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TB Cases : हरियाणा में इतने हजार लोग अभी भी टीबी रोग से पीड़ित, पर नहीं छूट रहा तंबाकू और लाल पारी का मोह

  • टीबी के मरीजों में 6 फीसदी अब भी तंबाकू का सेवन कर रहे तो 2 फीसद लाल परी के शौकीन

India News Haryana (इंडिया न्यूज), TB Cases : देशभर में जानलेवा टीबी बीमारी के उन्मूलन के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल तक बीमारी का समूल नाश नहीं हो पाया। इसी में आपको बता दें कि हरियाणा में करीब 80 हजार लोग आज भी टीबी से संक्रमित हैं, जिनमें अंडर ट्रीटमेंट और नए दोनों तरह के मरीज शामिल हैं। इसी कड़ी में ये भी सामने आया है कि जो टीबी के मरीज हैं, उनको अन्य बीमारियां होने की संभावना भी कई गुना जाती हैं और मरीजों की जिंदगी जाने का खतरा बढ़ जाता है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार टीबी के कुल करीब 80 हजार मरीजों में से 5 से 10 फीसद ऐसे भी हैं जो अन्य बीमारियोंं से जूझ रहे हैं। इसके अलावा काफी मरीज टीबी से ग्रस्त होने के बावजूद शराब और तंबाकू का  सेवन करने से परहेज नहीं कर रहे। इसी कड़ी में आपको बता देें कि मरीजों को क्वालिटी जिंदगी व इलाज देने लिए संबंधित सरकार द्वारा समय-समय नई स्कीमें भी लाई गई हैं। सरकार द्वारा पीएम निक्षय अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत मरीजों को 500 रुपए सालाना सहायता दी जाने लगी, जिसको अब बढ़ाकर अब 1000 कर दिया गया है।

TB Cases : पहले ही जान का खतरा लेकिन…

हरियाणा में एक बड़ी संख्या ऐसे मरीजों की है जो एड्स और टीबी जैसी जानलेवा बीमाारी से ग्रस्त होने के बावजूद शराब और तंबाकू सेवन का मोह नहीं छोड़ पा रहे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में टीबी के कुल मरीजोंं में से 4796 मरीज तंबाकू का इस्तेमाल कर रहे हैं जो उनके लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है और इस लिहाज से टीबी के करीब 6 फीसदी मरीज तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। इनके अलावा 1632 टीबी मरीज यानी करीब 2 फीसदी एल्कोहल का भी सेवन कर रहे हैं। इसके अलावा यह भी सामने आया कि एड्स के मरीज भी काफी संख्या में  निरंतर शराब और तंबाकू का सेवन कर रहे हैं।

टीबी के 864 मरीज एड्स और 4717 शुगर के पेशेंट

स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार टीबी के कुल मरीजों में से 864 मरीज ऐसे हैं जो जानलेवा एड्स से भी संक्रमित हैं, ऐसे मेें उनकी जान जाने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आंकड़ों के लिहाज से हरियाणा में कुल मरीजोंं मेें 1 फीसदी को एड्स का इंफेक्शन है। हालांकि एड्स से पीड़ित टीबी मरीजों का आंकड़ा अलग-अलग जिलों में अलग-अलग है। इसके अलावा ये भी बता दें कि टीबी और एड्स से पीड़ित मरीजों में जेलोंं में बंद कैदी भी हैं। टीबी के 4717 मरीज ऐसे हैं जो एक साथ कई रोगों को जन्म देने वाली जानलेवा शुगर बीमारी से भी पीड़ित हैं।

ये भी बता दें कि हरियाणा में 80996 टीबी मरीजों में से 47177 हैं जो कि कुल मरीजों का 58.25 फीसदी तो वहीं महिला मरीजों का आंकड़ा 33794 है जो कुल मरीजों का 41.72 फीसदी बनता है। इनके अलावा 25 मरीज ट्रांसजेंडर हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, जिन मरीजों को दोनों इंफेक्शन एक साथ होते हैं, उनके शरीर में टी सेल भी कमजोर हो जाती है। इससे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस हो जाता है। यानी मरीज पर दवाओं का असर बंद हो जाता है, जिससे मौत होने की आशंका रहती है। एचआईवी से पीड़ित 100 में से करीब 15 से 20 लोगों को टीबी होने का खतरा रहता ही है। टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के किसी दूसरे हिस्से पर भी अपना प्रभाव दिखा सकती है।

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एचआईवी बनाता है टीबी को ज्यादा घातक

एक्सपर्ट्स से प्राप्त जानकारी के अनुसार एचआईवी टीबी को और अधिक घातक बनाता है। एचआईवी और टीबी एक घातक संयोजन हो सकता है, जो एक-दूसरे की प्रगति को गति देता , और एचआईवी से पीड़ित लोग टीबी संक्रमण से कुछ ही महीनों में मर सकते हैं। एचआईवी से पीड़ित लोगों में टीबी शरीर में अधिक आसानी से फैल सकता है। यही कारण है कि टीबी-एचआईवी एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी से जुड़ा हुआ है। सक्रिय टीबी शरीर में एड्स संक्रमण की प्रगति को तेज करता है। पॉजिटिव व्यक्ति के थूक में आमतौर पर टीबी बैक्टीरिया की मात्रा कम होती है, जिससे थूक परीक्षण में इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी, जो एचआईवी-नकारात्मक लोगों की तुलना में एचआईवी पॉजिटिव लोगों में अधिक आम है, का पता थूक स्मीयर माइक्रोस्कोपी या छाती के एक्स-रे से नहीं लगाया जा सकता है। टीबी की दवा और एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए, ताकि रोगियों में प्रतिकूल दवा परस्पर क्रिया और दुष्प्रभावों से बचा जा सके। एचआईवी से पीड़ित लोगों में एक्स्ट्रा-पल्मोनरी टीबी की संभावना के कारण उपचार में अधिक समय लग सकता है। उपचार के बाद भी, उन्हें फिर से टीबी होने का खतरा अधिक होता है। जिन लोगों का फुफ्फुसीय टीबी के लिए इलाज किया गया है, वे उपचार शुरू करने के बाद लंबे समय तक दूसरों के लिए संक्रामक बने रहते हैं।

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क्या कहना है हेल्थ डिपार्टमेंट का

हेल्थ हरियाणा के डीजी डॉ कुलदीप का कहना है कि हरियाणा में 864 मरीज ऐसे हैं, जिनको टीबी और एड्स दोनों बीमारी हैं। इसके अलावा टीबी के कुछ फीसदी मरीज शराब और तंबाकू का सेवन भी करते हैं। जहां तक जेलोंं में टीबी और एड्स मरीजों की बात है तो बता दें कि इसके लिए हर साल जेलों में अलग से हेल्थ प्रोग्राम चलाए जाते हैं और मरीजों, परिजनों और आसपास के लोगों में इन बीमारियों को लेकर जो स्टिगमा या गलत अवधारणाएं, उनको दूर करने के लिए भी लोगों को निरंतर जागरूक किया जा रहा है।

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Amit Sood

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