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MSME : हरियाणा में चार वर्षों में 837431 एमएसएमई रजिस्टर्ड

  • कुल रजिस्टर्ड उद्योग में से महिला स्वामित्व वाले उद्योग की संख्या 2 लाख से ज्यादा 

  • पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, करनाल और अंबाला जिले एमएसएमई का हब 

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), MSME, चंडीगढ़ : माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) का देश व हरियाणा की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है। कोविड-19 महामारी के चलते एमएसएमई बुरी तरह प्रभावित हुआ और उनकी आपूर्ति श्रृंखला भी बाधित हुई। इनको पटरी पर लाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की तरफ से प्रयास किए गए। देश में इस मामले में हरियाणा का अहम स्थान है। सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत अब वह उद्यम आते हैं जिनमें एक करोड़ रुपए का निवेश (मशीनरी वगैरह में) और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो। यहां निवेश से मतलब यह है कि कंपनी ने मशीनरी वगैरह में कितना निवेश किया है। यह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है। बता दें कि एमएसएमई देश के निर्यात में करीब 45 फीसदी योगदान देते हैं।

चार साल में हरियाणा में लुघ उद्योग में तीन गुना ज्यादा एमएसएमई रजिस्टर्ड

हरियाणा में पिछले चार साल के आंकड़ों में सामने आया है कि उधम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड होने वाले एमएसएमई की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2020-21 में हरियाणा में संबंधित पोर्टल पर 102915 एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए, वहीं साल 2021-22 में ये 179530 एमएसएमई रजिस्टर्ड हुए। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 में 237031 एमएसएमई पोर्टल पर रजिस्टर्ड हुए। इस बाद जारी वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक 317955 एमएसएमई रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इस तरह से हरियाणा में कुल 837437 रजिस्टर्ड एमएसएमई हैं।

पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, करनाल और अंबाला एमएसएमई का हब

प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां व्यापक स्तर पर एमएसएमई हैं। पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, करनाल और अंबाला जिलों में अलग-अलग कैटेगरी में लुघ उद्योग स्थापित किए गए हैं। पानीपत में टेक्सटाइल इंडस्ट्री के अलावा बुनाई और कपड़ा उद्योग है तो वहीं गुरुग्राम व फरीदाबाद जिलोें में मैन्युफैक्चरिंग निर्माण और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री है जिसके चलते इनका नाम देश-विदेश में प्रसिद्ध है। सोनीपत में भी सूती वस्त्र, साइकिल और सीमेंट उद्योग हैं। इसी तरह से करनाल में कंबल और जूता निर्माण आधारित उद्योग हैं।

हरियाणा व पड़ोसी राज्य में महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या 2 लाख से ज्यादा

हरियाणा में संबंधित पोर्टल पर चार साल की अवधि में जितने भी एमएसएमई स्थापित हुए हैं, उनमें से करीब एक चौथाई से ज्यादा महिला स्वामित्व वाले हैं। प्रदेश में रजिस्टर्ड 837431 एमएसएमई में से 202718 तो महिला स्वामित्व वाले हैं। वहीं पड़ोसी राज्यों की बात करें तो दिल्ली में 139519, पंजाब में 235420, हिमाचल प्रदेश में 2524, चंडीगढ़  में 7504, राजस्थान में 398079 और उत्तर प्रदेश में महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या 360009 है।

बता दें कि कि हरियाणा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की घरेलू क्षमता में वृद्धि और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने वॉलमार्ट द्वारा ‘वॉलमार्ट वृद्धि डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म’ कार्यक्रम के तहत पानीपत शहर में स्थापित किए गए पहले ‘ई-इंस्टीट्यूट’ का उद्घाटन साल 2020 में किया। इसका उद्देश्य ‘ई-इंस्टीट्यूट’ आगामी 2 वर्षों में 2000 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रशिक्षण प्रदान था। उस वक्त कहा गया कि हरियाणा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की उपस्थिति है और पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, करनाल और अंबाला जिले एमएसएमई का हब हैं।

देश में कुल पंजीकृत एमएसएमई की संख्या 3,16,05,581

4 दिसंबर, 2023 को उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार इसके आरंभ की तिथि 7 जनवरी, 2020 से लेकर चार दिसंबर 2023 तक देश में कुल पंजीकृत एमएसएमई की संख्या 3,16,05,581 (उपम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यम सहित) है। उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार इसके आरंभ की तिथि 7 जनवरी, 2020 से लेकर उपरोक्त समय तक तक देश में कुल पंजीकृत महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या 1,17.36,406 (उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यम सहित) है।

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र से ऋण हेतु 7 जनवरी, 2021 से खुदरा और थोक व्यापारों का एमएसएमई के रूप में समावेशन।एमएसएमई में स्तरोन्नयन परिवर्तन की स्थिति के लिए दिनांक 18 अक्टूबर से गैर-कर लाभ को 3 साल के लिए बढ़ाया गया है। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण के तहत लाभों से सहायता लेने के लिए अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक दायरे में लाने के लिए दिनांक 11 जनवरी, 2020 को उयम असिस्ट प्लेटफार्म की शुरुआत की गई है। एमएसएमई क्षेत्र को लंबित भुगतानों के मामलों हल हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमई) अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के तहत सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसएमई) के लंबित भुगतानों के मामले निपटाने हेतु राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों में स्थापित किया गया है। एमएसएमई मंत्रालय ने दिनांक 30 दिसंबर, 2017 को माल एवं सेवा के क्रेताओं (उपयोगकर्ताओं) से सूक्ष्म और लघु उद्यमों को बकाया राशि की शिकायत करने और उनकी निगरानी करने हेतु ‘समाधान पोर्टल’ की शुरुआत की है।

लंबित भुगतानों संबंधी मामलों के निपटान को लेकर एमएसईएफसी स्थापित किए गए

एमएसएमई मंत्रालय ने राज्य संघ राज्य क्षेत्रों से लंबित भुगतानों संबंधी मामलों के शीघ्रातिशीघ्र निपटाने हेतु अधिक से अधिक एमएसईएफसी स्थापित करने का अनुरोध किया है। सभी तक दिल्ली, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में एक से अधिक एमएसईएफसी स्थापित करने सहित 157 एमएसईएफसी स्थापित किए जा चुके हैं।

एमएसएमई मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत की घोषणा के पश्चात एमएसएमई की केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा बकाया और मासिक भुगतान की सूचना देने हेतु दिनांक 14.06.2020 को समाधान पोर्टल के अंदर विशेष उप-पोर्टल सृजित किया। भारत सरकार ने 500 करोड़ रुपए अथवा इससे अधिक टर्नओवर वाली सीपीएसई और सभी कंपनियों को व्यापार प्राप्य छूट प्रणाली (ट्रेड्स), जोकि बहुसंख्य वित्तपोषण के माध्यम से एमएसएमई को व्यापार प्राप्तियों में छूट सुविधा प्रदान करने का एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म है, पर स्वयं को शामिल रहने के भी निर्देश दिए हैं।

सूक्ष्म और लघु उद्यमों से माल व सेवा की आपूर्ति प्राप्त करने वाली कंपनियां जिन्हें सूक्ष्म और लघु उद्यमों को माल एवं सेवा के भुगतान की स्वीकृति की तिथि या मानद स्वीकृति की तिथि से 45 दिन से अधिक हो गए हैं, को भुगतान की बकाया राशि और विलम्ब के करों का हवाला देते हुए कापरिट मामलों के मंत्रालय को अर्थ वार्षिक विवरणी जमा कराने की भी आवश्यकता होगी। आयकर अधिनियम की धारा 43 बी के तहत भुगतानों पर किए गए व्यय के लिए कटौती की अनुमति केवल तभी दी जाती है जब एमएसएमई को भुगतान वास्तव में किया गया हो।

एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव किया गया

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एम/ओ एमएसएमई) ने देश में एमएसएमई की परिभाषा और मानदंडों में ऊपरी संशोधन के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राजपत्र अधिसूचना जारी की है। नई परिभाषा और मानदंड 1 जुलाई, 2020 से लागू होंगे।2006 में एमएसएमई विकास अधिनियम अस्तित्व में आने के 14 साल बाद, 13 मई, 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज में एमएसएमई परिभाषा में संशोधन की घोषणा की गई। इस घोषणा के अनुसार, सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाइयों की परिभाषा को बढ़ाकर रु. 1 करोड़ का निवेश और रु. 5 करोड़ का टर्नओवर. छोटी इकाई की सीमा बढ़ाकर रु. 10 करोड़ का निवेश और 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर। इसी तरह मीडियम यूनिट की सीमा बढ़ाकर 20 रुपये कर दी गई। 20 करोड़ का निवेश और रु. 100 करोड़ का टर्नओवर. भारत सरकार ने 01.06.2020 को एमएसएमई परिभाषा में और संशोधन करने का निर्णय लिया। मध्यम उद्यमों के लिए अब यह रु. 50 करोड़ का निवेश और रु. 250 करोड़ का टर्नओवर है।

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Amit Sood

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