चंडीगढ़: भारतीय सशस्त्र बलों का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया है, सोमवार को फ्रांस के एयरबेस से पांच राफेल लड़ाकू विमान ने भारत के लिए उड़ान भर ली है, इन विमानों को भारतीय वायुसेना के पायलट उड़ा रहे हैं और ये रीफ्यूलिंग के लिए संयुक्त अरब अमीरात के अल धाफरा एयरबेस पर रुकेंगे, पांचों राफेल विमान 7364 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे.
हरियाणा ही में क्यों हो रही राफेल की तैनाती ?
दरअसल वायुसेना ने इन विमानों की तैनाती के लिये हरियाणा के अंबाला का चयन किया है, यह जगह पाकिस्तान और चीन की सीमा से करीब 220 से 300 किमी. की दूरी पर है, ऐसा करके भारत ने आक्रामक चीन के साथ ही पाकिस्तान को भी साफ संदेश दिया है कि अगर उसने चीन के इशारे पर किसी तरह का दुस्साहस किया तो उसपर पलटवार करने में भारत देर नहीं करेगा।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा, अम्बाला छावनी राफेल के इंतजार में बैठी है अंबाला के लिए यह गौरवशाली बात है कि राफेल अम्बाला में छावनी में खड़े होंगे,अम्बाला के लोग इसका इंतजार कर रहे हैं
ये पांच विमान भारत और फ्रांस के बीच हुई 36 विमानों के समझौते की पहली खेप है, अबतक वायुसेना के 12 लड़ाकू पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, आइये अब आपको राफेल के रौद्र रुप से रुबरू करा देते हैं
क्या राफेल विमान की खासियत ?
मीटोर एयर टू एयर मिसाइल से लैस है राफेल
इसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है
ये बिना सीमा पार किये दुश्मन देश के विमान को तबाह कर सकता है
मीटोर एयर टू एयर मिसाइल अम्बाला पहुच चुका है
चीन पाकिस्तान के पास ये क्षमता नहीं है
राफेल में जो दूसरा मिसाइल होगा वो है स्काल्प
स्काल्प की मारक क्षमता 600 किलोमीटर तक की है
इसके आते ही भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ जाएगी
चीन और पाकिस्तान के पास ये खतरनाक फाइटर जेट नहीं है
पाकिस्तान के पास अमेरिका से खरीदा हुआ F-16 फाइटर जेट है
चीन के पास अपना बनाया हुआ जे-20 लड़ाकू विमान है
पाकिस्तान का एफ-16 राफेल के आगे कहीं नहीं टिकता
राफेल का कॉम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है
चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच राफेल विमान का भारत पहुंचना महत्वपूर्ण माना जा रहा है, इससे भविष्य में राफेल विमानों की डिलीवरी में भी तेजी आने की उम्मीद है, और अब राफेल की मौजूदगी में भारतीय सेना का मनोबल दोगुना होगा ।