालय हफ्ते में 6 दिन खुला रहता है और आप सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक यहां घूम सकते हैं।

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