श्री गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं को प्रचारित करने के उद्देश्य से उनके 400वें प्रकाशोत्सव पर भव्य कार्यक्रम होगा आयोजित
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
400th Prakash Parv of Guru Teg Bahadur Ji in Haryana हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Chief Minister Manohar Lal) ने कहा कि भारत की धरा पर कई ऐसी महान शख़्सियतें अवतरित हुई हैं जो आज भी हमें कदम-कदम पर प्रेरित करती हैं। उन्हीं शख़्सियतों में से एक सिखों के नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी (Guru Teg Bahadur ji)। इनका जीवन आज भी सभी को प्रेरित करता है। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने लोगों को समानता, मानवता, सद्भाव और त्याग की राह दिखाई। उनका जीवन तप, त्याग और बलिदान का प्रतीक भी है और शारीरिक व मानसिक शौर्य का अद्भुत उदाहरण भी। श्री गुरु तेग बहादुर जी की महिमा का बखान करने तथा उनके द्वारा दी गई अनमोल शिक्षाओं को दुनिया भर में फैलाने के उद्देश्य से उनके 400वें प्रकाशोत्सव पर हरियाणा सरकार द्वारा एक भव्य एवं दिव्य कार्यक्रम का आयोजन 24 अप्रैल को पानीपत में किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने लोगों से श्री गुरु तेग बहादुर जी के नेक मार्ग पर चलने और युवाओं को उनके जीवन से देश के लिए त्याग और प्रेम सीखने का आग्रह किया है। मनोहर लाल ने लोगों से गुरु जी के जीवन से सबक लेने का आग्रह करते हुए कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाएं न केवल हमारे लिए एक दुर्लभ विरासत हैं, बल्कि एक मजबूत, नैतिक रूप से प्रबुद्ध समाज के निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण नींव में से एक हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी के त्यागपूर्ण जीवन से अवगत करवाने के लिए ही इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
तीरंदाजी व तलवारबाजी में माहिर श्री गुरु तेग बहादुर जी कमजोरों के रक्षक बने। उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करते हुए देश भर में कई यात्राएं कीं। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने 116 शब्द और 15 रागों की रचना की और उनकी शिक्षाओं को आदि ग्रंथ में शामिल किया गया है। चूंकि 400वां प्रकाशोत्सव बहुत जोश और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, आइए उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं पर एक नजर डालते हैं।
श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपने शिष्यों को लालच, इच्छा, अहंकार और दर्द को दूर करने की शिक्षा देकर उन्हें देवत्व का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा था कि अहंकार का त्याग करो और हमेशा काम, क्रोध और दुष्ट संग से दूर भागो। सुख-दुख, मान-अपमान को समान समझना चाहिए। व्यक्ति को स्तुति और दोष दोनों का त्याग करना चाहिए और यहां तक कि मोक्ष की खोज भी करनी चाहिए।
श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपने अनुयायियों को शांति के मार्ग की ओर अग्रसर किया। उन्होंने दुनिया को अपने जीवन से संतुष्ट रहना सिखाया, क्योंकि दुनिया में सब कुछ नानक कर रहा ह। उन्होंने हर जीवन-स्थिति के साथ शांति बनाकर जीवन मुक्ति प्राप्त करने का विचार फैलाया।
कोई भी व्यक्ति एक संतुष्ट जीवन जीना चाहता है और यह तभी संभव है जब वह अपने जीवन से खुश और संतुष्ट हो। इसलिए श्री गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षा के अनुसार व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं के बारे में पता होना चाहिए और उससे संतुष्ट रहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि यदि कोई अपने स्वयं के जीवन से संतुष्ट नहीं है तो निराशा होगी और जब जीवन घृणा और निराशा से भरा होगा, मन की शांति कभी प्राप्त नहीं होगी।