डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ :
19 percent samples of food items failed : त्योहारी सीजन में लोगों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने मे कोई कसर बाकी नहीं रखी गई।
बड़े पैमाने पर दुकानदारों और स्वीट शॉप संचालकों ने मिठाइयों और पनीर व दूध से बने अन्य खाद्य उत्पाद में अपने फायदे के लिए जमकर मिलावट की। इसका खुलासा हुआ है फूड एंड सेफ्टी विभाग द्वारा त्योहारी सीजन में भरे सैंपल की जांच में।
करीब 19 फीसद सैंपल फेल पाए गए हैं और विभाग ने मिलावट का खेल करने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्ती की पूरी तैयारी कर ली है।
बार-बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी मिष्ठान भंडार व अन्य दुकान वाले अपने थोड़े से फायदे के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आए।
ऐसा नहीं है कि अबकी बार ही हुआ है, पिछले साल या उससे पहले ही ये दुकानदार ऐसा करते आ रहे हैं और ऐसे जरूरत है कि इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
ये बता दें कि जिन खाने पीने की चीजों के सैंपल पैमाने के अनुरूप नहीं पाए गए, इनमें मुख्य रूप से दूध से बने आइटम हैं। इसमें मिठाई, पनीर, खोया और मावा आदि शामिल है।
फूड एंड सेफ्टी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार त्योहारी सीजन में कुल 1180 सैंपल भरे थे। इनमें से 831 की जांच हो पाई और कुल 159 सैंपल फेल पाए गए।
इसका मतलब ये हुआ है कि ये सैंपल मापदंड व पैमानों के अनुरूप सटीक नहीं थे। इनमें सैंपल में पाया गया कि खाने पीने की चीजों मं बड़े स्तर पर मिलावट की गई।
चाहे पॉल्यूशन का मामला हो या फिर बढ़ता क्राइम, गुरुग्राम आगे ही रहता है। मिलावट के इस खेल में भी गुरुग्राम के स्वीट शॉप संचालक या दुकानदार आगे हे।
कुल 159 में से सबसे ज्यादा 25 सैंपल अकेले गुरुग्राम में फेल पाए गए हैं तो आप स्थिति की गंभीरता को आसानी से समझ सकते हैं।
इसके बाद भिवानी में 15 सैंपल फेल पाए गए। इसके बाद तीसरे स्थान पर 14 फेल सैंपल के साथ झज्जर है। इस तरह से कुल फेल पाए गए सैंपल का करीब एक तिहाई तो इन तीनों जिलों में है।
उपरोक्त के अलावा भी कई अन्य जिले हैं जहां सैंपल फेल पाए। हिसार व सोनीपत जिलों में 12-12 सैंपल फेल मिले हैं। इसके बाद रोहतक व कैथल में 9-9 सैंपल फेल पाए गए।
करनाल में भी 9 सैंपल पैमानों के अनुरूप नहीं रहे। इसके बाद पानीपत व जींद में 8-8 सैंपल फेल रहे। इसके बाद अंबाला व पलवल में 6-6 सैंपल निर्धारित पैमाने के लिहाज से ठीक नहीं मिले।
खाने पाने की चीजों में मिलावट करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है लेकिन इसके बाद ये खेल जारी है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के तहत सजा व जुमार्ना दोनों का प्रावधान है। आईपीसी की धारा 272 व 273 के तहत पुलिस को सीधे कार्रवाई की छूट है।
कानूनन दूषित व मिलावटी खाद्य पदार्थों के उत्पादकों को कम से कम 10 लाख का जुमार्ना हो सकता है। इसके अलावा 6 महीने तक की सजा भी हो सकती है।
इसके अलावा कई जगह तो इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का भी गठन हो चुका है। 19 percent samples of food items failed
ये भी जानना जरुरी है कि किस जिले में कितने सैंपल भरे गए। रोहतक में सबसे ज्यादा 107 सैपल भरे तो इसके बाद झज्जर में 100, पानीपत 85, गुरुग्राम में 84 और अंबाला में 69 सैंपल लिए गए।
इसके बाद पंचकूला व सोनीपत में 67-67, रेवाड़ी 65, फ?ीदाबाद व भिवानी में 58-58 और यमुनानगर में कुल 53 सैंपल खाने पीने की चीजों के लिए गए।
बाकी अन्य जिलों में जो सैंपल लिए गए , उनकी संख्या 10 से 50 के बीच में रही। 19 percent samples of food items failed
वहीं पिछले कुछ सालों की बात करें तो पता चलता है कि 2016-17 से लेकर 2019-20 तक भी कमोबेश यही स्थिति थी।
साल 2016-17 में अप्रैल से अक्टूबर तक के माह में 9.2 फीसद सैंपल आशाओं के अनुरूप नहीं मिले। इसके बाद 2017-18 में 18.4 फीसद सैंपल पैमानों पर खरे नहीं उतरे।
वहीं 2018-19 में 25.2 फीसद सैंपल गलत पाए गए। इसके उपरोक्त अवधि में ही 2019-20 में 19.2 फीसद सैंपल पैमानों पर खरे नहीं उतरे। पिछले साल भी भी करीब 20 फीसद तक सैंपल पाए गए ।
आंकड़ों से साफ है कि स्थिति नहीं सुधर रही है। हालांकि एक सवाल हर बार उठता है कि सैंपल चेकिंग होने में देरी क्यों होती है। जब तक सैंपल की रिपोर्ट आती है, तब लोग घटिया क्वालिटी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कर चुके होते हैं।
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