? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-14/08/2022, रविवार
द्वादशी, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
कार्यस्थल पर वरिष्ठों का दबाव और घर में कलह कुछ तनाव ला सकती है- जो काम पर आपकी एकाग्रता को भंग करेगा। बुद्धिमान निवेश से केवल रिटर्न मिलेगा- इसलिए सुनिश्चित करें कि आपने अपनी मेहनत की कमाई को कहां रखा है। घर में ही अनुष्ठान या शुभ कार्य करने चाहिए। समय, काम, पैसा, दोस्त, परिवार, रिश्तेदार; सब एक तरफ और आप अपने साथी के साथ आज दूसरी तरफ होंगे, सब एक दूसरे में। जो कोई भी आपके रास्ते में खड़ा हो, उसके प्रति विनम्र और आकर्षक बनें- केवल कुछ चुनिंदा लोग ही आपके जादू के आकर्षण के पीछे के रहस्य को जान पाएंगे। आज गुलाब का रंग लाल और बैंगनी नीला दिखाई देगा क्योंकि प्यार का नशा आपको ऊंच-नीच दे रहा है। यह कुछ उबाऊ दिन हो सकता है; आप कुछ अलग और रचनात्मक करते हुए इसे दिलचस्प बना सकते हैं।
तिथि———- द्वादशी 17:45:28 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र————- मूल 12:16:37
योग——— विश्कुम्भ 23:34:07
करण————- बव 07:25:17
करण———– बालव 17:45:28
करण———– कौलव 28:01:39
वार———————- रविवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि——————- धनु
सूर्य राशि—————— कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————– नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————- 2078
शक संवत——————-1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:47:49
सूर्यास्त—————- 19:01:16
दिन काल————- 13:13:26
रात्री काल————- 10:47:04
चंद्रोदय————— 16:55:44
चंद्रास्त————— 27:20:38
लग्न—- कर्क 22°16′ , 112°16′
सूर्य नक्षत्र————— आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र——————— मूल
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
??? पद, चरण ???
भा—- मूल 06:53:35
भी—- मूल 12:16:37
भू—- पूर्वाषाढा 17:38:29
धा—- पूर्वाषाढा 22:59:19
फा—- पूर्वाषाढा 28:19:17
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 22:12 अश्लेषा , 2 डू
चन्द्र =धनु 09 °23, ज्येष्ठा, 3 भा
बुध =सिंह 13 ° 07′ पू o फा o ‘ 1 मो
शुक्र=कर्क 02°05, पुनर्वसु ‘ 4 ही
मंगल=मेष 28°30 ‘ कृतिका ‘ 1 अ
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 23°40’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 23°40 विशाखा , 2 तू
??? मुहूर्त प्रकरण ???
राहू काल 15:43 – 17:22 अशुभ
यम घंटा 09:06 – 10:45 अशुभ
गुली काल 12:25 – 14:04 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 08:27 – 09:19 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:20 – 24:13* अशुभ
गंड मूल 05:48 – 12:17 अशुभ
?चोघडिया, दिन
रोग 05:48 – 07:27 अशुभ
उद्वेग 07:27 – 09:06 अशुभ
चर 09:06 – 10:45 शुभ
लाभ 10:45 – 12:25 शुभ
अमृत 12:25 – 14:04 शुभ
काल 14:04 – 15:43 अशुभ
शुभ 15:43 – 17:22 शुभ
रोग 17:22 – 19:01 अशुभ
?चोघडिया, रात
काल 19:01 – 20:22 अशुभ
लाभ 20:22 – 21:43 शुभ
उद्वेग 21:43 – 23:04 अशुभ
शुभ 23:04 – 24:25* शुभ
अमृत 24:25* – 25:46* शुभ
चर 25:46* – 27:07* शुभ
रोग 27:07* – 28:27* अशुभ
काल 28:27* – 29:48* अशुभ
?होरा, दिन
मंगल 05:48 – 06:54
सूर्य 06:54 – 08:00
शुक्र 08:00 – 09:06
बुध 09:06 – 10:12
चन्द्र 10:12 – 11:18
शनि 11:18 – 12:25
बृहस्पति 12:25 – 13:31
मंगल 13:31 – 14:37
सूर्य 14:37 – 15:43
शुक्र 15:43 – 16:49
बुध 16:49 – 17:55
चन्द्र 17:55 – 19:01
?होरा, रात
शनि 19:01 – 19:55
बृहस्पति 19:55 – 20:49
मंगल 20:49 – 21:43
सूर्य 21:43 – 22:37
शुक्र 22:37 – 23:31
बुध 23:31 – 24:25
चन्द्र 24:25* – 25:19
शनि 25:19* – 26:13
बृहस्पति 26:13* – 27:07
मंगल 27:07* – 28:00
सूर्य 28:00* – 28:54
शुक्र 28:54* – 29:48
?? उदयलग्न प्रवेशकाल ??
कर्क > 03:22 से 05:34 तक
सिंह > 05:34 से 07:44 तक
कन्या > 07:44 से 09:54 तक
तुला > 09:54 से 12:08 तक
वृश्चिक > 12:08 से 14:24 तक
धनु > 14:24 से 16:44 तक
मकर > 16:44 से 18:28 तक
कुम्भ > 18:28 से 20:00 तक
मीन > 20:00 से 20:34 तक
मेष > 20:34 से 11:06 तक
वृषभ > 11:06 से 00:58 तक
मिथुन > 00:58 से 03:22 तक
?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
12 + 3 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
? शिव वास एवं फल -:
12 + 12 + 5 = 29 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
?? विशेष जानकारी ??
*दामोदर द्वादशी
*पवित्रा द्वादशी
*विष्णु पवित्रा रोपण
*भौम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
* मंगला गौरी व्रत
*भारत छोड़ो आंदोलन दिवस
*विश्व आदिवासी दिवस
??? शुभ विचार ???
श्रुत्वा धर्मं विजानाति श्रुत्वा त्यजति दुर्मतिम् ।
श्रुत्वा ज्ञानमवाप्नोति श्रुत्वा मोक्षमवाप्नुयात् ।।
।। चा o नी o।।
वण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है.
??? सुभाषितानि ???
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
स्वे स्वे कर्मण्यभिरतः संसिद्धिं लभते नरः।,
स्वकर्मनिरतः सिद्धिं यथा विन्दति तच्छृणु॥,
अपने-अपने स्वाभाविक कर्मों में तत्परता से लगा हुआ मनुष्य भगवत्प्राप्ति रूप परमसिद्धि को प्राप्त हो जाता है।, अपने स्वाभाविक कर्म में लगा हुआ मनुष्य जिस प्रकार से कर्म करके परमसिद्धि को प्राप्त होता है, उस विधि को तू सुन॥,45॥,
?आपका दिन मंगलमय हो?
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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