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Ayushman-Chirayu Yojana के तहत सरकार के 300 करोड़ बकाया, निजी अस्पतालों ने इलाज किया बंद

• LAST UPDATED : March 16, 2024
  • पेनल से जुड़े अस्पताल संचालकों को पेमेंट न मिलने से रोष

India News (इंडिया न्यूज़), Ayushman-Chirayu Yojana, चंडीगढ़ : प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के तहत हरियाणा के सैकड़ों निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलता है, लेकिन अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 15 मार्च रात 1 बजे से उक्त लाभार्थियों की इलाज की सुविधा बंद करने का फैसला लिया है। जी हां, आईएमए ने कहा है कि 300 करोड़ रुपए सरकार की तरफ से बकाया हैं। इसी कारण आयुष्मान भारत के सीईओ को पत्र लिखकर बकाया उक्त राशि को जल्द जारी कराने की मांग की गई है।

आईएमए हरियाणा के पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि 16 मार्च शनिवार से सभी निजी अस्पताल आयुष्मान और चिरायु कार्ड की सेवाएं बंद कर रहे हैं। एसोसिएशन 30 मार्च तक स्थिति की समीक्षा करेगी। उसके बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।

जानिए योजना का कौन हैं पात्र

आयुष्मान-चिरायु योजना में वे लोग पात्र होते हैं जिनकी परिवार पहचान पत्र में 1.80 लाख रुपए वार्षिक आय है। लेकिन प्रदेश के वित्त वर्ष 2024-25 में इसका विस्तार किया गया है। अब चिरायु-आयुष्मान भारत योजना का लाभ वार्षिक 3 लाख से 6 लाख रुपए वाले भी ले सकेंगे। वे लोग 4000 रुपए के वार्षिक योगदान कर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इतना ही नहीं 6 लाख से अधिक की वार्षिक आय वर्ग वाले लोग भी 5000 रुपए के वार्षिक योगदान का भुगतान करके इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदेश में 1 करोड़ 3 लाख से अधिक कार्ड बनाए जा चुके

प्रदेश में अब तक 10 लाख लोग चिरायु कार्ड के जरिये आरोग्य हो चुके हैं। अब तक कुल 1 करोड़ 3 लाख से अधिक आयुष्मान-चिरायु कार्ड बनाए जा चुके हैं। इसमें 74,33,548 चिरायु कार्ड तथा 28 लाख 89 हजार आयुष्मान कार्ड हैं। आयुष्मान-चिरायु हरियाणा योजना के तहत प्रदेश में लगभग 9 लाख मरीजों के इलाज के लिए 1130 करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम का भुगतान किया जा चुका है।

जानिए पैनल में इतने हैं अस्पताल

आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रदेश के कुल 1290 अस्पतालों को पैनल में रखा गया है जिसमें करीब 715 सरकारी अस्पताल हैं वही 575 निजी अस्पताल शामिल हैं। उक्त योजना के तहत कैंसर और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों के साथ 1,500 के करीब दूसरी बीमारियों का सालाना पांच लाख तक का इलाज निशुल्क किया जाता है।

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