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Kaleshwar Mahadev Temple Kurushetra : शिव मंदिर जहां बिना नंदी के विराजमान है महादेव, यहां पूजा करने से अकाल मृत्यु दोष होता है दूर

• LAST UPDATED : July 23, 2024

इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Kaleshwar Mahadev Temple Kurushetra : भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है वहीं भारत के हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र को पूरे विश्व में श्रीमद् भागवत गीता उपदेश के लिए और महाभारत के युद्ध के लिए जाना जाता है लेकिन कुरुक्षेत्र में कुछ ऐसे प्राचीन मंदिर भी स्थित हैं जिनकी भारत ही नहीं विदेशों में भी मानता है और यहां पर देश-विदेश से भक्त मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं।

आज हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर की, यह मंदिर महाभारत रामायण युग से भी प्राचीन बताया जाता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान भोलेनाथ बिना नंदी के विराजमान हैं, माना जाता है कि जो भी शिव भक्त यहां पर जाकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है और मनोकामना मांगता है, उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है तो वहीं इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिलती है।

Kaleshwar Mahadev Temple Kurushetra : क्या है मंदिर का इतिहास, मंदिर लंकापति रावण से जुड़ा है खास किस्सा

Kaleshwar Mahadev Temple Kurushetra

शिव मंदिर जहां बिना नंदी के विराजमान है महादेव, यहां पूजा करने से अकाल मृत्यु दोष होता है दूर

कालेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी राकेश ने बताया कि पौराणिक किदवंत कथाओं के अनुसार कालेश्वर महादेव मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है वह स्वयंभू शिवलिंग है जो अपने आप खुद ही प्रकट हुआ था। उन्होंने बताया कि इस मंदिर का प्राचीन इतिहास लंकापति रावण से जुड़ा हुआ है।

एक समय की बात थी जब लंकापति रावण अपने उड़न खटोले में सवार होकर कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर से गुजर रहे थे तो जैसे ही वह मंदिर के बिल्कुल ऊपर आए तो उनका उड़न खटोला लड़खड़ाया इसके बाद लंका पति रावण ने सोचा कि ऐसी कौन सी शक्ति यहां पर मौजूद है, जिन्होंने उसके वाहन को भी प्रभावित कर दिया। उसके बाद वह नीचे आते हैं तो उनको यहां पर शिवलिंग मिलता है, जहां पर वह भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने लग जाते हैं।

लंकापति रावण की तपस्या से प्रभावित होकर भगवान भोलेनाथ प्रकट होते हैं और वह उनसे कुछ वर मांगने की बात कहते हैं। तब लंकापति रावण भगवान महादेव से कहते हैं कि भगवान जब मैं आपसे वह मांगूंगा तो मैं चाहता हूं कि हमारे वार्तालाप को कोई न सुने, जो मैं वर मांगना चाहता हूं इसका साक्षी कोई तीसरा न हो, तब महादेव नंदी महाराज को कैलाश पर्वत पर जाने को कह देते हैं और उस समय महादेव और लंकापति रावण वहां पर दोनों रह जाते हैं। उस समय से ही भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में यहां पर बिना नंदी के विराजमान हैं जिसके चलते यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जो पूरे विश्व में बिना नंदी महाराज के यहां पर स्थापित है।

यहां पूजा करने पर मिलती है अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति

पंडित के मुख्य पुजारी ने बातचीत करते हुए बताया कि कालेश्वर महादेव मंदिर में जो भी इसी वक्त पूजा अर्चना करने के लिए आता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अगर किसी इंसान की कुंडली में अकाल मृत्यु दोष है तो वह यहां पर आकर शनिवार और सोमवार के दिन शिवलिंग को जल अर्पित करें उससे उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती।

यह प्रचलन भी इसलिए यहां पर जारी है क्योंकि जब लंकापति रावण ने महादेव से इस मंदिर में वरदान मांगा था तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ से काल पर विजय होने का वरदान मांगा था, इसलिए यहां पर अकाल मृत्यु दोष के लिए भी विशेष तौर पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है जिससे उनको अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से काल को भी मोड सकते हैं इसी के चलते इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव मंदिर है।

सरस्वती नदी के तट पर स्थापित है कालेश्वर महादेव मंदिर

मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह भारत के सभी प्राचीन मंदिरों में से एक मंदिर है जिसका अपने आप में विशेष महत्व है। यह मंदिर कुरुक्षेत्र शहर के उत्तर पश्चिमी छोर पर स्थापित है इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर सरस्वती नदी के तट पर स्थापित है। यहां पर सरस्वती नदी का पानी आता है मंदिर के साथ ही तालाब भी बनाया गया है जहां पर श्रद्धालु स्नान करते हैं।

सतयुग में हुई थी मंदिर की स्थापना

मंदिर के बारे में शिव भक्ति सागर पुस्तक में लिखा गया है कि कुरुक्षेत्र में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर शिव का शक्तिपीठ। इस मंदिर की स्थापना देवताओं ने सतयुग में की थी। मंदिर के बारे में बताया जाता है कि जो भी श्रद्धालु कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं उनकी कुंडली से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। यहां पर विशेष तौर पर पंचामृत से शिवलिंग के स्नान कराए जाते हैं।

सावन के महीने में यहां पूजा करने से होती है हर मनोकामना पूरी

मंदिर के पुजारी ने कहा कि वैसे तो 12 के 12 महीने 365 दिन यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर से महादेव के दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन सावन के महीने में श्रद्धालुओं का यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए काफी जमावड़ा लग जाता है। उन्होंने कहा कि जो भी इंसान सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान भोलेनाथ की यहां पर आकर पूजा अर्चना करते हैं और मनोकामना मांगते हैं, उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है। इसलिए यहां पर देश-विदेश से श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए पहुंचते हैं।

कालेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने से घर में रहती है सुख समृद्धि, हर मनोकामना होती है पूरी

मंदिर में महादेव के पूजा करने आए हुए श्रद्धालुओं ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से यहां पर कालेश्वर महादेव मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं और उनकी पूजा करते हैं जिसके चलते वह जो भी मनोकामना मांगते हैं वह पूरी होती है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। सावन के महीने में वह खास तौर पर पूरा सावन यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं।

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