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गुरुग्राम में जलभराव की स्थिति को लेकर हुआ मंथन 

गुरुग्राम/दीपक शर्मा

साइबर सिटी गुरूग्राम हरियाणा की आर्थिक नगरी मे लाख दावों के बीच मानसून की पहली बारिश ने अधिकारियों के दावों को धो डाला है। साइबर सिटी गुरूग्राम शहर पूरी तरह जलमग्न हो  गया है। यही नहीं शहर के एक अंडरपास में पानी भरने के बाद उसमें एक व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई।
गगन चुंबी इमारतों के बीच जिस शहर को स्मार्टटेस्ट सिटी बनाने की कवायत जारी है। उस बीच ये तस्वीर एक तमाचा है,उन वादों के उपर जो हर बार मानसून से पहले किए जाते है। क्युकि गुरूग्राम के नगर निगम, जीएमडीए के अधिकारियों ने सरकार के सामने इतने वादे कर डाले की मानों इस बार मानसून में एक बूंद पानी भी गुरूग्राम में नहीं रुकेगा। लेकिन मानसून की पहली बारिश ने तो पूरे शहर को पानी पानी कर दिया। पानी से पसीने ऐसे छूटे की अब निगम कमिश्नर और मेयर अपने अधिकारियों और पार्षदों से बैठक कर रहे है। बैठक में मंथन किया जा रहा है कि आखिर गुरूग्राम में जलभराव की समस्या क्यू हुई है। ये अधिरकारी बैठकों के अलावा धरातल पर काम कर लेते तो शायद ये तस्वीर पानी में नजर नहीं आती है।
नगर निगम कमिश्नर साहब ने तो ऐसे प्रबंध किये थे कि कितनी ही बारिश बरस जाए लेकिन शहर यू ही चमकता रहेगा। कमिश्नर साहब ने तो यहां तक कह दिया था कि जहां भी जलभराव होगा उस क्षेत्र का संबंधित अधिकारी कि खुद जिम्मेदारी होगी लेकिन उन्ही अधिकारियों के कार्यों के कारण आज शहर को इतनी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। बात यही तक नहीं रूकेगी अब जरा गुरूग्राम की मेयर मधु आजाद को भी सुन लिजिए। जो बारिश पर ही सारा दोष दे रही है कि बारिश ज्यादा हुई इसके कारण जल भराव हुआ है। इसके साथ ही एक बार फिर मेयर ने गुरुग्राम वासियों को दावों की लॉलीपॉप दे कहा की 7 दिनों के अंदर सिस्टम को दुरूस्त कर दिया जाएगा और आने वाले दिनों में जलभराव की समस्या नहीं होगी।
गुरूग्राम में अधिकारियों और पार्षदों के साथ बैठक करने के बाद मेयर साहिबा ने तो पूराने पाइप की कम चौड़ाई होने के कारण जलभराव का कारण बताया है। वही मेयर का ये भी कहना है कि जल्द पाइप लाइन बदली जायेगीऔर अगली बारिश में पानी नहीं भरेगा। वही इस दौरान पार्षदों ने भी जलभराव को सरकार की नाकामी कह डाला।
दरअसल गुरूग्राम में राजीव चौक, हीरो होंडा चौक, सेक्टर-10, सेक्टर-4, सेक्टर-5, सोहना रोड़, सुशांतलोक, सेक्टर-14, डीएलएफ फेस-3 के अलावा शहर के अलग अलग इलाकों में जलभराव हुआ। सड़के पानी से लबालब नजर आई और घरों में पानी भर गया। अंडरपास में पानी भर गया। लेकिन जो पहले जिम्मेवारी ले रहे थे वो अब ये राग अलाप रहे है कि शहर में पानी भरा उसे निकाल रहे।
आगे इस तरह की दिक्कत न हो इसको ध्यान में रखा जा रहा है। कमिश्नर साहब ये मंथन पहले कर लिया होता तो शायद आज स्मार्टेस्ट सिटी की ये बदसूरत तस्वीर नजर नहीं आती है। बहरहाल निगम कमिश्नर तो दावों और वादों के बीच अब मरहम लगा रहे है लेकिन शहर के लोग परेशान है और हर साल वादों को दोवों के बीच यू ही पानी पानी शहर हो जाता है।

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